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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
बबीता ने पूछा कि उनके कुछ दोस्त उनके साथ रहने के लिये आ रहे हैं तो क्या वो उन्हें साथ में पार्टी में ला सकती है। मैंने उसे हाँ कर दी। 

सबसे पहले पहुँचने वालों में प्रशाँत और बबीता ही थे। वे करीब सात बजे पहुँच गये थे। उनके साथ उनके दोस्त अविनाश और मिनी थे। दोनों की जोड़ी खूब जंच रही थी। अविनाश जिसे सब प्यार से अवी कहते थे, थ्री पीस सूट में काफी हेंडसम लग रहा था। और मिनी का तो कहना ही क्या; उसने काले रंग की डीप-कट ड्रेस पहन रखी थी जो उसके घुटनों तक आ रही थी। गोरा रंग, पतली कमर, सुडौल टाँगें और पैरों में चमचमाते हुए काले रंग के स्ट्रैपी हाई हील के सैंडल। मिनी काफी सुंदर दिखायी दे रहे। 
 
पर बबीता को देख कर तो मेरी साँसें ऊपर की ऊपर रह गयी। जैसे मैंने कहा था उसने लो-कट की काले कलर की टाईट ड्रेस पहन रखी थी। और वो मिनी की ड्रेस से भी छोटी थी। उसके घुटनों से थोड़ा ऊपर की और तक। ड्रेस इतनी छोटी थी कि बिना ड्रेस को ऊपर किये उसकी साफ और चिकनी चूत दिखायी दे सकती थी। पता नहीं बबीता ने कैसे हिम्मत की होगी बिना ब्रा और पैंटी के ये ड्रेस पहनने की।
 
प्रीती भी अपनी लाल ड्रेस ओर मैचिंग लाल सैंडलों में थी जो उसने इसी पार्टी के लिये नयी खरीदी थी। सबका परिचय कराने के बद मैं अपने काम में जुट गया। मैं बबीता को इशारा कर के बार काऊँटर की और बढ़ गया, और ड्रिंक्स बनाने लगा। जब मैं ड्रिंक्स  बना रहा था तब बबीता ने मेरे पीछे आ कर मेरे कान में कहा कि उसने वैसे ही किया जैसा मैंने उसे करने को कहा था।
 
वो मेरे सामने आकर अपनी टाँगें थोड़ी फैला कर खड़ी हो गयी, जैसे बताना चाहती हो कि वो सही कह रही है। मैंने जान बूझ कर अपने हाथ में पकड़ा बॉटल ओपनर नीचे जमीन पर गिरा दिया। जैसे ही मैं वो ओपनर उठाने को नीचे झुका तो बबीता ने अपनी ड्रेस उठा कर अपनी बालों रहित चूत को मेरे मुँह के आगे कर दिया। उसके इस अंदाज़ ने मेरे लंड को तन्ना दिया। मैंने थोड़ा सा आगे बढ़ कर हल्के से उसकी चूत को चूमा और खड़ा हो गया। अच्छा हुआ मेरी इस हर्कत को कमरे में बैठे लोगों ने नहीं देखा।
 
धीरे-धीरे लोग इकट्ठे होते जा रहे थे। बबीता मेरे साथ मेरे पीछे खड़ी मुझे ड्रिंक्स बनाने में सहायता कर रही थी। बार की आड़ लेकर मुझे जब भी मौका मिलता मैं उसके चूत्तड़ और उसकी गाँड पे हाथ फिरा देता। एक बार जब हमारी तरफ़ कोई नहीं देख रहा था तो उसने मेरा हाथ पकड़ अपनी चूत पे रख दिया और कहा,राज मेरी चूत को अपनी अँगुली से चोदो ना।
 
मेरा लंड मेरी पैंट में एक दम तन चुका था। अब मैं उसकी गर्मी शाँत करना चाहता था। पहले प्रीती को उसके नये डिल्डो के साथ और अब पिछले तीस मिनट बबीता के साथ खेलते हुए मेरा लंड पूरी तरह से तैयार था।
 
मैंने प्रीती के तरफ़ देखा। वो अविनाश और मिनी के साथ बातों मे मशगूल थी। प्रशाँत भी प्रीती के खयालों में खोया हुआ था। ये उप्युक्त समय था बबीता को गेस्ट रूम में ले जाकर चोदने का। मैंने बबीता से कहा, तुम गेस्ट रूम मे चलो... मैं तुम्हारे पीछे आता हूँ।
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RE: हिंदी की कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 05-07-2020, 10:14 PM



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