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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
#77
तभी एक लड़की जो शायद ज्यादा अनुभवी थी तुरंत बोल पड़ी, ये सिमरन है। ज़ूबी हैरानी से उस लड़की को देखने लगी तो देखा वो मुस्कुरा रही थी। उसने ज़ूबी को अपना असली नाम इस्तमाल करने से बचा लिया था। ज़ूबी बदले में उसकी तरफ़ देख कर मुस्कुरा दी। 

पर इसके बाद जो हुआ ज़ूबी उसके लिये तैयार नहीं थी। 
 
उस आदमी ने अपनी जेब से अपना पर्स निकाला और उस औरत की और देखते हुए कहा,मैं सिमरन से मिलना चाहुँगा, सिर्फ़ आधे घंटे के लिये। ज़ूबी हैरानी से उस मर्द को देख रही थी जो अपने पर्स से नोट निकाल कर गिन रहा था। वो सोच रही थी एक लड़की को चोदने के लिये कितने पैसों की ज़रूरत हो सकती है।
 
वो औरत ज़ूबी और राकेश को लेकर हॉल के बगल के कमरे में लेकर आ गयी। फिर उस औरत ने बिस्तर के बगल में एक कॉंन्डम का पैकेट रख दिया।
 
अब तुम दोनों मज़े करो,” ये कहकर उस औरत ने कमरे का दरवाज़ा बंद किया और बाहर चली गयी।
 
तुम शायद यहाँ पर नयी आयी हो?” अपने जूते उतारते हुए राकेश ने कहा। फिर उसने अपनी पैंट उतारी और फिर शर्ट भी उतार दी। थोड़ी देर में वो अपनी अंडरवीयर उतार कर नंगा हो गया। राकेश की छाती, पीठ और कंधे बालों से भरे पड़े थे। उसका लंड अभी पूरी तरह खड़ा तो नहीं हुआ था पर मोटा काफी था। ज़ूबी ने देखा कि उसके अंडकोश भी काफी बड़े थे।
 
सिमरन क्या मैं अकेला ही नंगा रहुँगा? तुम्हें भी अपनी ब्रा और पैंटी उतारनी होगी। राकेश ने कहा।
 
ज़ूबी ने अपने कंधे उचकाये और अपनी ब्रा के हुक खोलने लगी। ब्रा उतरते ही उसके दोनों कबूतर पिंजरे से आज़ाद हो गये। शायद चुदाई के ख्याल से ही उसके निप्पल तन गये थे।
 
राकेश ज़ूबी की भारी और नुकिली चूचियों को देख रहा था और ज़ूबी ने अपनी पैंटी नीचे खिसकायी और अपने पैरों से उतार कर उसे दूर फेंक दिया। ज़ूबी ने देखा कि राकेश उसकी तराशी हुई चूत को देख रहा है।
 
राकेश ने अपनी बांहें फैलायी और ज़ूबी को पास आने का इशारा किया। ज़ूबी धीरे-धीरे चलते हुए उसकी बांहों में समा गयी। ज़ूबी की नुकिली चूचियाँ राकेश की बालों भारी छाती में धंस रही थी। ज़ूबी ने महसूस किया कि उसका लंड उसकी नाभी को छू कर एक सनसनी सी उसके शरीर में पैदा कर रहा है।
 
राकेश उसे बांहों में भर कर उसके चूतड़ सहलाने लगा। ज़ूबी के शरीर मे भी उत्तेजना फैलने लगी। उसके भी हाथ खुद-ब-खुद उसकी पीठ पर कस गये। उत्तेजना मे ज़ूबी का शरीर काँप रहा था।
 
राकेश का एक हाथ अब ज़ूबी की जाँघों के अंदरूनी हिस्सों को सहला रहा था। ज़ूबी ने अपनी टाँगें थोड़ी फैला दी जिससे राकेश के हाथ आसानी से उसकी चूत को सहला सकें। तभी राकेश ने उसकी चूत को सहलाते हुए अपनी दो अँगुलियाँ उसकी चूत में घुसा दीं।
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RE: हिंदी की कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 07-06-2020, 02:24 AM



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