01-08-2020, 11:32 PM
“अइयो जावेद! तुम कुछ करता क्यों नहीं। तुम सारा सामान इस टेबल से हटाओ!” स्वामी ने जावेद को कहा। जावेद और रस्तोगी ने फ़टाफ़ट सेंटर टेबल से सारा सामान हटा कर उसे खाली कर दिया। स्वामी ने मुझे बाँहों में लेकर ऊपर कर दिया। मेरे पैर जमीन से ऊपर उठ गये। वो इतना ताकतवर था कि मुझे इस तरह उठाये हुए उसने टेबल का आधा चक्कर लगाया और जावेद के सामने पहुँच कर मुझे टेबल पर लिटा दिया। ग्लास टॉप की सेंटर टेबल पर बैठते ही मेरा जिस्म ठंडे काँच को छूकर काँप उठा। मुझे उसने सेंटर टेबल के ऊपर लिटा दिया। मैं इस तरह लेटी थी कि मेरी चूत जावेद के सामने थी। मेरा चेहरा दूसरी तरफ़ होने की वजह से मुझे पता नहीं चल पाया कि मुझे इस तरफ़ अपनी चूत को पराये मर्द के सामने खोल कर लेटे देख कर मेरे शौहर के चेहरे पर किस तरह के भाव थे।
उसने मेरे पैर फैला कर पंखे की तरफ़ उठा दिये। मेरी चूत उनके सामने खुली हुई थी। स्वामी ने मेरी चूत को सहलाना शुरू किया। दोनों अपने होंठों पर जीभ फिरा रहे थे।
“जावेद देखो! तुम्हारी बीवी को कितना मज़ा आ रहा है”, रस्तोगी ने मेरी चूत के अंदर अपनी अँगुलियाँ डाल कर अंदर के चिपचिपे रस से लिसड़ी हुई अँगुलियाँ जावेद को दिखाते हुए कहा।
फिर स्वामी मेरी चूत से चिपक गया और रस्तोगी मेरे मम्मों से। दोनों के मुँह मेरे गुप्ताँगों से इस तरह चिपके हुए थे मानो फ़ेविकोल से चिपका दिये हों। दोनों की जीभ और दाँतों ने इस हालत में अपने काम शुरू कर दिया था। मैं उत्तेजित हो कर अपनी टाँगों को फ़ेंक रही थी।
मैंने अपने बगल में बैठे जावेद की ओर देखा। जावेद अपनी पैंट के ऊपर से अपने लंड को हाथों से दबा रहा था। जावेद अपने सामने चल रहे सैक्स के खेल में डूबा हुआ था।
“आआऽऽऽऽहहऽऽऽ जावेदऽऽऽ ममऽऽऽऽ मुझे क्याऽऽऽ होता जा रहा है?” मैंने अपने सूखे होंठों पर ज़ुबान फिरायी, मेरा जिस्म सैक्स की गर्मी से झुलस रहा है।
जावेद उठ कर मेरे पास आकर खड़ा हो गया। मैंने अपने हाथ बढ़ा कर उसके पैंट की ज़िप को नीचे करके, बाहर निकलने को छटपटा रहे उसके लंड को खींच कर बाहर निकाला और उसे अपने हाथों से सहलाने लगी। रस्तोगी ने पल भर को मेरे निप्पल पर से अपना चेहरा उठाया और जावेद को देख कर मुस्कुरा दिया और वापस अपने काम में लग गया। मेरी लंबी रेशमी ज़ुल्फें जिन्हें मैंने जुड़े में बाँध रखा था, अब खुल कर बिखर गयीं और जमीन पर फ़ैल गयीं।
उसने मेरे पैर फैला कर पंखे की तरफ़ उठा दिये। मेरी चूत उनके सामने खुली हुई थी। स्वामी ने मेरी चूत को सहलाना शुरू किया। दोनों अपने होंठों पर जीभ फिरा रहे थे।
“जावेद देखो! तुम्हारी बीवी को कितना मज़ा आ रहा है”, रस्तोगी ने मेरी चूत के अंदर अपनी अँगुलियाँ डाल कर अंदर के चिपचिपे रस से लिसड़ी हुई अँगुलियाँ जावेद को दिखाते हुए कहा।
फिर स्वामी मेरी चूत से चिपक गया और रस्तोगी मेरे मम्मों से। दोनों के मुँह मेरे गुप्ताँगों से इस तरह चिपके हुए थे मानो फ़ेविकोल से चिपका दिये हों। दोनों की जीभ और दाँतों ने इस हालत में अपने काम शुरू कर दिया था। मैं उत्तेजित हो कर अपनी टाँगों को फ़ेंक रही थी।
मैंने अपने बगल में बैठे जावेद की ओर देखा। जावेद अपनी पैंट के ऊपर से अपने लंड को हाथों से दबा रहा था। जावेद अपने सामने चल रहे सैक्स के खेल में डूबा हुआ था।
“आआऽऽऽऽहहऽऽऽ जावेदऽऽऽ ममऽऽऽऽ मुझे क्याऽऽऽ होता जा रहा है?” मैंने अपने सूखे होंठों पर ज़ुबान फिरायी, मेरा जिस्म सैक्स की गर्मी से झुलस रहा है।
जावेद उठ कर मेरे पास आकर खड़ा हो गया। मैंने अपने हाथ बढ़ा कर उसके पैंट की ज़िप को नीचे करके, बाहर निकलने को छटपटा रहे उसके लंड को खींच कर बाहर निकाला और उसे अपने हाथों से सहलाने लगी। रस्तोगी ने पल भर को मेरे निप्पल पर से अपना चेहरा उठाया और जावेद को देख कर मुस्कुरा दिया और वापस अपने काम में लग गया। मेरी लंबी रेशमी ज़ुल्फें जिन्हें मैंने जुड़े में बाँध रखा था, अब खुल कर बिखर गयीं और जमीन पर फ़ैल गयीं।