07-06-2020, 02:43 AM
वो लड़की मुस्कुराने लगी। “वैसे तो राकेश के साथ चुदाई करना हर किसी के बस की बात नहीं है,” उसने ज़ूबी से कहा, “तुम्हारी किस्मत अच्छी थी कि आज उसके पास सिर्फ़ आधा घंटा ही था।”
ज़ूबी उस लड़की की बातें सुनकर जोरों से हँसने लगी।
ज़ूबी ने कईं घंटे वहाँ गुज़ारे। हर घंटे बाद उसका बुलावा आ जाता और वो फिर किसी कमरे में मर्द के साथ चुदाई करती। मर्द अपना वीर्य उसकी चूत में डाल कर चले जाते। उसे अपने इस वेश्यापन पर हैरानी हो रही थी।
ज़ूबी अब समझ गयी थी कि उसका शरीर अब उसका नहीं रहा था, वो तो राज की मल्कियत बन चुका था, या फिर इस वेश्यालय की माल्किन उस औरत का या फिर उस मर्द का जिसकी जेब में चंद रुपये हैं उसका शरीर खरीदने के लिये। वक्त ने उसकी ज़िंदगी को एक नर्क बना के रख दिया था।
ज़ूबी एक ब्रा और पैंटी और हाई हील के सैंडल पहने हॉल में बैठी थी। वो अपनी आने वाली ज़िंदगी के बारे में सोच रही थी। उसने दृढ़ निश्चय कर लिया था कि उसे चाहे जो करना पड़े वो अपनी ज़िंदगी को किसी के हाथों का खिलौना नहीं बनने देगी। वो अपनी ज़िंदगी अपनी मर्ज़ी से जियेगी, किसी की कठपुतली बनकर नहीं। काफी मेहनत और लगन से आज वो अपने कैरियर के इस मुकाम तक पहुँची थी और फिर उसी मेहनत से वो अपनी ज़िंदगी को वापस सही राह पर लाकर रहेगी।
ज़ूबी इस मकान की व्यस्तता देखकर हैरान थी। हर उम्र के मर्द अपने शरीर की भूख मिटाने यहाँ आते थे। पर उसे आश्चर्य इस बात का था कि जब भी वो लाइन में खड़ी होती थी हर बर वो ही ग्राहकों द्वारा चुनी जाती थी। दूसरी लड़कियों को मौका तभी लगता था जब वो किसी मर्द के साथ कमरे में होती थी।
एक बार तो वो हैरान रह गयी। हुआ ऐसा कि दो दोस्त उस वेश्यालय में आये। ज़ूबी समेत उस समय हॉल में चार लड़कियाँ थी। जब वो दोनों दोस्त पसंद करने के लिये लड़कियों को देख रहे थे तो एक मर्द ने उसे पसंद किया, “मैं इसके साथ जाना चाहता हूँ,” कहकर उसने अपना हाथ बढ़ा दिया।
जब ज़ूबी उसका हाथ पकड़ कर कमरे में जा रही थी तो उसने दूसरे मर्द को कहते सुना, “मेरे दोस्त का होने के बाद मैं भी इसी लड़की के साथ जाना चाहुँगा, तब तक मैं इंतज़ार करता हूँ।”
ज़ूबी उसकी बात सुनकर हैरान रह गयी, उसने माल्किन से पूछा, “क्या ये ऐसा कर सकता है?”
उसके साथ वाला मर्द और वो औरत दोनों ज़ूबी की बात सुनकर हँसने लगे।
“सिमरन,” उस औरत ने जवाब दिया, “ग्राहक यहाँ पर भगवान की तरह है। वो जो चाहे कर सकता है” वो औरत फिर हँसने लगी।
ज़ूबी उस मर्द का हाथ पकड़ कर दूसरे छोटे से कमरे में चली गयी। उसे पता था कि एक और लंड बाहर उसका इंतज़ार कर रहा है।
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