28-06-2020, 07:22 PM
मैं समझ गया कि प्रीती का समय नज़दीक आ गया है। उसने जोर से अपने चूत्तड़ ऊपर उठा कर प्रशाँत के लंड को अपनी गिरफ़्त मे ले अपना पानी छोड़ दिया। प्रशाँत का भी काम होने वाला था। वोह अपना लंड प्रीती की चूत से बाहर निकाल कर हिलाने लगा और फिर उसके पेट और छाती पर अपने वीर्य की बरसात कर दी।
प्रशाँत अपना लंड फिर उसकी चूत में घुसा कर धक्के मारने लगा। थोड़ी देर बाद उसने अपना लंड बाहर निकाला तो वो प्रीती की चूत के पानी और खुद के सफ़ेद वीर्य से लिसड़ा हुआ था। प्रशाँत ने थोड़ा साईड में हो कर अपना लंड प्रीती के मुँह में दे दिया। और बबीता अपने आप को एडजस्ट कर अपना मुँह प्रीती की चूत पर रख के उसे चाटने लगी।
मेरा लंड फिर तनाव में आ गया था और मैं जोर के धक्कों के साथ बबीता को चोद रहा था। बबीता मेरी बीवी की चूत को चूस रही थी और प्रीती प्रशाँत के लंड को। माहौल में काम की आग दहक रही थी और हम चारों उत्तेजना से भरे पड़े थे।
दो चार कस के धक्के मार कर मैंने एक बार फिर अपना पानी बबीता की चूत में छोड़ दिया। प्रीती की चूत ने भी बबीता के मुँह में अपना पानी छोड़ दिया और वहीं प्रीती भी प्रशाँत के लंड से छूटे पानी को पी रही थी।
हम चारों पसीने में लथ-पथ थे और साँसें तेज हो गयी थी। ऐसी जमकर चुदाई शायद सभी ने पहली बार की थी। हम सब लेट कर सुस्ताने लगे। बबीता ने मुझे बांहों में भर कर चूमते हुए कहा, “राज ऐसी चुदाई मैंने आज पहली बार की है, तुम्हारे चोदने का अंदाज़ सही में निराला है।”
“बबीता... ये तो मुझे प्रशाँत ने सिखाया कि तुम्हें किस तरह की चुदाई पसंद है,” मैंने उसे चूमते हुए जवाब दिया।
रात के बारह बज चुके थे और दूसरे दिन काम पर भी जाना था। प्रशाँत और बबीता खड़े हो कर अपने कपड़े पहनने लगे। कपड़े पहन कर दोनों ने हमसे विदा ली और अपने घर चले गये। मैं और प्रीती भी एक दूसरे को बांहों में ले सो गये।
अगले कुछ दिनों तक हमारी मुलाकात प्रशाँत और बबीता से नहीं हो पायी। उस रात की चुदाई ने हमारी सैक्स लाईफ को एक नया मोड़ दिया था। अक्सर रात को बिस्तर में हम उस रात की चर्चा करते और जमकर चुदाई करते। हम दोनों की इच्छा थी कि प्रशाँत और बबीता के साथ एक रात और गुज़ारी जाये।
एक दिन शाम के छः बजे प्रशाँत हमारे घर आया। उसने बताया कि वो ऑफिस के काम में काफी मशगूल था, इसलिए हम लोगों से नहीं मिल पाया। बातचीत के दौरान मैंने प्रशाँत को बताया कि अगले वीक-एंड पर मैं और प्रीती गोआ घूमने जा रहे हैं। मैंने प्रशाँत से कहा, “प्रशाँत तुम और बबीता क्यों नहीं साथ चलते हो?”
प्रशाँत अपना लंड फिर उसकी चूत में घुसा कर धक्के मारने लगा। थोड़ी देर बाद उसने अपना लंड बाहर निकाला तो वो प्रीती की चूत के पानी और खुद के सफ़ेद वीर्य से लिसड़ा हुआ था। प्रशाँत ने थोड़ा साईड में हो कर अपना लंड प्रीती के मुँह में दे दिया। और बबीता अपने आप को एडजस्ट कर अपना मुँह प्रीती की चूत पर रख के उसे चाटने लगी।
मेरा लंड फिर तनाव में आ गया था और मैं जोर के धक्कों के साथ बबीता को चोद रहा था। बबीता मेरी बीवी की चूत को चूस रही थी और प्रीती प्रशाँत के लंड को। माहौल में काम की आग दहक रही थी और हम चारों उत्तेजना से भरे पड़े थे।
दो चार कस के धक्के मार कर मैंने एक बार फिर अपना पानी बबीता की चूत में छोड़ दिया। प्रीती की चूत ने भी बबीता के मुँह में अपना पानी छोड़ दिया और वहीं प्रीती भी प्रशाँत के लंड से छूटे पानी को पी रही थी।
हम चारों पसीने में लथ-पथ थे और साँसें तेज हो गयी थी। ऐसी जमकर चुदाई शायद सभी ने पहली बार की थी। हम सब लेट कर सुस्ताने लगे। बबीता ने मुझे बांहों में भर कर चूमते हुए कहा, “राज ऐसी चुदाई मैंने आज पहली बार की है, तुम्हारे चोदने का अंदाज़ सही में निराला है।”
“बबीता... ये तो मुझे प्रशाँत ने सिखाया कि तुम्हें किस तरह की चुदाई पसंद है,” मैंने उसे चूमते हुए जवाब दिया।
रात के बारह बज चुके थे और दूसरे दिन काम पर भी जाना था। प्रशाँत और बबीता खड़े हो कर अपने कपड़े पहनने लगे। कपड़े पहन कर दोनों ने हमसे विदा ली और अपने घर चले गये। मैं और प्रीती भी एक दूसरे को बांहों में ले सो गये।
अगले कुछ दिनों तक हमारी मुलाकात प्रशाँत और बबीता से नहीं हो पायी। उस रात की चुदाई ने हमारी सैक्स लाईफ को एक नया मोड़ दिया था। अक्सर रात को बिस्तर में हम उस रात की चर्चा करते और जमकर चुदाई करते। हम दोनों की इच्छा थी कि प्रशाँत और बबीता के साथ एक रात और गुज़ारी जाये।
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एक दिन शाम के छः बजे प्रशाँत हमारे घर आया। उसने बताया कि वो ऑफिस के काम में काफी मशगूल था, इसलिए हम लोगों से नहीं मिल पाया। बातचीत के दौरान मैंने प्रशाँत को बताया कि अगले वीक-एंड पर मैं और प्रीती गोआ घूमने जा रहे हैं। मैंने प्रशाँत से कहा, “प्रशाँत तुम और बबीता क्यों नहीं साथ चलते हो?”