28-06-2020, 07:13 PM
मैं भी अपनी जींस और अंडरवियर से बाहर निकल नंगा बबीता के सामने खड़ा था। बबीता ने मेरे लंड को अपने हाथों में लिया, जो तन कर सढ़े आठ इंच का हो गया था। “बहुत मोटा और लंबा है” कहकर बबीता लंड को दबाने लगी।
मैंने घूम कर देखा तो पाया कि मेरी बीवी मुझसे आगे ही थी। प्रीती प्रशाँत के सामने घुटनों के बल बैठी उसके लंड को हाथों में पकड़े हुए थी। प्रशाँत का लंड लंबाई में मेरे ही साईज़ का था पर कुछ मुझसे ज्यादा मोटा था। प्रीती उसके लंड की पूरी लंबाई को सहलाते हुए उसके सुपाड़े को चाट रही थी।
मुझे पता था कि प्रीती की इस हर्कत का असर प्रशाँत पर बुरा पड़ने वाला है। प्रीती लंड चूसने में इतनी माहिर थी कि उसकी बराबरी कोई नहीं कर सकता था। उसका लंड चूसने का अंदाज़ ही अलग था। वो पहले लंड के सुपाड़े को अपने होठों में ले कर चूसती और फिर धीरे-धीरे लंड को अपने मुँह में भींचती हुई नीचे की और बढ़ती जिससे लंड उसके गले तक चला जाता। फिर अपनी जीभ से चाटते हुए लंड ऊपर की और उठाती। यही हर्कत जब वो तेजी से करती तो सामने वाले की हालत खराब हो जाती थी।
इसी तरह से वो प्रशाँत के लंड को चूसे जा रही थी। जब वो उसके सुपाड़े को चूसती तो अपने थूक से सने हाथों से जोर-जोर से लंड को रगड़ती। मैं जानता था कि प्रशाँत अपने आपको ज्यादा देर तक नहीं रोक पायेगा।
करीब दस मिनट तक प्रीती प्रशाँत के लंड की चूसाई करती रही। मैं और बबीता भी दिलचस्पी से ये नज़ारा देख रहे थे। प्रशाँत ने अपने लंड को प्रीती के मुँह से बाहर निकाला और मेरे और बबीता के पास आ खड़ा हो गया। बबीता मेरे लंड को सहला रही थी और प्रशाँत अपने होंठ बबीता के होंठों पे रख उन्हें चूमने लगा। बबीता उससे अलग होते हुए बोली, “प्रशाँत! राज को बताओ न कि मुझे किस तरह की चुदाई पसंद है।”
फिर कामुक्ता का एक नया दौर शुरू हुआ। प्रशाँत अपनी बीवी बबीता के पीछे आकर खड़ा हो गया और मुझे उसके सामने खड़ा कर दिया। फिर बबीता के माथे पे आये बालों को हटाते हुए मुझसे बोला, “राज इसके होंठों को चूसो।”
मैंने एक आज्ञाकारी शिष्य की तरह आगे बढ़ कर अपने होंठ बबीता के होठों पर रख दिए। बबीता ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। हम दोनों एक दूसरे की जीभ को चूस रहे थे। “अब इसकी चूचियों को चूसो,” प्रशाँत ने कहा।
मैं नीचे झुक कर बबीता की चूँची को हाथों में पकड़ कर उसका निप्पल अपने मुँह में ले चूसने लगा। उसकी चूचियाँ बहुत बड़ी और कसी हुई थी। गोल चूंची और काले सख्त निप्पल काफी मज़ा दे रहे थे।
“दूसरी को नज़र अंदाज़ मत करो” कहकर उसने बबीता की दूसरी चूँची पकड़ मेरे मुँह के आगे कर दी। मैं अपने होंठ बढ़ा कर उसके दूसरे निप्पल को अपने मुँह मे ले चूसने लगा।
करीब पाँच मिनट तक मैं उसकी चूचियों को चूसता रहा, और मैंने पाया कि प्रशाँत के हाथ मेरे कंधों पे थे और मुझे नीचे की और दबा रहा था। मुझे इशारा मिल गया। कैसे एक पति दूसरे मर्द को अपनी बीवी से प्यार करना सिखा रहा था। मैंने नीचे बैठते हुए पहले उसकी नाभी को चूमा और फिर उसकी कमर को चूमते हुए अपने होंठ ठीक उसकी चूत के मुख पे रख दिए।
मैंने घूम कर देखा तो पाया कि मेरी बीवी मुझसे आगे ही थी। प्रीती प्रशाँत के सामने घुटनों के बल बैठी उसके लंड को हाथों में पकड़े हुए थी। प्रशाँत का लंड लंबाई में मेरे ही साईज़ का था पर कुछ मुझसे ज्यादा मोटा था। प्रीती उसके लंड की पूरी लंबाई को सहलाते हुए उसके सुपाड़े को चाट रही थी।
मुझे पता था कि प्रीती की इस हर्कत का असर प्रशाँत पर बुरा पड़ने वाला है। प्रीती लंड चूसने में इतनी माहिर थी कि उसकी बराबरी कोई नहीं कर सकता था। उसका लंड चूसने का अंदाज़ ही अलग था। वो पहले लंड के सुपाड़े को अपने होठों में ले कर चूसती और फिर धीरे-धीरे लंड को अपने मुँह में भींचती हुई नीचे की और बढ़ती जिससे लंड उसके गले तक चला जाता। फिर अपनी जीभ से चाटते हुए लंड ऊपर की और उठाती। यही हर्कत जब वो तेजी से करती तो सामने वाले की हालत खराब हो जाती थी।
इसी तरह से वो प्रशाँत के लंड को चूसे जा रही थी। जब वो उसके सुपाड़े को चूसती तो अपने थूक से सने हाथों से जोर-जोर से लंड को रगड़ती। मैं जानता था कि प्रशाँत अपने आपको ज्यादा देर तक नहीं रोक पायेगा।
करीब दस मिनट तक प्रीती प्रशाँत के लंड की चूसाई करती रही। मैं और बबीता भी दिलचस्पी से ये नज़ारा देख रहे थे। प्रशाँत ने अपने लंड को प्रीती के मुँह से बाहर निकाला और मेरे और बबीता के पास आ खड़ा हो गया। बबीता मेरे लंड को सहला रही थी और प्रशाँत अपने होंठ बबीता के होंठों पे रख उन्हें चूमने लगा। बबीता उससे अलग होते हुए बोली, “प्रशाँत! राज को बताओ न कि मुझे किस तरह की चुदाई पसंद है।”
फिर कामुक्ता का एक नया दौर शुरू हुआ। प्रशाँत अपनी बीवी बबीता के पीछे आकर खड़ा हो गया और मुझे उसके सामने खड़ा कर दिया। फिर बबीता के माथे पे आये बालों को हटाते हुए मुझसे बोला, “राज इसके होंठों को चूसो।”
मैंने एक आज्ञाकारी शिष्य की तरह आगे बढ़ कर अपने होंठ बबीता के होठों पर रख दिए। बबीता ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। हम दोनों एक दूसरे की जीभ को चूस रहे थे। “अब इसकी चूचियों को चूसो,” प्रशाँत ने कहा।
मैं नीचे झुक कर बबीता की चूँची को हाथों में पकड़ कर उसका निप्पल अपने मुँह में ले चूसने लगा। उसकी चूचियाँ बहुत बड़ी और कसी हुई थी। गोल चूंची और काले सख्त निप्पल काफी मज़ा दे रहे थे।
“दूसरी को नज़र अंदाज़ मत करो” कहकर उसने बबीता की दूसरी चूँची पकड़ मेरे मुँह के आगे कर दी। मैं अपने होंठ बढ़ा कर उसके दूसरे निप्पल को अपने मुँह मे ले चूसने लगा।
करीब पाँच मिनट तक मैं उसकी चूचियों को चूसता रहा, और मैंने पाया कि प्रशाँत के हाथ मेरे कंधों पे थे और मुझे नीचे की और दबा रहा था। मुझे इशारा मिल गया। कैसे एक पति दूसरे मर्द को अपनी बीवी से प्यार करना सिखा रहा था। मैंने नीचे बैठते हुए पहले उसकी नाभी को चूमा और फिर उसकी कमर को चूमते हुए अपने होंठ ठीक उसकी चूत के मुख पे रख दिए।