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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
#65
हेलो! हाँ मैं ज़ूबी बोल रही हूँ। 

हाय, ज़ूबी! राज बोल रहा हूँ। कैसी हो मेरी काबिल वकील?” राज ने पूछा। 
 
मैं ठीक हूँ,” ज़ूबी किसी भी निजी विषय पर उससे बात नहीं करना चाहती थी, क्या आप अपनी फाइल के बारे में बात करना चाहते हैं?”
 
वैसे तो मैं अपनी फाइल के बारे में भी जानना चाहता हूँ, पर मुझे ये कहते हुए अफ़सोस हो रहा है कि तुम भूल गयी हो कि मैं कौन हूँ।
 
ऐसे कैसे भूल सकती हूँ आपको,” ज़ूबी जबर्दस्ती हंसते हुए बोली, मैं आपके नये केस के सिलसिले में आपसे बात करने ही वाली थी।
 
हाँ... हाँ... मेरी बात धयान से सुनो, तुम्हें मेरा एक काम करना होगा राज ने कहा।
 
राज की बात सुनकर ज़ूबी का दिल बैठ गया, क्या चाहते हैं आप मुझसे?”
 
दिल्ली में मेरी एक दोस्त है, जिसे उसके बिज़नेस में कुछ मदद चाहिये राज ने जवाब दिया, मैं चाहता हूँ कि गुरुवार को तुम दिल्ली जाकर उससे मेरे ऑफिस में मिलो। तुम रविवार की शाम तक रुकने के हिसाब से अपना प्रोग्राम बनाना।
 
ज़ूबी की समझ में नहीं आया कि वो क्या जवाब दे,क्या ऑफिस से और वकील भी मेरे साथ जायेंगे?” ज़ूबी ने पूछा।
 
नहीं मैं चाहता हूँ कि तुम अकेली वहाँ जाओ राज ने जवाब दिया।
 
क्या मैं अपने शौहर को अपने साथ ला सकती हूँ?”
 
हाँ जरूर ला सकती हो,” राज ने कहा और जोरों से हंसने लगा,मुझे विश्वास है कि वहाँ पर तुम अपनी चुदाई अपने शौहर को दिखाना नहीं चाहोगी। मैं तो वो सीडी भी तुम्हारे शौहर को दिखा सकता हूँ जिसमें मैं तुम्हारी चुदाई कर रहा हूँ, और उसे वो भी बताना चाहुँगा कि किस तरह होटल के कमरे में तुमने कितने मर्दों के साथ एक साथ चुदवाया था।
 
ज़ूबी खामोशी से सहमी हुई राज की बातें सुनती रही।
 
तभी राज ने आगे कहा, क्या मैं तुम्हारे शौहर को उस होटल के रूम सर्विस वाले नौजवान के बारे में भी बताऊँ कि किस तरह उसने तुम्हारी चुदाई की थी।
 
फोन पर थोड़ी देर खामोशी छायी रही। तभी ज़ूबी ने जल्दी से कहा, नहीं... नहीं... मेरे शौहर को इस सब में मत घसीटो, ये तुम्हारे और मेरे बीच की बात है... इसे हम दोनों तक ही सिमित रहने दो।
 
ठीक है तो फिर अपने जाने की तैयारी करो और वहाँ पर रविवार की शाम तक का प्रोग्राम बना लो,” राज ने कहा। फिर राज ने उसे उस औरत का फोन नंबर दिया जिससे उसे दिल्ली में सम्पर्क करना था और कहना था, मैं आपका वो इनाम हूँ जिसे मिस्टर राज ने आपको देने को कहा था। राज फिर हंसा, समझ गयी ना।
 
हाँ मैं समझ गयी, वैसे ही होगा जैसा आप चाहेंगे,” कहकर ज़ूबी ने फोन रख दिया।
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RE: हिंदी की कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 24-05-2020, 07:28 PM



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