14-06-2020, 07:03 PM
सीमा ने पलट कर प्रशाँत की ओर देखा और ज़ूबी की पैंटी की ओर इशारा किया। प्रशाँत ने हाँ में अपनी गर्दन हिला दी।
सीमा ने अपने घुटने थोड़े से मोड़े और अपनी अँगुलियाँ ज़ूबी की पैंटी की इलास्टिक में फँसा दी। प्रशाँत हैरानी भारी नज़रों से सीमा को ज़ूबी की पैंटी उतारते हुए देख रहा था। उसका लंड अब पूरी तरह से तन गया, और लंड की नसें इतनी फूल गयी थी कि उससे सहन नहीं हो रहा था। उसने अपने लंड को अपनी हथेली में लिया और हिलाने लगा। उसे डर था कि कहीं ज़ूबी को छूने से पहले ही कहीं उसका लंड पानी न छोड़ दे।
ज़ूबी आँखों पर पट्टी बाँधे हुए, नंगी उस ठंडे कमरे में सिर्फ हाई हील के सैंडल पहने खड़ी थी, उसके निप्पल उत्तेजना में तने हुए थे और उसकी छोटी और गुलाबी चूत उसकी मर्ज़ी के खिलाफ़ उत्तेजना में छू रही थी।
प्रशाँत ध्यान से उसकी चूत देख रहा था। उसे लगा कि ज़ूबी ने हाल ही में अपनी चूत की बड़े सलीके से वैक्सिंग की थी। उसने देखा कि उसकी चूत अब चुदने के लिये एकदम तैयार थी।
सीमा अब अपनी अँगुलियाँ उसकी चूत पर फ़िराने लगी। जैसे ही सीमा की अँगुलियों ने ज़ूबी की चूत के दाने को छुआ, उसके शरीर में उत्तेजना की एक नयी लहर सी दौड़ गयी। सीमा ने उस दाने को अपनी अँगुलियों में लिया और मसलने लगी। ना चाहते हुए भी ज़ूबी के मुँह से हल्की सी सिस्करी निकल पड़ी, “ओहहहहह आआआआहहहहह,” और उसके कुल्हे अपने आप ही आगे को हो गये।
सीमा ने अपनी एक अँगुली उसकी चूत के मुहाने पर रखी तो उसने महसूस किया कि ज़ूबी की चूत किस हद तक गीली हो चुकी थी। सीमा ने अपनी अँगुली उसकी चूत के अंदर घुसा दी और अंदर बाहर करने लगी। उसकी इस हर्कत से उसकी चूत से जो आवाज़ निकल रही थी वो कमरे में सभी को उत्तेजित करने के लिये काफी थी।
ज़ूबी उत्तेजना और मस्ती में इस कदर खो गयी थी कि जब सीमा ने उसकी चूत से अँगुली निकाली तो पागल सी हो गयी। उसका मुँह खुला का खुला रह गया था और वो गहरी साँसें ले रही थी।
सीमा ने अपनी अँगुली बाहर निकाली और उसका हाथ पकड़ कर उसे वहाँ ले गयी जहाँ प्रशाँत कुर्सी पर बैठा था। जब ज़ूबी के घुटनों ने प्रशाँत की टाँगों को छुआ तो उसने महसूस किया कि वो मर्द अब उसके सामने था।
ज़ूबी शांति से प्रशाँत के सामने खड़ी थी, उसकी साँसें थमी तो नहीं थी फिर भी उसने अपने मुँह को कस कर बंद कर लिया था। तभी उसने एक मोटी अँगुली को अपनी चूत में घुसते हुए महसूस किया। वो अँगुली आराम से उसकी चूत में घुस गयी और उसके बहते रस से भीग गयी।
ज़ूबी को हैरानी हुई कि वो अँगुली जिस तेजी से उसकी चूत के अंदर घुसी थी उतनी ही तेजी से बाहर आ गयी। उसे और हैरानी हुई जब वो अँगुली जबर्दस्ती उसके अध-खुले होठों से उसके मुँह मे घुस गयी। उसका दिमाग हैरान था कि वो उस मर्द की अँगुली पर लगे अपने ही रस का स्वाद ले रही थी।
सीमा ने अपने घुटने थोड़े से मोड़े और अपनी अँगुलियाँ ज़ूबी की पैंटी की इलास्टिक में फँसा दी। प्रशाँत हैरानी भारी नज़रों से सीमा को ज़ूबी की पैंटी उतारते हुए देख रहा था। उसका लंड अब पूरी तरह से तन गया, और लंड की नसें इतनी फूल गयी थी कि उससे सहन नहीं हो रहा था। उसने अपने लंड को अपनी हथेली में लिया और हिलाने लगा। उसे डर था कि कहीं ज़ूबी को छूने से पहले ही कहीं उसका लंड पानी न छोड़ दे।
ज़ूबी आँखों पर पट्टी बाँधे हुए, नंगी उस ठंडे कमरे में सिर्फ हाई हील के सैंडल पहने खड़ी थी, उसके निप्पल उत्तेजना में तने हुए थे और उसकी छोटी और गुलाबी चूत उसकी मर्ज़ी के खिलाफ़ उत्तेजना में छू रही थी।
प्रशाँत ध्यान से उसकी चूत देख रहा था। उसे लगा कि ज़ूबी ने हाल ही में अपनी चूत की बड़े सलीके से वैक्सिंग की थी। उसने देखा कि उसकी चूत अब चुदने के लिये एकदम तैयार थी।
सीमा अब अपनी अँगुलियाँ उसकी चूत पर फ़िराने लगी। जैसे ही सीमा की अँगुलियों ने ज़ूबी की चूत के दाने को छुआ, उसके शरीर में उत्तेजना की एक नयी लहर सी दौड़ गयी। सीमा ने उस दाने को अपनी अँगुलियों में लिया और मसलने लगी। ना चाहते हुए भी ज़ूबी के मुँह से हल्की सी सिस्करी निकल पड़ी, “ओहहहहह आआआआहहहहह,” और उसके कुल्हे अपने आप ही आगे को हो गये।
सीमा ने अपनी एक अँगुली उसकी चूत के मुहाने पर रखी तो उसने महसूस किया कि ज़ूबी की चूत किस हद तक गीली हो चुकी थी। सीमा ने अपनी अँगुली उसकी चूत के अंदर घुसा दी और अंदर बाहर करने लगी। उसकी इस हर्कत से उसकी चूत से जो आवाज़ निकल रही थी वो कमरे में सभी को उत्तेजित करने के लिये काफी थी।
ज़ूबी उत्तेजना और मस्ती में इस कदर खो गयी थी कि जब सीमा ने उसकी चूत से अँगुली निकाली तो पागल सी हो गयी। उसका मुँह खुला का खुला रह गया था और वो गहरी साँसें ले रही थी।
सीमा ने अपनी अँगुली बाहर निकाली और उसका हाथ पकड़ कर उसे वहाँ ले गयी जहाँ प्रशाँत कुर्सी पर बैठा था। जब ज़ूबी के घुटनों ने प्रशाँत की टाँगों को छुआ तो उसने महसूस किया कि वो मर्द अब उसके सामने था।
ज़ूबी शांति से प्रशाँत के सामने खड़ी थी, उसकी साँसें थमी तो नहीं थी फिर भी उसने अपने मुँह को कस कर बंद कर लिया था। तभी उसने एक मोटी अँगुली को अपनी चूत में घुसते हुए महसूस किया। वो अँगुली आराम से उसकी चूत में घुस गयी और उसके बहते रस से भीग गयी।
ज़ूबी को हैरानी हुई कि वो अँगुली जिस तेजी से उसकी चूत के अंदर घुसी थी उतनी ही तेजी से बाहर आ गयी। उसे और हैरानी हुई जब वो अँगुली जबर्दस्ती उसके अध-खुले होठों से उसके मुँह मे घुस गयी। उसका दिमाग हैरान था कि वो उस मर्द की अँगुली पर लगे अपने ही रस का स्वाद ले रही थी।