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Misc. Erotica मैं हसीना गज़ब की
“तुम घबराओ मत जानेमन! तुम पर किसी तरह की परेशानी नहीं आने दूँगी।” 

मैंने नसरीन भाभी जान से फ़ोन पर इस बारे में कुछ घूमा फ़िरा कर चर्चा की तो पता चला उनके साथ भी इस तरह के वाक्यात होते रहते हैं। मैंने उन्हें उन दोनों के बारे में बताया तो उन्होंने मुझे कहा कि बिज़नेस में इस तरह के ऑफर्स चलते रहते हैं और मुझे आगे भी इस तरह की किसी सिच्युवेशन के लिये हमेशा तैयार रहना चाहिये। उन्होंने सलाह दी कि मैं नेगेटिव ना सोचूँ और ऐसे मौकों पर खुद भी इंजॉय करूँ
 
उस दिन शाम को मैं बन संवर कर तैयार हुई। मैंने कमर में एक डोरी की सहायता से अपनी साड़ी को लपेटा। मेरा पूरा जिस्म सामने से साफ़ झलक रहा था। मैं कितनी भी कोशिश करती अपने गुप्ताँगों को छिपाने की, लेकिन कुछ भी नहीं छिपा पा रही थी। एक अंग पर साड़ी दोहरी करती तो दूसरे अंग के लिये साड़ी नहीं बचती। खैर मैंने उसे अपने जिस्म पर नॉर्मल साड़ी की तरह पहना। फिर उनके दिये हुए हाई-हील के सैंडल पहने जिनके स्ट्रैप मेरी टाँगों पर क्रिसक्रॉस होते हुए घुटनों के नीचे बंधते थे। मैंने उन लोगों के आने से पहले अपने आप को एक बार आईने में देख कर तसल्ली की और साड़ी के आंचल को अपनी छातियों पर दोहरा करके लिया। फिर भी मेरे मम्मे साफ़ झलक रहे थे।
 
उन लोगों की पसंद के मुताबिक मैंने अपने चेहरे पर गहरा मेक-अप किया था। मैंने उनके आने से पहले कोंट्रासेप्टिव का इस्तेमल कर लिया था क्योंकि प्रिकॉशन लेने के मामले में इस तरह के संबंधों में किसी पर भरोसा करना एक भूल होती है।
 
उनके आने पर जावेद ने जा कर दरवाजा खोला। मैं अंदर ही रही। उनकी बातें करने की आवाज से समझ गयी कि दोनों अपनी रात हसीन होने की कल्पना करके चहक रहे हैं। मैंने एक गहरी साँस लेकर अपने आप को वक्त के हाथों छोड़ दिया। जब इसके अलावा हमारे सामने कोई रास्ता ही नहीं बचा था तो फिर कोई झिझक कैसी। मैंने अपने आप को उनकी खुशी के मुताबिक पूरी तरह से निसार करने की ठान ली।
 
जावेद के आवाज देने पर मैं एक ट्रे में चार ग्लास और आईस क्यूब कंटेनर लेकर ड्राइंग रूम में पहुँची। सब की आँखें मेरे हुस्‍न को देख कर बड़ी-बड़ी हो गयी। मेरी आँखें जमीन में धंसी जा रही थी। मैं शरम से पानी-पानी हो रही थी। किसी अंजान के सामने अपने जिस्म की नुमाईश करने का ये मेरा पहल मौका था। मैं हाई-हील सैंडलों में धीरे-धीरे कदम बढ़ाती हुई उनके पास पहुँची। मैं अपनी झुकी हुई नजरों से देख रही थी कि मेरे आजाद मम्मे मेरे जिस्म के हर हल्के से हिलने पर काँप उठते और उनकी ये उछल कूद सामने बैठे लोगों की भूखी आँखों को राहत दे रही थी।
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RE: मैं हसीना गज़ब की - by rohitkapoor - 29-06-2020, 02:32 AM



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