05-07-2020, 09:12 PM
मुझे वहाँ मौजूद हर मर्द पर गुस्सा आ रहा था लेकिन मेरा जिस्म, मेरे दिमाग में चल रही उथल पुथल से बिल्कुल बेखबर अपनी भूख से पागल हो रहा था। मैं अपना दूसरा ग्लास भी लगभग खाली कर चुकी थी लेकिन पता नहीं क्यों, व्हिस्की और बीयर की इतनी स्ट्रॉंग कॉकटेल पीने के बावजूद मुझे कुछ खास नशा महसूस नहीं हो रहा था। रस्तोगी से और नहीं रहा गया तो उसने उठ कर मुझे हाथ पकड़ कर खड़ा किया और मेरे जिस्म पर झूल रही मेरी इक्लौती साड़ी को खींच कर अलग कर दिया। अब तक मेरे जिस हुस्न की साड़ी के बाहर से झलक सी मिल रही थी, वो अब बेपर्दा होकर सामने आ गया। अब मैं सिर्फ वो हाई-हील के सैंडल पहने बिल्कुल नंगी उनके सामने अपना ड्रिंक का ग्लास पकड़े खड़ी थी। मैं शरम से दोहरी हो गयी। रस्तोगी ने मेरे जिस्म के पीछे से लिपट कर मुझे अपने गुप्ताँगों को छिपाने से रोका। उसने मेरी बगलों के नीचे से अपने हाथों को डाल कर मेरे दोनों मम्मे थाम लिये और उन्हें अपने हथेलियों से ऊपर उठा कर स्वामी के सामने करके एक भद्दी सी हंसी हंसा।
“स्वामी... देख क्या माल है। साली खूब मजे देगी।” और उसने मेरे दोनों निप्पलों को अपनी चुटकियों में भर कर बुरी तरह उमेठ दिया। मैं दर्द से “आआआऽऽऽऽहहहऽऽऽ” कर उठी। स्वामी अपनी हथेली से मेरी चूत के ऊपर सहला रहा था। मैं अपनी दोनों टाँगों को सख्ती से एक दूसरे से भींचे खड़ी थी जिससे मेरी चूत उनके सामने छिपी रहे। लेकिन स्वामी ने जबरदस्ती अपनी दो अँगुलियाँ मेरी दोनों टाँगों के बीच घुसेड़ दी। मैंने अपना ग्लास एक घूँट में खाली किया तो रस्तोगी ने ग्लास मेरे हाथ से लेकर टेबल पर रख दिया। दो मिनट पहले तक मुझे कुछ खास नशा महसूस नहीं हो रहा था पर अब अचानक एक ही पल में जोर का नशा मेरे सिर चड़ कर ताँडव करने लगा और मैं झूमने लगी।
चिन्नास्वामी ने मुझे बाँहों से पकड़ अपनी ओर खींचा तो मैं नशे में झूमती हुई लड़खड़ा कर उसकी गोद में गिर गयी। उसने मेरे नंगे जिस्म को अपनी मजबूत बाँहों में भर लिया और मुझे अपने सीने में कस कर दबा दिया। मेरी बड़ी-बड़ी चूचियाँ उसके मजबूत सीने पर दब कर चपटी हो रही थी। चिन्नास्वामी ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मुझे उसके इस तरह अपनी जीभ मेरे मुँह में फिराने से घिन्न आ रही थी लेकिन मैंने अपने जज़बातों को कंट्रोल किया। उसके दोनों हाथों ने मेरी दोनों छातियों को थाम लिया और अब वो उन दोनों को आते की तरह गूंथ रहे थे। मेरे दोनों गोरे मम्मे उसके मसलने के कारण लाल हो गये थे और दर्द करने लगे थे।
“अबे स्वामी इन तने हुए फ़लों को क्या उखाड़ फ़ेंकने का इरादा है तेरा? जरा प्यार से सहला इन खरबूजों को। तू तो इस तरह हरकत कर रहा है मानो तू इसका रेप कर रहा हो। ये पूरी रात हमारे साथ रहेगी इसलिये जरा प्यार से....” रस्तोगी ने चिन्नास्वामी को टोका।
“स्वामी... देख क्या माल है। साली खूब मजे देगी।” और उसने मेरे दोनों निप्पलों को अपनी चुटकियों में भर कर बुरी तरह उमेठ दिया। मैं दर्द से “आआआऽऽऽऽहहहऽऽऽ” कर उठी। स्वामी अपनी हथेली से मेरी चूत के ऊपर सहला रहा था। मैं अपनी दोनों टाँगों को सख्ती से एक दूसरे से भींचे खड़ी थी जिससे मेरी चूत उनके सामने छिपी रहे। लेकिन स्वामी ने जबरदस्ती अपनी दो अँगुलियाँ मेरी दोनों टाँगों के बीच घुसेड़ दी। मैंने अपना ग्लास एक घूँट में खाली किया तो रस्तोगी ने ग्लास मेरे हाथ से लेकर टेबल पर रख दिया। दो मिनट पहले तक मुझे कुछ खास नशा महसूस नहीं हो रहा था पर अब अचानक एक ही पल में जोर का नशा मेरे सिर चड़ कर ताँडव करने लगा और मैं झूमने लगी।
चिन्नास्वामी ने मुझे बाँहों से पकड़ अपनी ओर खींचा तो मैं नशे में झूमती हुई लड़खड़ा कर उसकी गोद में गिर गयी। उसने मेरे नंगे जिस्म को अपनी मजबूत बाँहों में भर लिया और मुझे अपने सीने में कस कर दबा दिया। मेरी बड़ी-बड़ी चूचियाँ उसके मजबूत सीने पर दब कर चपटी हो रही थी। चिन्नास्वामी ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मुझे उसके इस तरह अपनी जीभ मेरे मुँह में फिराने से घिन्न आ रही थी लेकिन मैंने अपने जज़बातों को कंट्रोल किया। उसके दोनों हाथों ने मेरी दोनों छातियों को थाम लिया और अब वो उन दोनों को आते की तरह गूंथ रहे थे। मेरे दोनों गोरे मम्मे उसके मसलने के कारण लाल हो गये थे और दर्द करने लगे थे।
“अबे स्वामी इन तने हुए फ़लों को क्या उखाड़ फ़ेंकने का इरादा है तेरा? जरा प्यार से सहला इन खरबूजों को। तू तो इस तरह हरकत कर रहा है मानो तू इसका रेप कर रहा हो। ये पूरी रात हमारे साथ रहेगी इसलिये जरा प्यार से....” रस्तोगी ने चिन्नास्वामी को टोका।