31-05-2020, 07:36 PM
मैं चुपचाप बैठा अपने आप को कोस रहा था। ना मुझे माँ ने जनम दिया होता, ना मैं यहाँ नौकरी करने आता, ना मेरी इच्छायें बढ़ती और ना ही मैं प्रीती के साथ ऐसा व्यवहार करता। इससे तो अच्छा था कि मैं पैदा होते ही मर जाता।
“राज सुना! एम-डी अब अंजू की गाँड मारना चाहता है....” प्रीती चुलबुलाती हुई बोली।
“अंजू! अब तुम घोड़ी बन जाओ..., मैं अब तुम्हारी गाँड मारूँगा”, एम-डी ने कहा।
“नहीं! मैं तुम्हें अपनी गाँड नहीं मारने दूँगी, सुना है बहुत दर्द होता है...” अंजू ने जवाब दिया।
“गाँड तो तुम्हें मरवानी पड़ेगी! हाँ, तुम्हें दर्द होगा तो मैं रुक जाऊँगा”, एम-डी ने उत्तर दिया।
“प्रॉमिस???”
“प्रॉमिस!!! कसम ले लो”, कहकर एम-डी ने अपना लंड अंजू की गाँड में घुसा दिया।
“ओहहहह प्लीज़ रुक जाइये! मुझे बहुत दर्द हो रहा है”, अंजू दर्द से कराही।
“थोड़ी देर की बात है जानू, मेरा लंड तुम्हारी गाँड में घुस रहा है”, कहकर एम-डी ने पूरा लंड उसकी गाँड में घुसा दिया।
“ऊऊऊऊऊईईईईईईईई माँ.... मर गयी....” अंजू जोर से चिल्लायी।
“डरो मत! मेरा लंड पूरा का पूरा तुम्हारी गाँड में है, सब ठीक हो जायेगा”, एम-डी जोर से कहकर अपना लंड अंदर बाहर करने लगा।
“राज... डरो मत! अंजू की गाँड तो बहुत पहले फट चुकी थी”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“अब तुम्हारी बारी है गाँड में लंड लेने की....” मैंने महेश को मंजू से कहते सुना, “चलो बिस्तर पर पेट के बल लेट जाओ।”
“नहीं मैं तुम्हें अपना इतना मोटा लंड मेरी गाँड में नहीं डालने दूँगी.... बचाओ बचाओ... भाभी!!! मुझे बचाओ.... ” मंजू जोर से चिल्लायी।
“जितना चिल्लाना है जोर से चिल्ला, आज तेरी प्यारी भाभी भी तुझे बचाने के लिये नहीं आ सकती, तुम्हारी भाभी ने तुम्हारी गाँड मारने की पूरी कीमत मुझसे वसूल की है। मैं आज तुम्हारी गाँड मार के रहुँगा, चाहे तुम राज़ी हो या न हो। अगर खुशी से मरवाओगी तो तुझे मज़ा भी आयेगा और दर्द भी कम होगा”, महेश ने कहा।
क्या प्रीती ने इस सब के पैसे लिये हैं? मैं फिर समझ गया कि इन सब में प्रीती का ही हाथ है।
“राज सुना! एम-डी अब अंजू की गाँड मारना चाहता है....” प्रीती चुलबुलाती हुई बोली।
“अंजू! अब तुम घोड़ी बन जाओ..., मैं अब तुम्हारी गाँड मारूँगा”, एम-डी ने कहा।
“नहीं! मैं तुम्हें अपनी गाँड नहीं मारने दूँगी, सुना है बहुत दर्द होता है...” अंजू ने जवाब दिया।
“गाँड तो तुम्हें मरवानी पड़ेगी! हाँ, तुम्हें दर्द होगा तो मैं रुक जाऊँगा”, एम-डी ने उत्तर दिया।
“प्रॉमिस???”
“प्रॉमिस!!! कसम ले लो”, कहकर एम-डी ने अपना लंड अंजू की गाँड में घुसा दिया।
“ओहहहह प्लीज़ रुक जाइये! मुझे बहुत दर्द हो रहा है”, अंजू दर्द से कराही।
“थोड़ी देर की बात है जानू, मेरा लंड तुम्हारी गाँड में घुस रहा है”, कहकर एम-डी ने पूरा लंड उसकी गाँड में घुसा दिया।
“ऊऊऊऊऊईईईईईईईई माँ.... मर गयी....” अंजू जोर से चिल्लायी।
“डरो मत! मेरा लंड पूरा का पूरा तुम्हारी गाँड में है, सब ठीक हो जायेगा”, एम-डी जोर से कहकर अपना लंड अंदर बाहर करने लगा।
“राज... डरो मत! अंजू की गाँड तो बहुत पहले फट चुकी थी”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“अब तुम्हारी बारी है गाँड में लंड लेने की....” मैंने महेश को मंजू से कहते सुना, “चलो बिस्तर पर पेट के बल लेट जाओ।”
“नहीं मैं तुम्हें अपना इतना मोटा लंड मेरी गाँड में नहीं डालने दूँगी.... बचाओ बचाओ... भाभी!!! मुझे बचाओ.... ” मंजू जोर से चिल्लायी।
“जितना चिल्लाना है जोर से चिल्ला, आज तेरी प्यारी भाभी भी तुझे बचाने के लिये नहीं आ सकती, तुम्हारी भाभी ने तुम्हारी गाँड मारने की पूरी कीमत मुझसे वसूल की है। मैं आज तुम्हारी गाँड मार के रहुँगा, चाहे तुम राज़ी हो या न हो। अगर खुशी से मरवाओगी तो तुझे मज़ा भी आयेगा और दर्द भी कम होगा”, महेश ने कहा।
क्या प्रीती ने इस सब के पैसे लिये हैं? मैं फिर समझ गया कि इन सब में प्रीती का ही हाथ है।