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Adultery तरक्की का सफ़र
#63
भाग-५

सुबह मैंने देखा कि प्रीती हाथ में चाय का कप लिये मुझे उठा रही थी, उठो! कितनी सुबह हो गयी है, क्या ऑफिस नहीं जाना है?” उसे देख कर ऐसा लग रहा था कि उसने हालात से समझौता कर लिया था। कल रात के किस्से को उसने अपना लिया था। मैं मन ही मन खुश हुआ पर ये मेरी खुशी कितनी गलत थी ये मुझे बाद में पता चला। 

मैंने उसे काफी समझाने की कोशिश की पर मेरी हर कोशिश के बावजूद उसने मेरे साथ सोने से साफ इनकार कर दिया। 

हम लोग हमारे नये नियापेनसिआ रोड के फ्लैट में शिफ़्ट हो गये। घर काफी बड़ा था। एक दिन ऑफिस से घर लौटते हुए मैंने देखा कि एक ३०-३५ साल का आदमी घर से बाहर निकल रहा है। 

घर में घुस कर मैंने देखा कि प्रीती नाइटी पहने हुए है और बिस्तर काफी सलवटों से भरा पड़ा था। 

वो आदमी कौन था जो अभी यहाँ से गया?” मैंने पूछा।

अरे वो? वो हमारा बनिया था, प्रीती ने शरारत भरी मुस्कान के साथ कहा।

वो हमारा बनिया तो था पर वो हमारे घर में क्या कर रहा था, और ये बिस्तर ऐसा क्यों हुआ पड़ा है?” मैंने गुस्से में कहा।

 मुझे उसे तीन महीने का बिल देना था, और मैं उसे ऐसे ही नहीं छोड़ सकती थी।

 तो?” मैंने पूछा। 

 तो क्या? मैंने उसका हिसाब अपनी चूत देकर चुक्ता कर दिया, प्रीती ने एक बदमाशी भरी मुस्कान के साथ जवाब दिया। 

 तुमने क्या किया?” मैं जोर से चिल्लाया। 

 राज! चिल्लाने की जरूरत नहीं है, तुम ही हमेशा कहा करते थे कि पैसा संभाल कर खर्चा करा करो, देखो मैंने अपनी चूत से तुम्हारे कितने पैसे बचा दिये।

पहली बार मुझे अपने आप पर अफ़सोस हो रहा था कि मैंने उसे एम-डी के साथ क्यों सोने दिया।

जो होना था वो हो गया। अब मुझे इस नयी प्रीती के साथ ही निभाना पड़ेगा। ज़िंदगी रूटीन की तरह चल पड़ी। प्रीती आज भी मुझे उसे चोदने नहीं देती थी, पर हाँ! मेरी तीनों एसिस्टेंट्स मुझसे बराबर चुदवाती रहती थी। 
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RE: तरक्की का सफ़र - by rohitkapoor - 24-05-2020, 06:36 PM



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