29-06-2020, 02:30 AM
भाग ७
मैंने उस पैकेट को खोल कर देखा। उसमें एक पारदर्शी झिलमिलाती साड़ी थी और साथ में काफी ऊँची और पतली हील के सैंडल थे और कुछ भी नहीं था। उनके कहे अनुसार मुझे अपने नंगे जिस्म पर सिर्फ वो साड़ी और सैंडल पहनने थे बिना किसी पेटीकोट और ब्लाऊज़ के। साड़ी इतनी महीन थी कि उसके दूसरी तरफ़ की हर चीज़ साफ़-साफ़ दिखायी दे रही थी।
“ये..?? ये क्या है? मैं ये साड़ी पहनुँगी? इसके साथ अंडरगार्मेंट्स कहाँ हैं?” मैंने जावेद से पूछा।
“कोई अंडरगार्मेंट नहीं है। वैसे भी कुछ ही देर में ये भी वो तुम्हारे जिस्म से नोच देंगे और तुम सिर्फ इन सैंडलों में रह जाओगी।” मैं एक दम से चुप हो गयी।
"तुम?...... तुम कहाँ रहोगे?” मैंने कुछ देर बाद पूछा।
"वहीं तुम्हारे पास!” जावेद ने कहा।
“नहीं तुम वहाँ मत रहना। तुम कहीं चले जाना। मैं तुम्हारे सामने वो सब नहीं कर पाऊँगी..... मुझे शरम आयेगी”, मैंने जावेद से लिपटते हुए कहा।
“क्या करूँ। मैं भी उस समय वहाँ मौजूद नहीं रहना चाहता। मैं भी अपनी बीवी को किसी और की बाँहों में झूलता सहन नहीं कर सकता। लेकिन उन दोनों हरामजादों ने मुझे बेइज्जत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वो जानते हैं कि मेरी दुखती रग उन लोगों के हाथों में दबी है। इसलिये वो जो भी कहेंगे मुझे करना पड़ेगा। उन सालों ने मुझे उस वक्त वहीं मौजूद रहने को कहा है”, कहते-कहते उनका चेहरा लाल हो गया और उनकी आवाज रुंध गयी। मैंने उनको अपनी बाँहों में ले लिया और उनके सिर को अपने दोनों मम्मों में दबा कर साँतवना दी।