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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
#71
प्रशाँत को मन ही मन गुस्सा आ रहा था। उसे आज से कई साल पहले का वो किस्सा याद आ गया जब वो ऑफिस में नये और काबिल वकीलों को भर्ती कर रहा था। इस काम में इंटरवियू, गैदरिंग और पिकनिक शामिल थी। उसे याद आ रहा था कि उस दिन ज़ूबी कितनी सुंदर दिख रही थी शॉर्ट स्कर्ट और टॉप में। उस दिन शाम को पार्टी में वो कुछ ज्यादा ही पी गया था और भूल से उसने ज़ूबी को बांहों में भर कर चूमना चाहा था, पर किस कदर ज़ूबी ने उसकी बेइज्जती की थी और ये बात उसके पार्टनरों और बीवी तक को बताने की धमकी दी थी। 

कई बार माफी माँगने के बाद वो ज़ूबी को समझा पाया था। इस बात का ज़िक्र ज़ूबी ने फिर कभी किसी से नहीं किया था। पर प्रशाँत ने ज़ूबी को माफ़ नहीं किया था, कि किस कदर उसने उसे धमकाया था। शायद बदले का समय आ गया था। 
 
प्रशाँत के ख्यालों से बेखबर ज़ूबी अपनी ही सोच में खोयी हुई थी। कहो ज़ूबी क्या काम है?” प्रशाँत ने पूछा।
 
ओह सर! मुझे गुरुवार को किसी काम से दिल्ली जाना है ज़ूबी ने चौंकते हुए कहा।
 
ठीक है तुम जा सकती हो प्रशाँत ने उसे जाने की इजाज़त दे दी।
 
ज़ूबी बड़ी दुविधा में अपना सफ़र का बैग पैक कर रही थी। उसे अपने आप से घृणा हो रही थी। उसे अपनी शौहर से झूठ बोलना पड़ रहा था और साथ ही बेवफ़ायी भी करनी पड़ रही थी। पर शायद ये वक्त का फ़ैसला था जिसे वो मानने पर मजबूर थी। उसकी ज़िंदगी अब उसकी नहीं थी, उसके हाथों से फ़िसल कर किसी और की हो चुकी थी।
 
*********************
 
शुक्रवार की सुबह ज़ूबी दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल के बिस्तर पर लेटी थी। बिस्तर की चादर और कंबल उसके नंगे बदन से फ़िसल कर उसके पैरों के पास पड़े थे। उसकी नंगी चूचियाँ तन कर खड़ी थी। वो बिस्तर पर लेटी हुई सामने राज को देख रही थी।
 
राज कमरे में लगे आइने में देख कर अपने कपड़े पहन रहा था। ज़ूबी अब भी अपनी चूत को राज के वीर्य से भरा हुआ महसूस कर रही थी। उसे लग रहा था कि पानी उसकी चूत से बह कर बिस्तर पर गिर पड़ेगा।
 
जैसी उम्मीद थी, कल शाम से आज सुबह तक राज ने कई बार उसके शरीर को रौंद कर अपनी वासना को शांत किया था। बावजूद इसके कि वो राज से नफ़रत करती थी और उसका इस तरह उसे चोदना अच्छा नहीं लगता था पर जब भी राज का मूसल लंड उसकी चूत में घूसता तो वो अपनी उत्तेजना को नहीं रोक पाती थी। ना चाहते हुए भी उसकी कमर अपने आप राज के धक्कों का साथ देने लगती और उसका मन करता कि राज इसी तरह उसकी चूत को चोदता रहे। ना चाहते हुए भी उसकी चूत ने कितनी बार पानी छोड़ा होगा उसे याद नहीं।
 
राज ज़ूबी के पास आया और उसका हाथ पकड़ लिया,तुम थोड़ा आराम करो,” उसने कहा, “उसके बाद मैंने जैसे तुम्हें समझाया है, वैसा ही करना, समझ गयी ना।
 
ज़ूबी ने खामोश रहते हुए अपनी गर्दन हिला दी। उसे पता था कि इन हालातों में प्रश्न  करना या विरोध करना मुनासिब नहीं है।
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RE: हिंदी की कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 31-05-2020, 07:42 PM



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