17-05-2020, 08:51 PM
“मिस्टर राज! शायद आप मज़ाक कर रहे हैं,” ज़ूबी ने थोड़ा हंसते हुए कहा, “आपको पता है ना कि आज मेरा निकाह है।”
“मैं जानता हूँ ज़ूबी, पर सिर्फ़ दस मिनट लगेंगे। शादी के बाद तुम अपने हनीमून पर चली जाओगी और मैं इस समस्या के विषय में तुमसे कम से कम तीन हफ़्तों तक बात नहीं कर पाऊँगा। मुझे आज ही तुमसे बात कर के इस समस्या का हल निकालना है,” राज ने उसे समझाते हुए कहा।
ज़ूबी राज के बारे में अच्छी तरह जानती थी। एक बार जो वो कह देता था वो कर के रहता था। फिर ज़ूबी बात को बढ़ाना भी नहीं चाहती थी। एक अनजाना डर सा उसके दिल में था, पता नहीं राज क्या कर बैठे।
ज़ूबी की माँ को ज़ूबी की हालत का अंदाज़ा नहीं था, और ना ही उसे राज की या उसकी कंपनी की समस्या से कोई लेना देना था।
“मिस्टर राज!” ज़ूबी की अम्मी ने कहा, “मैं ये कहने पर मजबूर हूँ कि आज आप नाजायज़ बात कर रहे हैं, कम से कम आज के दिन तो ज़ूबी को आप काम से दूर रखें।”
राज ने ज़ूबी की और देखा, “ठीक है ज़ूबी मैं तुम्हें आज के दिन कोई काम करने पर मजबूर नहीं करूँगा, पर ये टेप मैं यहाँ छोड़े जा रहा हूँ, इसे अपनी अम्मी को ज़रूर दिखाना। इसमें हमारी कंपनी की तरक्की की कहानी है,” राज ने एक टेप अपनी जेब से निकाल कर टेबल पर रख दी।
राज की ये हर्कत देख कर ज़ूबी तो मानो पत्थर की मुरत बन गयी। उसने तुरंत अपनी हालत पर काबू पाया।
“अम्मी मैं एक वकील हूँ और आपको क्या मालुम कि वकील का पेशा क्या होता है। माना आज मेरा निकाह है पर मेरा काम मेरे निकाह से ज्यादा अहम है,” ज़ूबी ने अपनी अम्मी को समझाते हुए कहा, “प्लीज़ एक मिनट मुझे मिस्टर राज से बात कर लेने दिजिये।”
ज़ूबी ने इशारे से राज को अपने पास बुलाया और कमरे के एक कोने में ले जाकर बात करने लगी।
राज ज़ूबी के पास पहुँचा, “ज़ूबी मैं जानता हूँ कि ये सही नहीं है, पर मुझे तुमसे कुछ अकेले में बात करनी है।”
ज़ूबी की समझ में नहीं आ रहा था कि राज को क्या जवाब दे। कभी वो अपने हाथ में पकड़े उस विडियो टेप को देखती और कभी कमरे में खड़े सभी लोगों को।
“मैं जानता हूँ ज़ूबी, पर सिर्फ़ दस मिनट लगेंगे। शादी के बाद तुम अपने हनीमून पर चली जाओगी और मैं इस समस्या के विषय में तुमसे कम से कम तीन हफ़्तों तक बात नहीं कर पाऊँगा। मुझे आज ही तुमसे बात कर के इस समस्या का हल निकालना है,” राज ने उसे समझाते हुए कहा।
ज़ूबी राज के बारे में अच्छी तरह जानती थी। एक बार जो वो कह देता था वो कर के रहता था। फिर ज़ूबी बात को बढ़ाना भी नहीं चाहती थी। एक अनजाना डर सा उसके दिल में था, पता नहीं राज क्या कर बैठे।
ज़ूबी की माँ को ज़ूबी की हालत का अंदाज़ा नहीं था, और ना ही उसे राज की या उसकी कंपनी की समस्या से कोई लेना देना था।
“मिस्टर राज!” ज़ूबी की अम्मी ने कहा, “मैं ये कहने पर मजबूर हूँ कि आज आप नाजायज़ बात कर रहे हैं, कम से कम आज के दिन तो ज़ूबी को आप काम से दूर रखें।”
राज ने ज़ूबी की और देखा, “ठीक है ज़ूबी मैं तुम्हें आज के दिन कोई काम करने पर मजबूर नहीं करूँगा, पर ये टेप मैं यहाँ छोड़े जा रहा हूँ, इसे अपनी अम्मी को ज़रूर दिखाना। इसमें हमारी कंपनी की तरक्की की कहानी है,” राज ने एक टेप अपनी जेब से निकाल कर टेबल पर रख दी।
राज की ये हर्कत देख कर ज़ूबी तो मानो पत्थर की मुरत बन गयी। उसने तुरंत अपनी हालत पर काबू पाया।
“अम्मी मैं एक वकील हूँ और आपको क्या मालुम कि वकील का पेशा क्या होता है। माना आज मेरा निकाह है पर मेरा काम मेरे निकाह से ज्यादा अहम है,” ज़ूबी ने अपनी अम्मी को समझाते हुए कहा, “प्लीज़ एक मिनट मुझे मिस्टर राज से बात कर लेने दिजिये।”
ज़ूबी ने इशारे से राज को अपने पास बुलाया और कमरे के एक कोने में ले जाकर बात करने लगी।
राज ज़ूबी के पास पहुँचा, “ज़ूबी मैं जानता हूँ कि ये सही नहीं है, पर मुझे तुमसे कुछ अकेले में बात करनी है।”
ज़ूबी की समझ में नहीं आ रहा था कि राज को क्या जवाब दे। कभी वो अपने हाथ में पकड़े उस विडियो टेप को देखती और कभी कमरे में खड़े सभी लोगों को।