07-06-2020, 02:44 AM
प्रशाँत दिल्ली के फाइव स्टार होटल में बड़ी दुविधा में चहल कदमी कर रहा था। उसने बड़ा जोखिम भरा कदम उठाया था। अगर किसी को पता चल गया कि वो किसी वेश्या से मिलने यहाँ आया है तो उसका कैरियर बर्बाद हो सकता था।
वो अभी नहाकर बाथरूम से बाहर आया था। इतनी सर्दी में भी उसके माथे पर पसीना आ रहा था। उसे मालूम था कि वो जोखिम उठा रहा है पर वो भी अपने दिल के हाथों मजबूर था।
जबसे वो दिल्ली पहुँचा था उसका लंड घोड़े की तरह तन कर खड़ा था। उसने फोन पर उस मैडम को यकीन दिलाया था कि वो एक पैसे वाला इंसान है। उसने उस औरत को साफ़ बता दिया था कि उसके आने की खबर किसी को नहीं होनी चाहिये थी। उसने अपनी पसंद के बारे में भी बता दिया था। उस मैडम ने उसे भरोसा दिलाया था कि वो उसकी हर जरूरत को पूरा करेगी।
जैसे ही उसकी टैक्सी उस मैडम के बंगले की तरफ़ जा रही थी, प्रशाँत सोच रहा था कि उसे आगे क्या करना है। क्या ज़ूबी उसे यहाँ मिलेगी और वो अपना बदला ले पायेगा। उसने अपनी घड़ी की तरफ़ देखा। बीस मिनट में उसे पता चल जायेगा कि वो अपने मक्सद में कितना कामयब होगा।
ज़ूबी बिस्तर का किनारा पकड़ कर घोड़ी बनी हुई थी। उसकी टाँगें पूरी तरह फ़ैली हुई थी और उसकी गाँड हवा में ऊपर को उठी हुई थी। एक तगड़ा सा पहाड़ी मर्द पीछे से उसकी चूत में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था।
ज़ूबी ने अपना चेहरा तकिये से टिकाया हुआ था और वो सामने लगे आइने में देख रही थी कि किस तरह वो मर्द उछल-उछल कर उसे चोद रहा था। ज़ूबी सोच रही थी कि कैसे कईं बार उसके शौहर ने उसे इस अवस्था में चोदा था, और हर बार उसे उतना ही मज़ा आता था जब वो अपना वीर्य उसकी चूत मे छोड़ कर उसकी पीठ पर लुढ़क जाता था। उसके शौहर का मोटा और लंबा लंड उसे कितना मज़ा देता था।
पर आज वो अपनी मर्ज़ी के खिलाफ़ हर उस लंड को अपनी चूत में लेने पर विवश थी, चाहे वो लंड उसे पसंद है या नहीं। पर लंड चाहे जैस भी हो, जब भी कोई उसे इस आसान में चोदता था तो उसके शरीर की उत्तेजना और बढ़ जाती थी। और आज भी वैसा ही हो रहा था -- फिर उसका शरीर उसे धोखा दे रहा था। ना चाहते हुए भी उसका शरीर उस मर्द की ताल से ताल मिला कर चुदाई का आनंद ले रहा था।
प्रशाँत ने आखिरी बार अपने सेल फोन से उस मैडम का नंबर मिलाया, “मैं बस पहुँचने ही वाला हूँ, सब तैयारी वैसे ही है ना जैसे मैंने कहा था।”
“हाँ आप आ जाइये, सब कुछ वैसे ही होगा जैसा आप चाहेंगे” उस औरत ने जवाब दिया।
वो अभी नहाकर बाथरूम से बाहर आया था। इतनी सर्दी में भी उसके माथे पर पसीना आ रहा था। उसे मालूम था कि वो जोखिम उठा रहा है पर वो भी अपने दिल के हाथों मजबूर था।
जबसे वो दिल्ली पहुँचा था उसका लंड घोड़े की तरह तन कर खड़ा था। उसने फोन पर उस मैडम को यकीन दिलाया था कि वो एक पैसे वाला इंसान है। उसने उस औरत को साफ़ बता दिया था कि उसके आने की खबर किसी को नहीं होनी चाहिये थी। उसने अपनी पसंद के बारे में भी बता दिया था। उस मैडम ने उसे भरोसा दिलाया था कि वो उसकी हर जरूरत को पूरा करेगी।
जैसे ही उसकी टैक्सी उस मैडम के बंगले की तरफ़ जा रही थी, प्रशाँत सोच रहा था कि उसे आगे क्या करना है। क्या ज़ूबी उसे यहाँ मिलेगी और वो अपना बदला ले पायेगा। उसने अपनी घड़ी की तरफ़ देखा। बीस मिनट में उसे पता चल जायेगा कि वो अपने मक्सद में कितना कामयब होगा।
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ज़ूबी ने अपना चेहरा तकिये से टिकाया हुआ था और वो सामने लगे आइने में देख रही थी कि किस तरह वो मर्द उछल-उछल कर उसे चोद रहा था। ज़ूबी सोच रही थी कि कैसे कईं बार उसके शौहर ने उसे इस अवस्था में चोदा था, और हर बार उसे उतना ही मज़ा आता था जब वो अपना वीर्य उसकी चूत मे छोड़ कर उसकी पीठ पर लुढ़क जाता था। उसके शौहर का मोटा और लंबा लंड उसे कितना मज़ा देता था।
पर आज वो अपनी मर्ज़ी के खिलाफ़ हर उस लंड को अपनी चूत में लेने पर विवश थी, चाहे वो लंड उसे पसंद है या नहीं। पर लंड चाहे जैस भी हो, जब भी कोई उसे इस आसान में चोदता था तो उसके शरीर की उत्तेजना और बढ़ जाती थी। और आज भी वैसा ही हो रहा था -- फिर उसका शरीर उसे धोखा दे रहा था। ना चाहते हुए भी उसका शरीर उस मर्द की ताल से ताल मिला कर चुदाई का आनंद ले रहा था।
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प्रशाँत ने आखिरी बार अपने सेल फोन से उस मैडम का नंबर मिलाया, “मैं बस पहुँचने ही वाला हूँ, सब तैयारी वैसे ही है ना जैसे मैंने कहा था।”
“हाँ आप आ जाइये, सब कुछ वैसे ही होगा जैसा आप चाहेंगे” उस औरत ने जवाब दिया।
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