31-05-2020, 07:35 PM
“एम-डी और महेश के साथ और किस के साथ...” प्रीती ने सिगरेट का धुँआ छोड़ते हुए जवाब दिया।
मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था। एम-डी और महेश मेरी बहनों को चोद रहे थे। “उनकी हिम्मत कैसे हुई उन्हें चोदने की। मुझे उन्हें रोकना होगा....” मैं जोर से चिल्लाते हुए खुले दरवाजे की और बढ़ा।
“अगर मैं तुम्हारी जगह होती तो उन्हें नहीं रोकती”, प्रीती ने कहा।
“क्या मतलब है तुम्हारा? मैं यूँ ही चुपचाप खड़ा रहूँ और देखता रहूँ अपनी बहनों की बरबदी को?” मैंने गुस्से में कहा।
“यह कोई तुम्हारे लिये नयी बात नहीं है, इसके पहले भी तुम चुपचाप खड़े अपनी बीवी को दूसरे मर्दों से चुदवाते देख चुके हो, लेकिन मेरा ये मतलब नहीं है....” उसने मुझ पर ताना कसते हुए कहा।
“तो तुम्हारा क्या मतलब है?” मैंने पूछा।
“ज़रा ठंडे दिमाग से सोचो, अगर तुमने एम-डी को उसके इस आनंद में बीच में ही रोक दिया तो ना सिर्फ तुम अपनी नौकरी से हाथ धो बैठोगे बल्कि इस नियापेनसिआ रोड का फ्लैट भी हाथ से जाता रहेगा जिसे तुमने अपनी बीवी की चूत कुर्बान कर के पाया है...” प्रीती ने समझाया।
हाँ... प्रीती सच कह रही थी। मैंने सोचा, अगर एम-डी चाहे तो ये सब कर सकता था। हे भगवान! मैं क्या करूँ? क्या ऐसे ही हाथ पर हाथ धरे बैठा रहूँ। अपनी लाचारी देख मुझे रुलाई फ़ूट पड़ी।
“अब तुम कर भी क्या सकते हो...? उन दोनों का लंड तुम्हारी दोनों बहनों कि चूत में घुस चुका है। ये सच्चाई है और इसे बदला नहीं जा सकता, मैं तो कहती हूँ कि उन लोगों का काम खत्म होने तक इंतज़ार करो...” प्रीती ने सलाह दी। प्रीती के हाथ में ड्रिंक का ग्लास था और वो सिगरेट के कश लेते हुए धीरे-धीरे ड्रिंक सिप कर रही थी।
“ओह गॉड ये सब क्या हो रहा है?” मैंने अपने दोनों हाथ हवा में उठाते हुए कहा।
तभी मुझे अंजू की मादकता भरी आवाज़ सुनाई दी, “हाँ डालो.... और जोर से डालो... हाँआंआँआँआँ इसी तरह चोदते रहो.... बहुत अच्छा लग रहा है... हाँ मेरा छूटने वाला है....।”
अपने कानों पर हाथ रखते हुए मैंने प्रीती से कहा, “मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है”, और मैं सोफ़े पर बैठ गया। मेरी आँखों से आँसू बह रहे थे।
इतनी देर में मुझे अंजू की तरह ही मंजू कि भी आवज़ सुनाई दी। वो भी मादकता में चिल्ला रही थी, “और ज़ोर से चोदो मुझे... हाँ इसी तरह हाँआंआंआं... बहुत अच्छा लग रहा है.... और तेजी से डालो अपना लंड... आआआआआआआआआआहहहह मेरा भी छूटने वाला है।”
“वाह क्या टाईट चूत है.... हाँ! ले मेरे लंड को अपनी चूत में... पूरा समा ले और मेरा सारा पानी पी ले...” कहकर महेश ने उसकी चूत में अपना पानी छोड़ दिया।
मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था। एम-डी और महेश मेरी बहनों को चोद रहे थे। “उनकी हिम्मत कैसे हुई उन्हें चोदने की। मुझे उन्हें रोकना होगा....” मैं जोर से चिल्लाते हुए खुले दरवाजे की और बढ़ा।
“अगर मैं तुम्हारी जगह होती तो उन्हें नहीं रोकती”, प्रीती ने कहा।
“क्या मतलब है तुम्हारा? मैं यूँ ही चुपचाप खड़ा रहूँ और देखता रहूँ अपनी बहनों की बरबदी को?” मैंने गुस्से में कहा।
“यह कोई तुम्हारे लिये नयी बात नहीं है, इसके पहले भी तुम चुपचाप खड़े अपनी बीवी को दूसरे मर्दों से चुदवाते देख चुके हो, लेकिन मेरा ये मतलब नहीं है....” उसने मुझ पर ताना कसते हुए कहा।
“तो तुम्हारा क्या मतलब है?” मैंने पूछा।
“ज़रा ठंडे दिमाग से सोचो, अगर तुमने एम-डी को उसके इस आनंद में बीच में ही रोक दिया तो ना सिर्फ तुम अपनी नौकरी से हाथ धो बैठोगे बल्कि इस नियापेनसिआ रोड का फ्लैट भी हाथ से जाता रहेगा जिसे तुमने अपनी बीवी की चूत कुर्बान कर के पाया है...” प्रीती ने समझाया।
हाँ... प्रीती सच कह रही थी। मैंने सोचा, अगर एम-डी चाहे तो ये सब कर सकता था। हे भगवान! मैं क्या करूँ? क्या ऐसे ही हाथ पर हाथ धरे बैठा रहूँ। अपनी लाचारी देख मुझे रुलाई फ़ूट पड़ी।
“अब तुम कर भी क्या सकते हो...? उन दोनों का लंड तुम्हारी दोनों बहनों कि चूत में घुस चुका है। ये सच्चाई है और इसे बदला नहीं जा सकता, मैं तो कहती हूँ कि उन लोगों का काम खत्म होने तक इंतज़ार करो...” प्रीती ने सलाह दी। प्रीती के हाथ में ड्रिंक का ग्लास था और वो सिगरेट के कश लेते हुए धीरे-धीरे ड्रिंक सिप कर रही थी।
“ओह गॉड ये सब क्या हो रहा है?” मैंने अपने दोनों हाथ हवा में उठाते हुए कहा।
तभी मुझे अंजू की मादकता भरी आवाज़ सुनाई दी, “हाँ डालो.... और जोर से डालो... हाँआंआँआँआँ इसी तरह चोदते रहो.... बहुत अच्छा लग रहा है... हाँ मेरा छूटने वाला है....।”
अपने कानों पर हाथ रखते हुए मैंने प्रीती से कहा, “मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है”, और मैं सोफ़े पर बैठ गया। मेरी आँखों से आँसू बह रहे थे।
इतनी देर में मुझे अंजू की तरह ही मंजू कि भी आवज़ सुनाई दी। वो भी मादकता में चिल्ला रही थी, “और ज़ोर से चोदो मुझे... हाँ इसी तरह हाँआंआंआं... बहुत अच्छा लग रहा है.... और तेजी से डालो अपना लंड... आआआआआआआआआआहहहह मेरा भी छूटने वाला है।”
“वाह क्या टाईट चूत है.... हाँ! ले मेरे लंड को अपनी चूत में... पूरा समा ले और मेरा सारा पानी पी ले...” कहकर महेश ने उसकी चूत में अपना पानी छोड़ दिया।