14-06-2020, 07:02 PM
प्रशाँत बड़ी कामुक नज़रों से उस जवान वकील को देख रहा था जो उसके ऑफिस में काम करती थी। जो लड़की हमेशा अपने यौवन को टाइट ब्लाऊज़ और स्कर्ट में छिपा कर रखती थी आज सिर्फ ब्रा पैंटी और सैंडल पहने करीब-करीब नंगी उसके सामने बिस्तर पर बैठी थी।
प्रशाँत एक चुंबकिय आकर्षण की तरह उसके तराशे हुए बदन को देख रहा था। वो चुप चाप बिस्तर पर बैठी थी। हालाँकि उसकी चूत और चूचियाँ छुपी हुई थी फिर भी उसकी मांसल और पतली टाँगें, और तराशा हुआ बदन ठीक वैसा ही दिख रहा था जैसे उसने हमेशा मुठ मारते हुए सपने में देखा था। उसके गुलाबी और पतले होंठ ऐसे लग रहे थे जैसे उनमें शहद भरा हुआ हो। उसका सुंदर चेहरा काफी मादक लग रहा था और उसकी आँखों पर एक सिल्क की पट्टी बंधी थी, ठीक जैसे उसने चाहा था।
“सीमा यहीं रुकेगी, अगर आपको किसी तरह की मदद की जरूरत हो तो ये आपकी सहायता करेगी,” मैडम ने प्रशाँत से कहा और ज़ूबी की और इशारा करते हुए कहा, “ये सुंदर कन्या आप जैसे चाहेंगे आपकी सेवा करेगी, आपको किसी तरह की शिकायत नहीं होगी... ये मेरा वादा है।”
मैडम की बात सुनकर उसका लंड पैंट के अंदर हुँकार मारने लगा, “जैसे मैं चाहुँगा वैसे सेवा करेगी,” ये सोच कर वो मुस्कुराने लगा।
ज़ूबी ने तभी दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ सुनी। कमरे में गूँजती कपड़ों की सर्सराहट से उसे लगा कि अब वो अपने कपड़े उतार रहा है।
ज़ूबी ने तभी उस मर्द के हाथों को अपने कंधों पर महसूस किया। फिर वो हाथ कंधों से नीचे उसकी कमर पर आये और फिर उसके हाथ को पकड़ लिया। प्रशाँत ने उसके हाथ को पकड़ कर उसे बिस्तर से नीचे उतारा और खड़ा कर दिया। वो अपने सैंडल पहने हुए पैरों से चलती हुई दो तीन कदम आगे बढ़ कर कमरे के बीच में खड़ी हो गयी। उसे उस मर्द का एहसास तो हो रहा था पर वो कह नहीं सकती थी कि वो कमरे में कहाँ खड़ा था।
प्रशाँत असल में ज़ूबी से दूर हट गया था। वो बिस्तर के सामने पड़ी चमड़े की कुर्सी पर नंगा बैठा अपनी उस नौजवान सहयोगी को देख रहा था। उसका लंड अभी पूरी तरह तना नहीं था, फिर भी उत्तेजना में हुँकार रहा था। उसने सीमा को ज़ूबी की ब्रा उतारने का इशारा किया।
सीमा ने उसकी ब्रा के हुक खोले और फिर ब्रा के स्ट्रैप को उसके कंधों से निकाल कर ब्रा को ज़मीन पर गिर जाने दिया। ज़ूबी ने अपनी ब्रा को अपने पैरों पर गिरते हुए महसूस किया।
प्रशाँत ने अब सीमा को ज़ूबी के निप्पलों से खेलने का इशारा किया। सीमा ने आगे बढ़ कर ज़ूबी की चूचियों को अपने हाथों में ले लिया। वो उसकी चूचियों को अपने हाथों मे तौलने लगी और फिर अपनी अँगुली और अंगूठे से उसके निप्पल को भींचने लगी। तुरंत ही उसके निप्पल तन कर खड़े हो गये।
सीमा जानती थी कि प्रशाँत उसे रुकने को कहने वाला नहीं था, इसलिए अब वो उसकी चूचियों को मसल रही थी और निप्पल को भींच रही थी। ज़ूबी ने अपने हाथ सीमा के कंधों पर रख दिये जिससे उसे खड़े होने मे आसानी हो। सीमा की हर्कतों ने उसकी चूत में खुजली मचा दी थी और उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो गयी थी।
प्रशाँत एक चुंबकिय आकर्षण की तरह उसके तराशे हुए बदन को देख रहा था। वो चुप चाप बिस्तर पर बैठी थी। हालाँकि उसकी चूत और चूचियाँ छुपी हुई थी फिर भी उसकी मांसल और पतली टाँगें, और तराशा हुआ बदन ठीक वैसा ही दिख रहा था जैसे उसने हमेशा मुठ मारते हुए सपने में देखा था। उसके गुलाबी और पतले होंठ ऐसे लग रहे थे जैसे उनमें शहद भरा हुआ हो। उसका सुंदर चेहरा काफी मादक लग रहा था और उसकी आँखों पर एक सिल्क की पट्टी बंधी थी, ठीक जैसे उसने चाहा था।
“सीमा यहीं रुकेगी, अगर आपको किसी तरह की मदद की जरूरत हो तो ये आपकी सहायता करेगी,” मैडम ने प्रशाँत से कहा और ज़ूबी की और इशारा करते हुए कहा, “ये सुंदर कन्या आप जैसे चाहेंगे आपकी सेवा करेगी, आपको किसी तरह की शिकायत नहीं होगी... ये मेरा वादा है।”
मैडम की बात सुनकर उसका लंड पैंट के अंदर हुँकार मारने लगा, “जैसे मैं चाहुँगा वैसे सेवा करेगी,” ये सोच कर वो मुस्कुराने लगा।
ज़ूबी ने तभी दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ सुनी। कमरे में गूँजती कपड़ों की सर्सराहट से उसे लगा कि अब वो अपने कपड़े उतार रहा है।
ज़ूबी ने तभी उस मर्द के हाथों को अपने कंधों पर महसूस किया। फिर वो हाथ कंधों से नीचे उसकी कमर पर आये और फिर उसके हाथ को पकड़ लिया। प्रशाँत ने उसके हाथ को पकड़ कर उसे बिस्तर से नीचे उतारा और खड़ा कर दिया। वो अपने सैंडल पहने हुए पैरों से चलती हुई दो तीन कदम आगे बढ़ कर कमरे के बीच में खड़ी हो गयी। उसे उस मर्द का एहसास तो हो रहा था पर वो कह नहीं सकती थी कि वो कमरे में कहाँ खड़ा था।
प्रशाँत असल में ज़ूबी से दूर हट गया था। वो बिस्तर के सामने पड़ी चमड़े की कुर्सी पर नंगा बैठा अपनी उस नौजवान सहयोगी को देख रहा था। उसका लंड अभी पूरी तरह तना नहीं था, फिर भी उत्तेजना में हुँकार रहा था। उसने सीमा को ज़ूबी की ब्रा उतारने का इशारा किया।
सीमा ने उसकी ब्रा के हुक खोले और फिर ब्रा के स्ट्रैप को उसके कंधों से निकाल कर ब्रा को ज़मीन पर गिर जाने दिया। ज़ूबी ने अपनी ब्रा को अपने पैरों पर गिरते हुए महसूस किया।
प्रशाँत ने अब सीमा को ज़ूबी के निप्पलों से खेलने का इशारा किया। सीमा ने आगे बढ़ कर ज़ूबी की चूचियों को अपने हाथों में ले लिया। वो उसकी चूचियों को अपने हाथों मे तौलने लगी और फिर अपनी अँगुली और अंगूठे से उसके निप्पल को भींचने लगी। तुरंत ही उसके निप्पल तन कर खड़े हो गये।
सीमा जानती थी कि प्रशाँत उसे रुकने को कहने वाला नहीं था, इसलिए अब वो उसकी चूचियों को मसल रही थी और निप्पल को भींच रही थी। ज़ूबी ने अपने हाथ सीमा के कंधों पर रख दिये जिससे उसे खड़े होने मे आसानी हो। सीमा की हर्कतों ने उसकी चूत में खुजली मचा दी थी और उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो गयी थी।