24-05-2020, 07:27 PM
ज़ूबी कि शादी को कई हफ़्ते बीत चुके थे। आज भी उसे वो दिन याद था कि शादी के तुरंत बाद कैसे बड़ी मुश्किल से उसने अपने आपको साफ़ किया था जिससे उसके शौहर को उस पर शक ना हो पाये। जैसे-जैसे समय बीतता गया, वो अपने साथ हुए हादसों को भूलने लगी।
वो खुशकिस्मत थी कि उसी इज्जत के साथ उसे आज भी अपनी नौकरी हासिल थी। किन हादसों से गुज़र कर उसने अपनी नौकरी बचायी थी। गलती उसकी ही थी शायद, एक तो इतने बड़े ग्राहक का केस उसने गलत तरीके से संभाला था, दूसरा अगर उसकी गलती सामने आ जाती तो शायद उसे अपने वकील के लायसेंस से भी हाथ धाना पड़ सकता था। पर उसकी मेहनत और लगन ने उसे इन सबसे बचा लिया था।
एक अंजान सा डर अब भी ज़ूबी के जेहन में आता रहता था। उसे पता था कि एक ना एक दिन मिस्टर राज जरूर उसे याद करेगा और हो सकता है कि शर्मिन्दगी और जिल्लत का वही दौर फिर से शुरू हो जाये। उसने कई कोशिश कि वो राज के चुंगल के निकल जाये, पर जब तक राज के पास उसकी चुदाई का वीडियो कैसेट था वो कुछ नहीं कर सकती थी।
गुजरते वक्त के साथ उसे लगने लगा कि राज उसकी ज़िंदगी से निकल गया है, पर अल्लाह अभी कहाँ उसपर मेहरबान हुआ था।
एक दिन सुबह वो अपनी कंपनी के पार्टनर के साथ उसके केबिन में किसी केस पर बहस कर रही थी कि तभी इंटरकॉम पर रिसेप्शनिस्ट की आवाज़ आयी।
“ज़ूबी, मिस्टर राज लाइन नंबर सात पर तुमसे बात करना चाहेंगे” रिसेप्शनिस्ट की आवाज़ सुनायी दी।
रिसेप्शनिस्ट की आवाज़ सुनकर उसके हाथ में पकड़ा कॉफी का मग हिलने लगा। उसका बदन फिर एक डर से काँप उठा। फाइल जो उसकी गोद में पड़ी थी फ़िसल कर ज़मीन पर गिर पड़ी।
“ज़ूबी तुम ठीक तो हो ना?” पार्टनर ने पूछा।
ज़ूबी ने अपनी गर्दन धीरे से हिलायी और लगभग लड़खड़ाती आवाज़ में जवाब दिया, “मिस्टर प्रशाँत! एक जरूरी फोन है जिसे मुझे लेना पड़ेगा, मैं अभी आयी।”
बिना कुछ और कहे ज़ूबी कुर्सी से उठी और काँपते हाथों से कॉफी के मग को पार्टनर की टेबल पर रखा और लगभग दौड़ती हुई अपने केबिन में पहुँची।
मिस्टर प्रशाँत, एक चालीस साल का आदमी था। वो हैरानी से ज़ूबी को अपने केबिन से जाते हुए देखता रहा। जैसे ही वो केबिन के बाहर निकली, उसने उठकर अपने केबिन का दरवाजा बंद किया और अपनी अलमारी से एक छोटा सा टेप रिकॉर्डर निकाल कर फोन से अटैच कर दिया। फिर वो लाइन सात के कनेक्ट होने का इंतज़ार करने लगा। उसने फोन का स्पीकर ऑन कर दिया और ज़ूबी और मिस्टर राज की बातें सुनने लगा।
वो सोच रहा था कि कंपनी के सबसे बड़े ग्राहक के साथ ज़ूबी अकेले में क्या बात करना चाहती है। कहीं दोनों के बीच कोई खिचड़ी तो नहीं पक रही।
वो खुशकिस्मत थी कि उसी इज्जत के साथ उसे आज भी अपनी नौकरी हासिल थी। किन हादसों से गुज़र कर उसने अपनी नौकरी बचायी थी। गलती उसकी ही थी शायद, एक तो इतने बड़े ग्राहक का केस उसने गलत तरीके से संभाला था, दूसरा अगर उसकी गलती सामने आ जाती तो शायद उसे अपने वकील के लायसेंस से भी हाथ धाना पड़ सकता था। पर उसकी मेहनत और लगन ने उसे इन सबसे बचा लिया था।
एक अंजान सा डर अब भी ज़ूबी के जेहन में आता रहता था। उसे पता था कि एक ना एक दिन मिस्टर राज जरूर उसे याद करेगा और हो सकता है कि शर्मिन्दगी और जिल्लत का वही दौर फिर से शुरू हो जाये। उसने कई कोशिश कि वो राज के चुंगल के निकल जाये, पर जब तक राज के पास उसकी चुदाई का वीडियो कैसेट था वो कुछ नहीं कर सकती थी।
गुजरते वक्त के साथ उसे लगने लगा कि राज उसकी ज़िंदगी से निकल गया है, पर अल्लाह अभी कहाँ उसपर मेहरबान हुआ था।
एक दिन सुबह वो अपनी कंपनी के पार्टनर के साथ उसके केबिन में किसी केस पर बहस कर रही थी कि तभी इंटरकॉम पर रिसेप्शनिस्ट की आवाज़ आयी।
“ज़ूबी, मिस्टर राज लाइन नंबर सात पर तुमसे बात करना चाहेंगे” रिसेप्शनिस्ट की आवाज़ सुनायी दी।
रिसेप्शनिस्ट की आवाज़ सुनकर उसके हाथ में पकड़ा कॉफी का मग हिलने लगा। उसका बदन फिर एक डर से काँप उठा। फाइल जो उसकी गोद में पड़ी थी फ़िसल कर ज़मीन पर गिर पड़ी।
“ज़ूबी तुम ठीक तो हो ना?” पार्टनर ने पूछा।
ज़ूबी ने अपनी गर्दन धीरे से हिलायी और लगभग लड़खड़ाती आवाज़ में जवाब दिया, “मिस्टर प्रशाँत! एक जरूरी फोन है जिसे मुझे लेना पड़ेगा, मैं अभी आयी।”
बिना कुछ और कहे ज़ूबी कुर्सी से उठी और काँपते हाथों से कॉफी के मग को पार्टनर की टेबल पर रखा और लगभग दौड़ती हुई अपने केबिन में पहुँची।
मिस्टर प्रशाँत, एक चालीस साल का आदमी था। वो हैरानी से ज़ूबी को अपने केबिन से जाते हुए देखता रहा। जैसे ही वो केबिन के बाहर निकली, उसने उठकर अपने केबिन का दरवाजा बंद किया और अपनी अलमारी से एक छोटा सा टेप रिकॉर्डर निकाल कर फोन से अटैच कर दिया। फिर वो लाइन सात के कनेक्ट होने का इंतज़ार करने लगा। उसने फोन का स्पीकर ऑन कर दिया और ज़ूबी और मिस्टर राज की बातें सुनने लगा।
वो सोच रहा था कि कंपनी के सबसे बड़े ग्राहक के साथ ज़ूबी अकेले में क्या बात करना चाहती है। कहीं दोनों के बीच कोई खिचड़ी तो नहीं पक रही।