05-07-2020, 09:08 PM
जावेद केबिनेट से बीयर की कईं बोतलें और एक स्कॉच व्हिस्की की बोतल ले कर आया। उसे उसने स्वामी की तरफ़ बढ़ाया।
“नक्को.. भाभी जान खोलेंगी!” उसने एक बीयर की बोतल मेरे आगे करते हुए कहा।
“लो हम तीनों के लिये बीयर डालो ग्लास में और अपने लिये व्हिस्की। रस्तोगी अन्ना का गला प्यास से सूख रहा होगा!” चिन्ना ने कहा।
“जावेद! योर वाईफ इज़ अ रियल ज्वैल…” रस्तोगी ने कहा, “यू लकी बास्टर्ड, क्या सैक्सी जिस्म है इसका। यू आर रियली अ लकी बगर।” जावेद तब तक सामने के सोफ़े पर बैठ चुका था। दोनों के हाथ आपस में मेरे एक एक मम्मे को बाँट चुके थे। दोनों साड़ी के आंचल को छातियों से हटा कर मेरे दोनों मम्मों को चूम रहे थे। ऐसी हालत में तीनों के लिये बीयर उढ़ेलना एक मुश्किल का काम था। दोनों तो ऐसे जोंक की तरह मेरे जिस्म से चिपके हुए थे कि कोशिश के बाद भी उन्हें अलग नहीं कर सकी।
मैंने उसी हालत में तीनों ग्लास में बीयर डाली और अपने लिये एक ग्लास में व्हिस्की डाली और जब मैं अपनी व्हिस्की में सोडा डालने लगी तो रस्तोगी ने मेरे व्हिस्की के ग्लास को बीयर से भर दिया। फिर मैंने बीयर के ग्लास उनकी तरफ़ बढ़ाये।
पहला ग्लास मैंने रस्तोगी की तरफ़ बढ़ाया। “इस तरह नहीं। जो साकी होता है.... पहले वो ग्लास से एक सिप लेता है फिर वो दूसरों को देता है!”
मैंने ग्लास के रिम को अपने होंठों से छुआ और फिर एक सिप लेकर उसे रस्तोगी कि तरफ़ बढ़ा दिया। फिर दूसरा ग्लास उसी तरह चिन्ना स्वामी को दिया और तीसरा जावेद को। तीनों ने मेरी खूबसूरती पर चियर्स किया। सबने अपने-अपने ग्लास होंठों से लगा लिये। मैं भी व्हिस्की और बियर की कॉकटेल पीने लगी। मेरी धड़कनें तेजी सी चल रही थीं और बेचैनी में मैंने चार-पाँच घूँट में ही अपना ग्लास खाली कर दिया।
“मस्त हो भाभी जान तुम....” कहकर रस्तोगी मेरे लिये दूसरा पैग बनाने लगा। उसने मेरा ग्लास व्हिस्की से आधा भर दिया और बाकी आधा बीयर से भर कर ग्लास मुझे पकड़ा दिया। इतने में जावेद ने सिगरेट का पैकेट चिन्ना स्वामी की तरफ बढ़ाया।
“नक्को.. भाभी जान खोलेंगी!” उसने एक बीयर की बोतल मेरे आगे करते हुए कहा।
“लो हम तीनों के लिये बीयर डालो ग्लास में और अपने लिये व्हिस्की। रस्तोगी अन्ना का गला प्यास से सूख रहा होगा!” चिन्ना ने कहा।
“जावेद! योर वाईफ इज़ अ रियल ज्वैल…” रस्तोगी ने कहा, “यू लकी बास्टर्ड, क्या सैक्सी जिस्म है इसका। यू आर रियली अ लकी बगर।” जावेद तब तक सामने के सोफ़े पर बैठ चुका था। दोनों के हाथ आपस में मेरे एक एक मम्मे को बाँट चुके थे। दोनों साड़ी के आंचल को छातियों से हटा कर मेरे दोनों मम्मों को चूम रहे थे। ऐसी हालत में तीनों के लिये बीयर उढ़ेलना एक मुश्किल का काम था। दोनों तो ऐसे जोंक की तरह मेरे जिस्म से चिपके हुए थे कि कोशिश के बाद भी उन्हें अलग नहीं कर सकी।
मैंने उसी हालत में तीनों ग्लास में बीयर डाली और अपने लिये एक ग्लास में व्हिस्की डाली और जब मैं अपनी व्हिस्की में सोडा डालने लगी तो रस्तोगी ने मेरे व्हिस्की के ग्लास को बीयर से भर दिया। फिर मैंने बीयर के ग्लास उनकी तरफ़ बढ़ाये।
पहला ग्लास मैंने रस्तोगी की तरफ़ बढ़ाया। “इस तरह नहीं। जो साकी होता है.... पहले वो ग्लास से एक सिप लेता है फिर वो दूसरों को देता है!”
मैंने ग्लास के रिम को अपने होंठों से छुआ और फिर एक सिप लेकर उसे रस्तोगी कि तरफ़ बढ़ा दिया। फिर दूसरा ग्लास उसी तरह चिन्ना स्वामी को दिया और तीसरा जावेद को। तीनों ने मेरी खूबसूरती पर चियर्स किया। सबने अपने-अपने ग्लास होंठों से लगा लिये। मैं भी व्हिस्की और बियर की कॉकटेल पीने लगी। मेरी धड़कनें तेजी सी चल रही थीं और बेचैनी में मैंने चार-पाँच घूँट में ही अपना ग्लास खाली कर दिया।
“मस्त हो भाभी जान तुम....” कहकर रस्तोगी मेरे लिये दूसरा पैग बनाने लगा। उसने मेरा ग्लास व्हिस्की से आधा भर दिया और बाकी आधा बीयर से भर कर ग्लास मुझे पकड़ा दिया। इतने में जावेद ने सिगरेट का पैकेट चिन्ना स्वामी की तरफ बढ़ाया।