07-06-2020, 02:35 AM
राकेश ने अपने लंड को ज़ूबी की चूत से बाहर निकाला और उसके बगल में लेट गया। राकेश उसकी जाँघों को सहला रहा था, “मज़ा आ गया सिमरन,” कहकर उसने अपने कपड़े पहने और कमरे से बाहर चला गया।
ज़ूबी बिस्तर पर अपनी आँखें फ़ैलाये लेटी हुई थी कि तभी किसी लड़की की आवाज़ उसे सुनायी दी, “सिमरन अब तुम उठ कर खड़ी हो जाओ?”
ज़ूबी उछल कर बिस्तर से खड़ी हुई और अपनी ब्रा और पैंटी ढूँढने लगी। उसने देखा कि वो इस्तमाल किया हुआ कॉंन्डम बिस्तर पर पड़ा था। वो लड़की जो कमरे में आयी थी, उसने एक साफ़ टॉवल ज़ूबी को पकड़ा दिया।
ज़ूबी उस टॉवल को अपनी चूती हुई चूत पर रख कर साफ़ करने लगी। फिर उसने वो कॉंन्डम उठाया और कमरे के बाहर बाथरूम की और दौड़ पड़ी।
जैसे ही वो हॉल में आयी कि अचानक एक सूट पहने मर्द से टकरा गयी। वो औरत उस मर्द को किसी दूसरे कमरे में ले जा रही थी।
“सॉरी माफ़ करना,” ज़ूबी ने कहा।
वो मर्द उसकी हालत देख कर हँस पड़ा, “सॉरी की कोई बात नहीं है, और ये तुम्हारे हाथ में क्या है?” ज़ूबी के हाथों मे इस्तमाल किया हुआ कॉंडम देख कर वो मर्द हँसते हुए बोला।
“ये एकदम नयी है यहाँ पर,” उस औरत ने कहा।
ज़ूबी शरमा कर नंगी ही वहाँ से अपनी सैंडल खटखटाती हुई दौड़ पड़ी। उन दोनों के हँसने की आवाज़ उसे सुनायी दे रही थी।
ज़ूबी बाथरूम मे घुसी और सैंडल उतार कर गरम पानी के शॉवर के नीचे खड़ी हो कर अपने शरीर को धोने लगी। फिर सुखे टॉवल से अपने बदन को पौंछ कर वो फिर सैंडल और ब्रा-पैंटी पहन कर हॉल में आकर बैठ गयी। एक और लड़की उसकी बगल में बैठी थी और उसे देख कर मुस्कुरा रही थी।
ज़ूबी अपनी टाँग पे टाँग रख कर बैठी थी कि उसे बगल के कमरे से सिसकने की और मदक आवाज़ें सुनायी दे रही थी। ये वही कमरा था जिसमें थोड़ी देर पहले वो राकेश के साथ थी।
ज़ूबी की आँखें खुली की खुली रह गयी। उसे चुदाई की आवाज़ साफ़ सुनायी दे रही थी। उसे लगा कि कमरे की दीवार जैसे कागज़ की बनी हुई है। वो आश्चर्य से हॉल में अपने साथ बैठी लड़की की और देखने लगी।
“हाय अल्लाह,” ज़ूबी ने कहा, “क्या तुम लोगों ने भी वो सब सुना जो मेरे और राकेश के बीच हुआ?”
ज़ूबी बिस्तर पर अपनी आँखें फ़ैलाये लेटी हुई थी कि तभी किसी लड़की की आवाज़ उसे सुनायी दी, “सिमरन अब तुम उठ कर खड़ी हो जाओ?”
ज़ूबी उछल कर बिस्तर से खड़ी हुई और अपनी ब्रा और पैंटी ढूँढने लगी। उसने देखा कि वो इस्तमाल किया हुआ कॉंन्डम बिस्तर पर पड़ा था। वो लड़की जो कमरे में आयी थी, उसने एक साफ़ टॉवल ज़ूबी को पकड़ा दिया।
ज़ूबी उस टॉवल को अपनी चूती हुई चूत पर रख कर साफ़ करने लगी। फिर उसने वो कॉंन्डम उठाया और कमरे के बाहर बाथरूम की और दौड़ पड़ी।
जैसे ही वो हॉल में आयी कि अचानक एक सूट पहने मर्द से टकरा गयी। वो औरत उस मर्द को किसी दूसरे कमरे में ले जा रही थी।
“सॉरी माफ़ करना,” ज़ूबी ने कहा।
वो मर्द उसकी हालत देख कर हँस पड़ा, “सॉरी की कोई बात नहीं है, और ये तुम्हारे हाथ में क्या है?” ज़ूबी के हाथों मे इस्तमाल किया हुआ कॉंडम देख कर वो मर्द हँसते हुए बोला।
“ये एकदम नयी है यहाँ पर,” उस औरत ने कहा।
ज़ूबी शरमा कर नंगी ही वहाँ से अपनी सैंडल खटखटाती हुई दौड़ पड़ी। उन दोनों के हँसने की आवाज़ उसे सुनायी दे रही थी।
ज़ूबी बाथरूम मे घुसी और सैंडल उतार कर गरम पानी के शॉवर के नीचे खड़ी हो कर अपने शरीर को धोने लगी। फिर सुखे टॉवल से अपने बदन को पौंछ कर वो फिर सैंडल और ब्रा-पैंटी पहन कर हॉल में आकर बैठ गयी। एक और लड़की उसकी बगल में बैठी थी और उसे देख कर मुस्कुरा रही थी।
ज़ूबी अपनी टाँग पे टाँग रख कर बैठी थी कि उसे बगल के कमरे से सिसकने की और मदक आवाज़ें सुनायी दे रही थी। ये वही कमरा था जिसमें थोड़ी देर पहले वो राकेश के साथ थी।
ज़ूबी की आँखें खुली की खुली रह गयी। उसे चुदाई की आवाज़ साफ़ सुनायी दे रही थी। उसे लगा कि कमरे की दीवार जैसे कागज़ की बनी हुई है। वो आश्चर्य से हॉल में अपने साथ बैठी लड़की की और देखने लगी।
“हाय अल्लाह,” ज़ूबी ने कहा, “क्या तुम लोगों ने भी वो सब सुना जो मेरे और राकेश के बीच हुआ?”