01-08-2020, 11:29 PM
मेरी आँखें घबड़ाहट से बड़ी-बड़ी हो गयी। स्वामी की नजरें मेरे चेहरे पर ही थी। शायद वो अपने लंड के बारे में मुझसे तारीफ़ सुनना चाहता था जो कि उसे मेरे चेहरे के जज़बातों से ही मिल गयी। वो मुझे डरते देख मुस्कुरा उठा। अभी तो उसका लंड पूरा खड़ा भी नहीं हुआ था।
“घबराओ मत... पहले तुम्हारी कंट को रस्तोगी चौड़ा कर देगा फिर मैं उसमें डालेगा”, कहते हुए उसने मुझे वापस अपने सीने में दबा दिया और अपना लंड मेरी जाँघों के बीच रगड़ने लगा।
रस्तोगी मेरे नितंबों से लिपट गया। उसका लंड मेरे नितंबों के बीच रगड़ खा रहा था। रस्तोगी ने टेबल के ऊपर से एक बीयर की बोतल उठायी और जावेद को इशारा किया उसे खोलने के लिये। जावेद ने ओपनर ले कर उसके ढक्कन को खोला। रस्तोगी ने उस बोतल से बीयर मेरे एक मम्मे के ऊपर उढ़ेलनी शुरू की।
“स्वामी! ले पी ऐसा नशीला बीयर साले गेंडे तूने ज़िंदगी में नहीं पी होगी”, रस्तोगी ने कहा। स्वामी ने मेरे पूरे निप्पल को अपने मुँह में ले रखा था इसलिये मेरे मम्मे के ऊपर से होती हुई बीयर की धार मेरे निप्पल के ऊपर से स्वामी के मुँह में जा रही थी। वो खूब चटखारे ले-ले कर पी रहा था। मेरे पूरे जिस्म में सिहरन हो रही थी। मेरा निप्पल तो इतना लंबा और कड़ा हो गया था कि मुझे उसके साइज़ पर खुद ताज्जुब हो रहा था। बीयर की बोतल खत्म होने पर स्वामी ने भी वही दोहराया। इस बार स्वामी बीयर उढ़ेल रहा था और दूसरे निप्पल के ऊपर से बीयर चूसने वाला रस्तोगी था। दोनों ने इस तरह से बीयर खत्म की। मेरी चूत से इन सब हरकतों के कारण इतना रस निकल रहा था कि मेरी जाँघें भी गिली हो गयी थी। मैं उत्तेजना में अपनी दोनों जाँघों को एक दूसरे से रगड़ रही थी और अपने दोनों हाथों से उन दोनों के तने हुए लौड़ों को अपनी मुठ्ठी में लेकर सहला रही थी। अब मुझे उन दोनों के चुदाई में देरी करने पर गुस्सा आ रहा था। मेरी चूत में मानो आग लगी हुई थी। मैं सिसकारियाँ ले रही थी। मैं अपने निचले होंठों को दाँतों में दबा कर सिसकारियों को मुँह से बाहर निकलने से रोकती हुई जावेद को देख रही थी और आँखों ही आँखों में मानो कह रही थी कि “अब रहा नहीं जा रहा है। प्लीज़ इनको बोलो कि मुझे मसल मसल कर रख दें।”
इस खेल में उन दोनों का भी मेरे जैसा ही हाल हो गया था। अब वो भी अपने अंदर उबल रहे लावा को मेरी चूत में डाल कर शाँत होना चाहते थे। उनके लौड़ों से प्री-कम टपक रहा था।
“घबराओ मत... पहले तुम्हारी कंट को रस्तोगी चौड़ा कर देगा फिर मैं उसमें डालेगा”, कहते हुए उसने मुझे वापस अपने सीने में दबा दिया और अपना लंड मेरी जाँघों के बीच रगड़ने लगा।
रस्तोगी मेरे नितंबों से लिपट गया। उसका लंड मेरे नितंबों के बीच रगड़ खा रहा था। रस्तोगी ने टेबल के ऊपर से एक बीयर की बोतल उठायी और जावेद को इशारा किया उसे खोलने के लिये। जावेद ने ओपनर ले कर उसके ढक्कन को खोला। रस्तोगी ने उस बोतल से बीयर मेरे एक मम्मे के ऊपर उढ़ेलनी शुरू की।
“स्वामी! ले पी ऐसा नशीला बीयर साले गेंडे तूने ज़िंदगी में नहीं पी होगी”, रस्तोगी ने कहा। स्वामी ने मेरे पूरे निप्पल को अपने मुँह में ले रखा था इसलिये मेरे मम्मे के ऊपर से होती हुई बीयर की धार मेरे निप्पल के ऊपर से स्वामी के मुँह में जा रही थी। वो खूब चटखारे ले-ले कर पी रहा था। मेरे पूरे जिस्म में सिहरन हो रही थी। मेरा निप्पल तो इतना लंबा और कड़ा हो गया था कि मुझे उसके साइज़ पर खुद ताज्जुब हो रहा था। बीयर की बोतल खत्म होने पर स्वामी ने भी वही दोहराया। इस बार स्वामी बीयर उढ़ेल रहा था और दूसरे निप्पल के ऊपर से बीयर चूसने वाला रस्तोगी था। दोनों ने इस तरह से बीयर खत्म की। मेरी चूत से इन सब हरकतों के कारण इतना रस निकल रहा था कि मेरी जाँघें भी गिली हो गयी थी। मैं उत्तेजना में अपनी दोनों जाँघों को एक दूसरे से रगड़ रही थी और अपने दोनों हाथों से उन दोनों के तने हुए लौड़ों को अपनी मुठ्ठी में लेकर सहला रही थी। अब मुझे उन दोनों के चुदाई में देरी करने पर गुस्सा आ रहा था। मेरी चूत में मानो आग लगी हुई थी। मैं सिसकारियाँ ले रही थी। मैं अपने निचले होंठों को दाँतों में दबा कर सिसकारियों को मुँह से बाहर निकलने से रोकती हुई जावेद को देख रही थी और आँखों ही आँखों में मानो कह रही थी कि “अब रहा नहीं जा रहा है। प्लीज़ इनको बोलो कि मुझे मसल मसल कर रख दें।”
इस खेल में उन दोनों का भी मेरे जैसा ही हाल हो गया था। अब वो भी अपने अंदर उबल रहे लावा को मेरी चूत में डाल कर शाँत होना चाहते थे। उनके लौड़ों से प्री-कम टपक रहा था।