31-05-2020, 07:25 PM
“आप चल कर तैयारी कीजिये मैं अभी आती हूँ”, मैंने उनसे कहा। वो मुझे एक बार और चूम कर वापस चले गये।
उनके निकलने की तैयारी हो चुकी थी। उनके निकलने से पहले मैंने सबकी आँख बचा कर उनको एक गुलाब भेंट किया जिसे उन्होंने तुरंत अपने होंठों से छुआ कर अपनी जेब में रख लिया।
काफ़ी दिनों तक मैं उदास रही। जावेद मुझे बहुत छेड़ा करता था उनका नाम ले-लेकर। मैं भी उनकी बातों के जवाब में नसरीन भाभी जान को ले आती थी। धीरे-धीरे हमारा रिश्ता वापस नॉर्मल हो गया। फिरोज़ भाई जान का अक्सर मेरे पास फोन आता था। हम नेट पर कैमकॉर्डर की मदद से एक दूसरे को देखते हुए बातें करते थे।
उसके बाद काफी दिनों तक सब कुछ अच्छा चलता रहा। लेकिन जो सबसे बुरा हुआ वो ये कि मेरी प्रेगनेंसी नहीं ठहरी। फिरोज़ भाई जान को एक यादगार गिफ्ट देने की तमन्ना दिल में ही रह गयी। फिरोज़ भाई जान से उस मुलाकात के बाद उस महीने मेरे पीरियड आ गये। उनके वीर्य से मैं प्रेगनेंट नहीं हुई। ये उनको और ज्यादा उदास कर गया। लेकिन मैंने उन्हें दिलासा दिया। उनको मैंने कहा, “मैंने जब ठान लिया है तो मैं तुम्हें ये गिफ्ट तो देकर ही रहुँगी।”
वहाँ सब ठीक थाक चलता रहा लेकिन कुछ महीने बाद जावेद काम से देर रात तक घर आने लगे। मैंने उनके ऑफिस में भी पता किया तो पता लगा कि वो बिज़नेस में घाटे के दौर से गुजर रहे हैं और जो फर्म उनका सारा प्रोडक्शन खरीद कर विदेश भेजता था, उस फर्म ने उनसे रिश्ता तोड़ देने का ऐलान किया है।
एक दिन जब उदास हो कर जावेद घर आये तो मैंने उनसे इस बारे में डिसकस करने का सोचा। मैंने उनसे पूछा कि वो परेशान क्यों रहने लगे हैं। तो उन्होंने कहा, “इलाईट एक्सपोर्टिंग फर्म हमारी कंपनी से नाता तोड़ रहा है। जहाँ तक मैंने सुना है, उनका मुंबई की किसी फर्म के साथ पैक्ट हुआ है।”
“लेकिन हमारी कंपनी से इतना पुराना रिश्ता कैसे तोड़ सकते हैं?”
उनके निकलने की तैयारी हो चुकी थी। उनके निकलने से पहले मैंने सबकी आँख बचा कर उनको एक गुलाब भेंट किया जिसे उन्होंने तुरंत अपने होंठों से छुआ कर अपनी जेब में रख लिया।
काफ़ी दिनों तक मैं उदास रही। जावेद मुझे बहुत छेड़ा करता था उनका नाम ले-लेकर। मैं भी उनकी बातों के जवाब में नसरीन भाभी जान को ले आती थी। धीरे-धीरे हमारा रिश्ता वापस नॉर्मल हो गया। फिरोज़ भाई जान का अक्सर मेरे पास फोन आता था। हम नेट पर कैमकॉर्डर की मदद से एक दूसरे को देखते हुए बातें करते थे।
उसके बाद काफी दिनों तक सब कुछ अच्छा चलता रहा। लेकिन जो सबसे बुरा हुआ वो ये कि मेरी प्रेगनेंसी नहीं ठहरी। फिरोज़ भाई जान को एक यादगार गिफ्ट देने की तमन्ना दिल में ही रह गयी। फिरोज़ भाई जान से उस मुलाकात के बाद उस महीने मेरे पीरियड आ गये। उनके वीर्य से मैं प्रेगनेंट नहीं हुई। ये उनको और ज्यादा उदास कर गया। लेकिन मैंने उन्हें दिलासा दिया। उनको मैंने कहा, “मैंने जब ठान लिया है तो मैं तुम्हें ये गिफ्ट तो देकर ही रहुँगी।”
वहाँ सब ठीक थाक चलता रहा लेकिन कुछ महीने बाद जावेद काम से देर रात तक घर आने लगे। मैंने उनके ऑफिस में भी पता किया तो पता लगा कि वो बिज़नेस में घाटे के दौर से गुजर रहे हैं और जो फर्म उनका सारा प्रोडक्शन खरीद कर विदेश भेजता था, उस फर्म ने उनसे रिश्ता तोड़ देने का ऐलान किया है।
एक दिन जब उदास हो कर जावेद घर आये तो मैंने उनसे इस बारे में डिसकस करने का सोचा। मैंने उनसे पूछा कि वो परेशान क्यों रहने लगे हैं। तो उन्होंने कहा, “इलाईट एक्सपोर्टिंग फर्म हमारी कंपनी से नाता तोड़ रहा है। जहाँ तक मैंने सुना है, उनका मुंबई की किसी फर्म के साथ पैक्ट हुआ है।”
“लेकिन हमारी कंपनी से इतना पुराना रिश्ता कैसे तोड़ सकते हैं?”