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Adultery तरक्की का सफ़र
#79
इतने में मैंने आवाज़ सुनी, भैया, और पीछे मुड़ कर देखा तो मेरी दोनों बहनें अंजू और मंजू हँसते हुए खड़ी थी। मैंने दोनों को बाँहों में भरके चूमा। प्रीती! अच्छा किया जो तुम इन दोनों को साथ ले आयी, मैं इन्हें मिस कर रहा था, मैंने कहा। 

हम लोग घर पहुँचे। अंजू और मंजू दोनों खुश थी। मेरी नयी कार और फ्लैट की बहुत तारीफ कर रही थी। हम लोग जब खाना खा रहे थे तो मैं उनसे उनके बारे में पूछने लगा। वो दोनों सब बता रही थी: घर के बारे में, अपनी सहेलियों के बारे में। 
 
तुम दोनों ने एक बात तो बतायी ही नहीं, मैंने कहा।
 
क्या नहीं बताया भैया?” अंजू ने कहा।
 
अपने बॉय फ्रैंड्स के बारे में... मैंने हँसते हुए कहा।
 
वो दोनों सोच में पड़ गयी और प्रीती की तरफ देखने लगी। फिर मंजू मुँह बनाकर बोली, भैया आपको मालूम है कि हम ऐसी लड़कियाँ नहीं हैं।
 
फिर तो तुम लोगों के लिये लड़के ढूँढने पड़ेंगे, है ना प्रीती?” मैंने हँसते हुए कहा।
 
मैं भी ऐसा ही कुछ सोच रही थी, प्रीती ने जवाब दिया।
 
अगले दिन तक मैं अपनी बहनों को घुमाता फिराता रहा, सिनेमा दिखाया। दोनों बहुत खुश थीं, किंतु मेरे और प्रीती में सब कुछ वैसा ही था। शायद उसने मुझे अभी तक माफ़ नहीं किया था।
 
मैं सुबह रोज़ की तरह ऑफिस पहुँच चुका था। दोपहर के करीब चार बजे प्रीती ने फोन किया और घबरायी आवाज़ में कहा,राज तुम जल्दी घर आ जाओ, अंजू और मंजू.....।
 
मैंने घबरा कर पूछा, क्या हुआ अंजू और मंजू को?”
 
बस तुम जल्दी आ जाओ, कहकर प्रीती ने लाईन डिसकनेक्ट कर दी।
 
मैं अपना सब काम छोड़ कर घर पहुँचा और प्रीती से पूछा, क्या हुआ? कहाँ हैं वो दोनों?”
 
प्रीती ने शरारती मुस्कान के साथ उन दोनों के बेडरूम की तरफ इशारा किया। मैंने देखा बेडरूम का दरवाजा आधा खुला हुआ था और उसमें से मादक सिसकरियों की आवाज़ आ रही थी।
 
क्या हो रहा है वहाँ?” मैंने घबरा के पूछा।
 
क्या हो रहा है? अरे यार, चुदाई हो रही और क्या... प्रीती मुस्कुराते हुए बोली।
 
किसके साथ?” मैं चिल्लाया।
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RE: तरक्की का सफ़र - by rohitkapoor - 31-05-2020, 07:34 PM



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