24-05-2020, 07:23 PM
ज़ूबी अपने आपको फ़िर काफी विवश पा रही थी। वो ना तो हाँ कर सकती थी ना ही ना। ज़ूबी डर और अपमान के मारे बुरी हालत में थी। पर वो जानती थी कि उसे ये सब करना पड़ेगा। वो राज की धमकी से डर सी गयी थी। जैसे ही जूली ने उसके लहँगे को उठाया ज़ूबी ने अपनी सैंडल उतारने की कोशिश की।
जैसे ही ज़ूबी अपनी सैंडल उतारने के लिए झुकी तो जूली ने उसे रोक दिया और उससे कहा, “सैंडल पहनी रहो... तुम्हारे पैरों में जंच रहे हैं... अब ऐसा करो तुम टेबल को पकड़ कर घोड़ी बन जाओ, मैं तुम्हारे इस घाघरे को अच्छी तरह से तुम्हारी कमर तक उठा देती हूँ जिससे ये खराब ना हो।”
जूली ने ये सब इतनी अच्छी तरह से कहा था कि ज़ूबी के पास उसकी बात मानने के अलावा कोई चारा नहीं था। वो घूमी और दोनों हाथों से टेबल को पकड़ कर घोड़ी बन गयी। उसने महसूस किया कि जूली ने उसके घाघरे को उसकी कमर तक उठा दिया है और अब पीछे से उसके बदन को सहला रही है।
“थोड़ा नीचे झुको मेरी गुड़िया,” जूली ने हल्के दबाव से उसे नीचे झुक दिया। वो सोच रही थी कि कमरे के बाहर खड़े उसके परिवार वाले और रिश्तेदार क्या सोच रहे होंगे कि उन्हें बंद कमरे में इतनी देर क्यों लग रही है।
ज़ूबी की चिकनी और गोरी टाँगें कमरे की दूधिया रोशनी में चमक रही थी। उसके कुल्हे और चूत एक सिल्क की सफ़ेद पैंटी से ढकी हुई थी। ज़ूबी का ये नज़ारा किसी भी मर्द को उत्तेजित करने के लिए काफी था।
राज ने महसूस किया कि उसका लंड पैंट के अंदर तनने लगा है। ये सोच कर तो उसका लंड और खड़ा हो गया कि ये नयी नवेली दुल्हन आज शादी के दिन किसी और मर्द से चुदवाने जा रही है।
राज ये सब सोचते हुए अपने लंड को पैंट के ऊपर से मसल रहा था। वहीं जूली ने धीरे से अपनी अँगुलियाँ ज़ूबी कि पैंटी में फँसायी और उसे उसके सैंडलों तक नीचे खिसका दी। फिर उसने ज़ूबी का एक-एक पैर उठा कर वो पैंटी निकाल दी। वो पैंटी उतार कर उसने उसे राज को पकड़ा दी और राज ने उसे अपने कोट की जेब में डाल दी।
ज़ूबी के पीछे खड़े होकर राज ने जूली को इशारा किया। उसका इशारा पा कर वो लड़की अब ज़ूबी के चूत्तड़ों को सहलाने लगी।
“अपनी टाँगों को थोड़ा और फ़ैलाओ रानी,” जूली ने ज़ूबी से कहा।
ज़ूबी के मुँह से एक हल्की सी हुंकार निकली और उसने अपनी टाँगें थोड़ी सी फैला दी जिससे उसकी उभरी हुई चूत अब साफ़ दिखायी दे रही थी।
जूली के हाथ अब ज़ूबी की टाँगों के बीच आ गये। जूली अब अपने हाथ ज़ूबी की बिना झाँटों की साफ़ और चिकनी चूत पर फिराने लगी।
जैसे ही ज़ूबी अपनी सैंडल उतारने के लिए झुकी तो जूली ने उसे रोक दिया और उससे कहा, “सैंडल पहनी रहो... तुम्हारे पैरों में जंच रहे हैं... अब ऐसा करो तुम टेबल को पकड़ कर घोड़ी बन जाओ, मैं तुम्हारे इस घाघरे को अच्छी तरह से तुम्हारी कमर तक उठा देती हूँ जिससे ये खराब ना हो।”
जूली ने ये सब इतनी अच्छी तरह से कहा था कि ज़ूबी के पास उसकी बात मानने के अलावा कोई चारा नहीं था। वो घूमी और दोनों हाथों से टेबल को पकड़ कर घोड़ी बन गयी। उसने महसूस किया कि जूली ने उसके घाघरे को उसकी कमर तक उठा दिया है और अब पीछे से उसके बदन को सहला रही है।
“थोड़ा नीचे झुको मेरी गुड़िया,” जूली ने हल्के दबाव से उसे नीचे झुक दिया। वो सोच रही थी कि कमरे के बाहर खड़े उसके परिवार वाले और रिश्तेदार क्या सोच रहे होंगे कि उन्हें बंद कमरे में इतनी देर क्यों लग रही है।
ज़ूबी की चिकनी और गोरी टाँगें कमरे की दूधिया रोशनी में चमक रही थी। उसके कुल्हे और चूत एक सिल्क की सफ़ेद पैंटी से ढकी हुई थी। ज़ूबी का ये नज़ारा किसी भी मर्द को उत्तेजित करने के लिए काफी था।
राज ने महसूस किया कि उसका लंड पैंट के अंदर तनने लगा है। ये सोच कर तो उसका लंड और खड़ा हो गया कि ये नयी नवेली दुल्हन आज शादी के दिन किसी और मर्द से चुदवाने जा रही है।
राज ये सब सोचते हुए अपने लंड को पैंट के ऊपर से मसल रहा था। वहीं जूली ने धीरे से अपनी अँगुलियाँ ज़ूबी कि पैंटी में फँसायी और उसे उसके सैंडलों तक नीचे खिसका दी। फिर उसने ज़ूबी का एक-एक पैर उठा कर वो पैंटी निकाल दी। वो पैंटी उतार कर उसने उसे राज को पकड़ा दी और राज ने उसे अपने कोट की जेब में डाल दी।
ज़ूबी के पीछे खड़े होकर राज ने जूली को इशारा किया। उसका इशारा पा कर वो लड़की अब ज़ूबी के चूत्तड़ों को सहलाने लगी।
“अपनी टाँगों को थोड़ा और फ़ैलाओ रानी,” जूली ने ज़ूबी से कहा।
ज़ूबी के मुँह से एक हल्की सी हुंकार निकली और उसने अपनी टाँगें थोड़ी सी फैला दी जिससे उसकी उभरी हुई चूत अब साफ़ दिखायी दे रही थी।
जूली के हाथ अब ज़ूबी की टाँगों के बीच आ गये। जूली अब अपने हाथ ज़ूबी की बिना झाँटों की साफ़ और चिकनी चूत पर फिराने लगी।