05-07-2020, 08:27 PM
“अगर आपने प्रीती भाभी के साथ ये सब ना किया होता तो ये हमारे साथ इस तरह ना करती”, अंजू बोली।
“प्रीती! तुम ही इन्हें समझाओ ना कि तुम्हारा बदला पूरा हो चुका है”, मैंने मिन्नत करते हुए कहा।
“करने दो इन दोनों को, इन्हें कोई तकलीफ़ नहीं होगी... मैं हमेशा साथ रहुँगी। आओ पहले मैं तुम्हें इन दोनों की कुँवारी चूत के फटने की कुछ तसवीरें दिखाती हूँ”, प्रीती ने पर्स में से तसवीरें निकालते हुए कहा।
“भाभी! आप ने हम लोगों की तसवीरें कब निकाली?” अंजू ने पूछा।
“भाभी आप बड़ी बदमाश हो, आपको ऐसा नहीं करना चाहिये था”, मंजू बोली।
उनकी अलग-अलग रूप में चुदाई की तसवीरें देख कर मैं पागल सा हो गया, “बस अब मुझसे और बर्दाश्त नहीं होता”, कहकर मैंने वो तसवीरें फेंक दीं।
“चलो लड़कियों! अब नहा धो कर तैयार हो जाओ, तब तक मैं फोन करके पास के होटल से खाना मंगवा लेती हूँ, आज मैंने बहुत पी ली है... खाना बनाने की हिम्मत नहीं है मुझमें”, प्रीती ने उन दोनों से कहा।
खाना खाते समय हम लोग बातें कर रहे थे कि प्रीती बोली, “चलो अब तुम लोग भी सोने जाओ और मैं भी सोने जा रही हूँ।”
“इतनी जल्दी भाभी? अभी तो बहुत वक्त पड़ा है,” अंजू बोली।
“हाँ इतनी जल्दी! क्योंकि आज मैं तुम्हारे भैया के लंड की एक-एक बूँद अपनी चूत में ले लूँगी। कई दिन हो गये हैं तुम्हारे भैया के मोटे लंड से नहीं चुदवाया है...” कहकर प्रीती मुझे घसीट कर बेडरूम में ले आयी।
रात भर हम जमकर चुदाई करते रहे। प्रीती ने मुझे एक पल भी साँस नहीं लेने दी।
अगले दिन मैं जब ऑफिस पहुँचा तो महेश मुझे एक नये केबिन की और ले गया। दरवाजे पर नेम प्लेट लगी थी, राज अग्रवाल {फायनेंस और अकाऊँट्स मैनेजर}। “थैंक यू सर”, मैंने खुश होते हुए कहा।
“मुझे नहीं! अपने एम-डी साहिब को थैंक यू बोलो, उन्होंने रातों रात इसे तैयार करवाया है, जाओ अब मजे लो... स्पेशियली इस नये सोफ़े का। तुम्हारी तीनों एसिस्टेंट्स इंतज़ार कर रही हैं...” महेश हँसते हुए बोला।
नया केबिन पहले केबिन से बड़ा था और उसकी खासियत यह थी कि उसमें सोफ़ा-कम-बेड भी था। अपनी तीनों एसिस्टेंट्स को बुला कर मैंने नये सोफ़े पर चुदाई का आनंद लिया।
“प्रीती! तुम ही इन्हें समझाओ ना कि तुम्हारा बदला पूरा हो चुका है”, मैंने मिन्नत करते हुए कहा।
“करने दो इन दोनों को, इन्हें कोई तकलीफ़ नहीं होगी... मैं हमेशा साथ रहुँगी। आओ पहले मैं तुम्हें इन दोनों की कुँवारी चूत के फटने की कुछ तसवीरें दिखाती हूँ”, प्रीती ने पर्स में से तसवीरें निकालते हुए कहा।
“भाभी! आप ने हम लोगों की तसवीरें कब निकाली?” अंजू ने पूछा।
“भाभी आप बड़ी बदमाश हो, आपको ऐसा नहीं करना चाहिये था”, मंजू बोली।
उनकी अलग-अलग रूप में चुदाई की तसवीरें देख कर मैं पागल सा हो गया, “बस अब मुझसे और बर्दाश्त नहीं होता”, कहकर मैंने वो तसवीरें फेंक दीं।
“चलो लड़कियों! अब नहा धो कर तैयार हो जाओ, तब तक मैं फोन करके पास के होटल से खाना मंगवा लेती हूँ, आज मैंने बहुत पी ली है... खाना बनाने की हिम्मत नहीं है मुझमें”, प्रीती ने उन दोनों से कहा।
खाना खाते समय हम लोग बातें कर रहे थे कि प्रीती बोली, “चलो अब तुम लोग भी सोने जाओ और मैं भी सोने जा रही हूँ।”
“इतनी जल्दी भाभी? अभी तो बहुत वक्त पड़ा है,” अंजू बोली।
“हाँ इतनी जल्दी! क्योंकि आज मैं तुम्हारे भैया के लंड की एक-एक बूँद अपनी चूत में ले लूँगी। कई दिन हो गये हैं तुम्हारे भैया के मोटे लंड से नहीं चुदवाया है...” कहकर प्रीती मुझे घसीट कर बेडरूम में ले आयी।
रात भर हम जमकर चुदाई करते रहे। प्रीती ने मुझे एक पल भी साँस नहीं लेने दी।
अगले दिन मैं जब ऑफिस पहुँचा तो महेश मुझे एक नये केबिन की और ले गया। दरवाजे पर नेम प्लेट लगी थी, राज अग्रवाल {फायनेंस और अकाऊँट्स मैनेजर}। “थैंक यू सर”, मैंने खुश होते हुए कहा।
“मुझे नहीं! अपने एम-डी साहिब को थैंक यू बोलो, उन्होंने रातों रात इसे तैयार करवाया है, जाओ अब मजे लो... स्पेशियली इस नये सोफ़े का। तुम्हारी तीनों एसिस्टेंट्स इंतज़ार कर रही हैं...” महेश हँसते हुए बोला।
नया केबिन पहले केबिन से बड़ा था और उसकी खासियत यह थी कि उसमें सोफ़ा-कम-बेड भी था। अपनी तीनों एसिस्टेंट्स को बुला कर मैंने नये सोफ़े पर चुदाई का आनंद लिया।