Thread Rating:
  • 13 Vote(s) - 2.62 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
#90
जैसे ही प्रशाँत ने अपना लंड उसकी गाँड में घुसाया, ज़ूबी ने महसूस किया कि उसके शरीर की गर्मी और बढ़ गयी। उसे लगा कि जैसे कोई गरम लोहा उसकी गाँड मे घुसा दिया हो। 

नहीं प्लीज़ नहीं,” ज़ूबी ने एक बार फिर विरोध करने की कोशिश की। 
 
पर प्रशाँत उसकी बात को अनासुना कर अपना लंड उसकी गाँड में घुसाता गया।
 
प्लीज़,” ज़ूबी फिर बोल पड़ी, मेरी चूत में डालो, मुझे अपनी चूत में लंड अच्छा लग रहा था।
 
ज़ूबी ने जब देखा कि उसकी इल्तज़ा का उस मर्द पर कोई असर नहीं हो रहा है तो उसने अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया और अपनी टाँगें और फैला दी। उसने महसूस किया कि अब उस मर्द का लंड आसानी से उसकी गाँड के अंदर बाहर हो रहा है।
 
प्रशाँत अब उसकी गाँड में धक्के लगा रहा था। ज़ूबी ने सीमा के हाथों को कस कर पकड़ रखा था जिससे वो उसके धक्कों की ताकत से गिर ना जये। जब प्रशाँत के अंडकोश ज़ूबी की चूत से टकराते तो ज़ूबी का शरीर उत्तेजना में और बिदक जाता और खुद-ब-खुद पीछे हो कर उसके लंड को अपनी गाँड में और ले लेती। ज़ूबी के शरीर  और मादकता ने फिर एक बार उसे धोखा दे दिया।
 
प्रशाँत अब कस कर धक्के मार रहा था और ज़ूबी भी आगे पीछे हो कर उसके धक्कों का साथ दे रही थी। ज़ूबी अब अपनी खुद की दुनिया में खो गयी थी और अपने बदन में उठती गर्मी को शाँत करने में लग गयी।
 
प्रशाँत ने देखा कि ज़ूबी ने अपना एक हाथ नीचे को कर रखा था और उसके धक्कों के साथ-साथ अपनी चूत में अँगुली अंदर बाहर कर रही थी। प्रशाँत ने देखा कि ज़ूबी हर धक्के पर उसका साथ दे रही थी और थोड़ी देर में ही उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।
 
जैसे ही ज़ूबी की चूत ने पानी छोड़ा, प्रशाँत ने अपना लंड उसकी गाँड से बाहर निकाल लिया। उसने ज़ूबी को घुमा कर अपने सामने घुटनों के बल कर दिया। ज़ूबी समझ गयी कि अब वो क्या चाहता है।
 
आँखों पर पट्टी बंधे होने की वजह से ज़ूबी उसके लंड को देख तो नहीं सकती थी। उसने अपनी जीभ बाहर निकाल ली और उसके लंड पर फिराने लगी जो थोड़ी देर पहले उसकी गाँड के अंदर घुसा हुआ था। फिर अपना पूरा मुँह खोल कर उसने लंड को अंदर लिया और चूसने लगी। अब वो जोरों से अपने मुँह को ऊपर नीचे कर के उसके लंड को चूस रही थी।
 
सीमा ने पीछे से ज़ूबी की दोनों चूचियों को पकड़ा और मसलने लगी और वो एक हाथ से उसकी चूत को सहला रही थी।
 
ज़ूबी जोरों से लंड को चूस रही थी। उसने महसूस किया कि उस मर्द का लंड अकड़ने लगा है, वो समझ गयी कि वो अब झड़ने वाला है। ज़ूबी अब और जोरों से लंड को चूस रही थी। प्रशाँत की हुँकार कमरे में गूँजने लगी और उसने अपना गाढ़ा वीर्य ज़ूबी के मुँह मे छोड़ दिया।
 
ज़ूबी उस वीर्य को निगलने की कोशिश कर रही थी और प्रशाँत ने उसकी आँखों पर बंधी पट्टी को खोल दिया। पट्टी खुलते ही ज़ूबी ने अपने बॉस प्रशाँत की शक्ल देखी। वो हैरत भारी नज़रों से प्रशाँत को घूर रही थी जिसका लंड उसके मुँह में अंदर बाहर हो  रहा था।
 
दिल्ली से घर लौटते वक्त प्लेन में ज़ूबी बड़ी मुश्किल से अपनी आँख में आते आँसूओं को रोक पा रही थी। वो अपनी ज़िंदगी के बारे मे सोच रही थी जिसने उसे एक वकील से रंडी बना कर रख दिया था। उसने लाख सोने की कोशिश की पर बीते हुए कुछ दिनों की यादें उसे सोने नहीं दे रही थी।
 
एक बात अब भी उसकी समझ में नहीं आ रही थी कि प्रशाँत वहाँ कैसे पहुँच गया। एक बार तो उसे लगा कि मिस्टर राज ने जान-बूझ कर उसे फँसाया है। पर दिल कहता कि राज ऐसा क्यों करेगा? उसे प्रशाँत से क्या फायदा हो सकता है। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि अगर ऑफिस में उसके साथियों को अगर पता चला तो वो क्या सफ़ाई देगी। और उसका शौहर तो तुरंत उसे तलाक दे देगा। इन ही सब ख्यालों में डूबी ज़ूबी ने अपने आप को नसीब के सहारे छोड़ दिया, और आने वाली ज़िंदगी का इंतज़ार करने लगी।
 
******************
[+] 4 users Like rohitkapoor's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: हिंदी की कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 14-06-2020, 07:08 PM



Users browsing this thread: 10 Guest(s)