24-05-2020, 07:13 PM
आखिरकार मैं उनके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। अपनी जीभ निकाल कर उनके लंड को और उनकी गेंदों को चाटने लगी। बीच-बीच में हल्के-हल्के से उनके लंड पर अपने दाँत भी गड़ा देती। उनका लंड अब तन गया था। मैं उसे चाटने के साथ-साथ अपने हाथों से भी सहला रही थी। इस बार उनकी टाँगों को मोड़ कर फ़ैलाने की बारी मेरी थी। मैंने उनकी टाँगों को फैला दिया और उनकी दोनों टाँगों के बीच उनकी गेंदों के नीचे अपनी जीभ फिराने लगी। दोनों गेंदों के नीचे जहाँ दोनों टाँगों का जोड़ होता है वो हिस्सा बहुत ही सेंसटिव था, वहाँ जीभ फ़िराते ही उनका लंड एकदम सख्त हो गया।
मैंने अपने सर को उठाकर इतराते हुए उनकी आँखों में झाँका और मुस्कुरा दी, “देखा? जीत किसकी हुई। अरे औरतों का बस चले तो मुर्दों के लंड भी खड़े कर के दिखा दें।”
“मान गये तुमको.... तुम तो वायग्रा से भी ज्यादा पॉवरफुल हो”, फिरोज़ भाई जान ने कहा।
“अब तुम चुपचाप पड़े रहो.... अब तुम्हें मैं चोदुँगी। मेरे इस पागल आशिक को खुश करने की बारी अब मेरी है।” मैं अपनी जुबान से निकल रहे लफ्जों पर खुद हैरान रह गयी। पहली बार इस तरह के शब्द मैंने किसी गैर-मर्द से कहे थे।
“तुम्हारे इस गधे जैसे लंड का आज मैं सारा रस निचोड़ लुँगी। भाभी को अब अगले एक हफ़्ते तक बगैर रस के ही काम चलाना पड़ेगा”, कहते हुए मैं उनके ऊपर चढ़ गयी और अपने हाथों से उनके लंड को अपनी चूत पर सेट करके अपना बोझ उनके लंड पर डाल दिया। उनका लंड वापस मेरी चूत की दीवारों को रगड़ता हुआ अंदर धंस गया।
“उफ़्फ़्फ़ऽऽऽ हर बार मुझे लगता है कि तुम्हारा लंड गले तक घुस जायेगा। भाभी कैसे झेलती होंगी आपको।” मेरे मुँह से एक हल्की सी दर्द भरी आवाज निकली। ऐसा लग रहा था कि शायद उनके लंड ने ठोक-ठोक कर अंदर की चमड़ी उधेड़ दी हो। मेरी चूत इस बार तो दर्द से फ़टी जा रही थी। मैंने अपने निचले होंठ को दाँतों से सख्ती से दबा कर किसी भी तरह की आवाज को मुँह से निकलने से रोका।
मैंने अपने सर को उठाकर इतराते हुए उनकी आँखों में झाँका और मुस्कुरा दी, “देखा? जीत किसकी हुई। अरे औरतों का बस चले तो मुर्दों के लंड भी खड़े कर के दिखा दें।”
“मान गये तुमको.... तुम तो वायग्रा से भी ज्यादा पॉवरफुल हो”, फिरोज़ भाई जान ने कहा।
“अब तुम चुपचाप पड़े रहो.... अब तुम्हें मैं चोदुँगी। मेरे इस पागल आशिक को खुश करने की बारी अब मेरी है।” मैं अपनी जुबान से निकल रहे लफ्जों पर खुद हैरान रह गयी। पहली बार इस तरह के शब्द मैंने किसी गैर-मर्द से कहे थे।
“तुम्हारे इस गधे जैसे लंड का आज मैं सारा रस निचोड़ लुँगी। भाभी को अब अगले एक हफ़्ते तक बगैर रस के ही काम चलाना पड़ेगा”, कहते हुए मैं उनके ऊपर चढ़ गयी और अपने हाथों से उनके लंड को अपनी चूत पर सेट करके अपना बोझ उनके लंड पर डाल दिया। उनका लंड वापस मेरी चूत की दीवारों को रगड़ता हुआ अंदर धंस गया।
“उफ़्फ़्फ़ऽऽऽ हर बार मुझे लगता है कि तुम्हारा लंड गले तक घुस जायेगा। भाभी कैसे झेलती होंगी आपको।” मेरे मुँह से एक हल्की सी दर्द भरी आवाज निकली। ऐसा लग रहा था कि शायद उनके लंड ने ठोक-ठोक कर अंदर की चमड़ी उधेड़ दी हो। मेरी चूत इस बार तो दर्द से फ़टी जा रही थी। मैंने अपने निचले होंठ को दाँतों से सख्ती से दबा कर किसी भी तरह की आवाज को मुँह से निकलने से रोका।