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Misc. Erotica मैं हसीना गज़ब की
#91
“क्या बताऊँ! उस फर्म का मालिक रस्तोगी और चिन्नास्वामी… पैसे के अलावा भी कुछ फेवर माँगते हैं जो कि मैं पूरा नहीं कर सकता”, जावेद ने कहा। 

“ऐसी क्या डिमाँड करते हैं?” मैंने उनसे पूछा। 
 
“दोनों एक नंबर के राँडबाज हैं। उन्हें लड़की चाहिये।”
 
“तो इसमें क्या परेशान होने की बात हुई। इस तरह की फरमाईश तो कईं लोग करते हैं और करते रहेंगे!” मैंने उनके सर पर हाथ फ़ेर कर साँतवना दी, “आप तो कुछ इस तरह की लड़कियाँ रख लो अपनी कंपनी में या फिर किसी प्रोफेशनल को एक दो दिन का पेमेंट देकर मंगवा लो उनके लिये।”
 
“अरे बात इतनी सी होती तो परेशानी क्या थी। वो बाज़ारू औरतों को नहीं पसंद करते। उन्हें तो कोई साफ़ सुथरी औरत चाहिये..... कोई घरेलू औरत!” जावेद ने कहा, “दोनों अगले हफ़्ते यहाँ आ रहे हैं और अपना ऑर्डर कैंसल करके इनवेस्टमेंट वापस ले जायेंगे। हमारी कंपनी बंद हो जायेगी।”
 
“तो अब्बू से बात कर लो.... वो आपको पैसे दे देंगे”, मैंने कहा।
 
“नहीं! मैं उनसे कुछ नहीं माँगुँगा। मुझे अपनी परेशानी को खुद ही हल करना पड़ेगा। अगर पैसे दे भी दिये तो भी जब खरीदने वाला कोई नहीं रहेगा तो कंपनी को तो बंद करना ही पड़ेगा।” जावेद ने कहा, “अमेरिका में जो फर्म हमारा माल खरीदती है, वो उसका पता देने को तैयार नहीं हैं। नहीं तो मैं डायरेक्ट डीलिंग ही कर लेता।”
 
“फिर?” मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी कि इसका क्या उपाय सोचा जाय।
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RE: मैं हसीना गज़ब की - by rohitkapoor - 31-05-2020, 07:26 PM



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