05-07-2020, 09:14 PM
रस्तोगी मेरी बगल में बैठ गया और मुझे चिन्ना स्वामी की गोद से खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया। मैं नशे में झूमती हुई चिन्नास्वामी के जिस्म से अलग हो कर रस्तोगी के जिस्म से लग गयी। स्वामी उठकर अपने कपड़ों को अपने जिस्म से अलग कर के वापस सोफ़े पर बैठ गया। वो नंगी हालत में अपने लंड को मेरे जिस्म से सटा कर उसे सहलाने लगा। रस्तोगी मेरे मम्मों को मसलता हुआ मेरे होंठों को चूम रहा था।
फिर वो जोर-जोर से मेरी दोनों छातियों को मसलने लगा। मेरे मुँह से “आआआऽऽऽहहऽऽऽ, ममऽऽऽ” जैसी आवाजें निकल रही थी। पराये मर्द के हाथ जिस्म पर पड़ते ही एक अजीब सा सेंसेशन होने लगता है। मेरे पूरे जिस्म में सिहरन सी दौड़ रही थी। रस्तोगी ने आईस बॉक्स से कुछ आईस क्यूब्स निकाल कर अपने ग्लास में डाले और एक आईस क्यूब निकाल कर मेरे निप्पल के चारों ओर फिराने लगा। उसकी इस हरकत से मेरा पूरा जिस्म गनगना उठा। मेरा मुँह खुल गया और जुबान सूखने लगी। ना चाहते हुए भी नशे में मुँह से उत्तेजना की अजीब-अजीब सी आवाजें निकलने लगी। मेरा निप्पल जितना फूल सकता था उतना फूल चुका था। वो फूल कर ऐसा कड़ा हो गया था मानो वो किसी पत्थर से बना हो। मेरे निप्पल के चारों ओर गोल काले चकते में रोंये खड़े हो गये थे और छोटे छोटे दाने जैसे निकल आये थे। बर्फ़ ठंडी थी और निप्पल गरम। दोनों के मिलन से बर्फ़ में आग सी लग गयी थी। फिर रस्तोगी ने उस बर्फ़ को अपने मुँह में डाल लिया और अपने दाँतों से उसे पकड़ कर दोबारा मेरे निप्पल के ऊपर फिराने लगा। मैं सिहरन से काँप रही थी। मैंने उसके सिर को पकड़ कर अपने मम्मे के ऊपर दबा दिया। उसकी साँसें घुट गयी थीं। मैंने सामने देखा कि जावेद मुझे इस तरह हरकत करता देख मंद-मंद मुस्कुरा रहा है। मैंने बेबसी से अपने दाँत से अपना निचला होंठ काट लिया। मेरा जिस्म गरम होता जा रहा था। नशे की वजह से बार-बार मैं उनकी हरकतों से खिलखिला कर हंस पड़ती थी। मैं नशे में इतनी धुत्त थी और अब उत्तेजना इतनी बढ़ गयी थी कि अगर मैं सब लोक लाज छोड़ कर रंडियों जैसी हरकतें भी करने लगती तो किसी को ताज्जुब नहीं होता। तभी स्वामी बचाव के लिये आगे आ गया।
“अइयो रस्तोगी.... तुम कितना देर करेगा। सारी रात ऐसा ही करता रहेगा क्या। मैं तो पागल हो जायेगा। अब आगे बढ़ो अन्ना।” स्वामी ने मुझे अपनी ओर खींचा। मैं गिरते हुए उसके काले रीछ की तरह बालों वाले सीने से लग गयी। उसने मुझे अपनी बाँहों में लेकर ऐसे दबाया कि मेरी साँस ही रुकने लगी। मुझे लगा कि शायद आज एक दो हड्डियाँ तो टूट ही जायेंगी। मेरी जाँघों के बीच उसका लंड धक्के मार रहा था। मैंने अपने हाथ नीचे ले जाकर उसके लंड को पकड़ा तो मेरी आँखें फ़टी की फ़टी रह गयीं। उसका लंड किसी बेस बाल के बल्ले की तरह मोटा था। इतना मोटा लंड तो मैंने बस ब्लू फ़िल्म में ही देखा था। उसका लंड ज्यादा लंबा नहीं था लेकिन इतना मोटा था कि मेरी चूत को चीर कर रख देता। उसके लंड की मोटाई मेरी कलाई के बराबर थी। मैं उसे अपनी मुठ्ठी में पूरी तरह से नहीं ले पा रही थी।
फिर वो जोर-जोर से मेरी दोनों छातियों को मसलने लगा। मेरे मुँह से “आआआऽऽऽहहऽऽऽ, ममऽऽऽ” जैसी आवाजें निकल रही थी। पराये मर्द के हाथ जिस्म पर पड़ते ही एक अजीब सा सेंसेशन होने लगता है। मेरे पूरे जिस्म में सिहरन सी दौड़ रही थी। रस्तोगी ने आईस बॉक्स से कुछ आईस क्यूब्स निकाल कर अपने ग्लास में डाले और एक आईस क्यूब निकाल कर मेरे निप्पल के चारों ओर फिराने लगा। उसकी इस हरकत से मेरा पूरा जिस्म गनगना उठा। मेरा मुँह खुल गया और जुबान सूखने लगी। ना चाहते हुए भी नशे में मुँह से उत्तेजना की अजीब-अजीब सी आवाजें निकलने लगी। मेरा निप्पल जितना फूल सकता था उतना फूल चुका था। वो फूल कर ऐसा कड़ा हो गया था मानो वो किसी पत्थर से बना हो। मेरे निप्पल के चारों ओर गोल काले चकते में रोंये खड़े हो गये थे और छोटे छोटे दाने जैसे निकल आये थे। बर्फ़ ठंडी थी और निप्पल गरम। दोनों के मिलन से बर्फ़ में आग सी लग गयी थी। फिर रस्तोगी ने उस बर्फ़ को अपने मुँह में डाल लिया और अपने दाँतों से उसे पकड़ कर दोबारा मेरे निप्पल के ऊपर फिराने लगा। मैं सिहरन से काँप रही थी। मैंने उसके सिर को पकड़ कर अपने मम्मे के ऊपर दबा दिया। उसकी साँसें घुट गयी थीं। मैंने सामने देखा कि जावेद मुझे इस तरह हरकत करता देख मंद-मंद मुस्कुरा रहा है। मैंने बेबसी से अपने दाँत से अपना निचला होंठ काट लिया। मेरा जिस्म गरम होता जा रहा था। नशे की वजह से बार-बार मैं उनकी हरकतों से खिलखिला कर हंस पड़ती थी। मैं नशे में इतनी धुत्त थी और अब उत्तेजना इतनी बढ़ गयी थी कि अगर मैं सब लोक लाज छोड़ कर रंडियों जैसी हरकतें भी करने लगती तो किसी को ताज्जुब नहीं होता। तभी स्वामी बचाव के लिये आगे आ गया।
“अइयो रस्तोगी.... तुम कितना देर करेगा। सारी रात ऐसा ही करता रहेगा क्या। मैं तो पागल हो जायेगा। अब आगे बढ़ो अन्ना।” स्वामी ने मुझे अपनी ओर खींचा। मैं गिरते हुए उसके काले रीछ की तरह बालों वाले सीने से लग गयी। उसने मुझे अपनी बाँहों में लेकर ऐसे दबाया कि मेरी साँस ही रुकने लगी। मुझे लगा कि शायद आज एक दो हड्डियाँ तो टूट ही जायेंगी। मेरी जाँघों के बीच उसका लंड धक्के मार रहा था। मैंने अपने हाथ नीचे ले जाकर उसके लंड को पकड़ा तो मेरी आँखें फ़टी की फ़टी रह गयीं। उसका लंड किसी बेस बाल के बल्ले की तरह मोटा था। इतना मोटा लंड तो मैंने बस ब्लू फ़िल्म में ही देखा था। उसका लंड ज्यादा लंबा नहीं था लेकिन इतना मोटा था कि मेरी चूत को चीर कर रख देता। उसके लंड की मोटाई मेरी कलाई के बराबर थी। मैं उसे अपनी मुठ्ठी में पूरी तरह से नहीं ले पा रही थी।