29-06-2020, 02:21 AM
“फिर क्या....? जो होना है होकर रहेगा।” उन्होंने एक गहरी साँस ली। मैंने उन्हें इतना परेशान कभी नहीं देखा था।
“कल आप उनको कह दो कि लड़कियों का इंतज़ाम हो जायेगा।” मैंने कहा, “देखते हैं उनके यहाँ पहुँचने से पहले क्या किया जा सकता है।”
अगले दिन जब वो आये तो उन्हें रिलैक्स्ड पाने कि जगह और ज्यादा टूटा हुआ पाया। मैंने कारण पूछा तो वो टाल गये।
“आपने बात की थी उनसे?”
“हाँ!”
“फिर क्या कहा आपने? वो तैयार हो गये? अरे परेशान क्यों होते हो..... हम लोग इस तरह की किसी औरत को ढूँढ लेंगे। जो दिखने में सीधी साधी घरेलू औरत लगे।”
“अब कुछ नहीं हो सकता!”
“क्यों?” मैंने पूछा।
“तुम्हें याद है वो हमारे निकाह में आये थे।“
“आये होंगे… तो?”
“कल आप उनको कह दो कि लड़कियों का इंतज़ाम हो जायेगा।” मैंने कहा, “देखते हैं उनके यहाँ पहुँचने से पहले क्या किया जा सकता है।”
अगले दिन जब वो आये तो उन्हें रिलैक्स्ड पाने कि जगह और ज्यादा टूटा हुआ पाया। मैंने कारण पूछा तो वो टाल गये।
“आपने बात की थी उनसे?”
“हाँ!”
“फिर क्या कहा आपने? वो तैयार हो गये? अरे परेशान क्यों होते हो..... हम लोग इस तरह की किसी औरत को ढूँढ लेंगे। जो दिखने में सीधी साधी घरेलू औरत लगे।”
“अब कुछ नहीं हो सकता!”
“क्यों?” मैंने पूछा।
“तुम्हें याद है वो हमारे निकाह में आये थे।“
“आये होंगे… तो?”