17-05-2020, 08:48 PM
“प्लीज़...!” ज़ूबी उस होटल वाले नौजवान से गिड़गिड़ाते हुए बोली, “प्लीज़ तुमने वादा किया था।”
“देखो मेरी बात सुनो,” उस नौजवान ने कहा, “तुमने कहा था कि तुम कुछ भी करने को तैयार हो, तुम्हें तुम्हारे घर जाना है कि नहीं?”
ज़ूबी कुछ जवाब नहीं दे पायी।
“मैंने जो कहा वो करना चाहती हो कि नहीं? नहीं तो मैं तुम्हें अभी इस वक्त गाड़ी से उतार दूँगा।” उस नौजवान ने उसे धमकाते हुए कहा।
“मैं नहीं सह सकती... प्लीज़...।”
पर ज़ूबी की आवाज़ उसके हलक में दब कर रह गयी। वो नौजवान उसकी चूचियों को मसले जा रहा था। ज़ूबी उस नये नौजवान से थोड़ा हट कर बैठी थी। उस नौजवान ने शॉट्र्स और टी-शर्ट पहन रखी थी। उस लड़के ने ज़ूबी के हाथ को पकड़ा और अपने खड़े लंड पर रख दिया।
“अच्छा है ना?” कहकर उस लड़के ने ज़ूबी के हाथ को अपने लंड पर दबा दिया।
तभी ज़ूबी ने उस होटल के लड़के का हाथ अपने कंधे पर महसूस किया, “तुम इसके लंड को चूसती क्यों नहीं हो?”
अपमान और आत्मग्लानि की एक लहर सी दौड़ गयी ज़ूबी के शरीर में। ये दोनों क्या उसे कोई दो टके में बिकने वाली रंडी समझते थे। पर ज़ूबी के पास कोई चारा नहीं था। अगर ये दोनों उसे इस तरह नंगा सड़क पर छोड़ देते तो उसकी काफी बदनामी होती। वो बरबाद हो जाती।
ज़ूबी ने देखा कि आने वाला नौजवान अपनी सीट पर थोड़ा कसमसा रहा है और अपनी शॉट्र्स नीचे खिसका रहा है। ज़ूबी समझ गयी कि उसे ये सब करना ही पड़ेगा।
होटल वाले नौजवान ने उसके कुल्हों को सहलाते हुए कहा, “चलो अब चूसो भी!”
ज़ूबी ने घूम कर देखा कि एक लंबा और मोटा लंड उसके चेहरे के सामने फुंकार मार रहा था। उसे घृणा तो बहुत आयी पर मजबूर होकर उसने अपना मुँह खोला और उस लंड को अपने मुँह में लिया। शायद आज के बाद उसकी हालत सुधर जाये।
उस आने वाले लड़के ने अपने हाथ ज़ूबी के सिर पर रख दिये और उसके सिर को अपने लंड पर ऊपर नीचे होते देखने लगा। ज़ूबी का एक हाथ उसके लंड को पकड़े हुए था और दूसरा हाथ उसकी गोलियों को सहला रहा था।
उस होटल वाले नौजवान ने गाड़ी चला दी थी। ज़ूबी उस नये नौजवान का लंड चूस रही थी और गाड़ी शहर कि सड़कों पर ऐसे ही चल रही थी।
“देखो मेरी बात सुनो,” उस नौजवान ने कहा, “तुमने कहा था कि तुम कुछ भी करने को तैयार हो, तुम्हें तुम्हारे घर जाना है कि नहीं?”
ज़ूबी कुछ जवाब नहीं दे पायी।
“मैंने जो कहा वो करना चाहती हो कि नहीं? नहीं तो मैं तुम्हें अभी इस वक्त गाड़ी से उतार दूँगा।” उस नौजवान ने उसे धमकाते हुए कहा।
“मैं नहीं सह सकती... प्लीज़...।”
पर ज़ूबी की आवाज़ उसके हलक में दब कर रह गयी। वो नौजवान उसकी चूचियों को मसले जा रहा था। ज़ूबी उस नये नौजवान से थोड़ा हट कर बैठी थी। उस नौजवान ने शॉट्र्स और टी-शर्ट पहन रखी थी। उस लड़के ने ज़ूबी के हाथ को पकड़ा और अपने खड़े लंड पर रख दिया।
“अच्छा है ना?” कहकर उस लड़के ने ज़ूबी के हाथ को अपने लंड पर दबा दिया।
तभी ज़ूबी ने उस होटल के लड़के का हाथ अपने कंधे पर महसूस किया, “तुम इसके लंड को चूसती क्यों नहीं हो?”
अपमान और आत्मग्लानि की एक लहर सी दौड़ गयी ज़ूबी के शरीर में। ये दोनों क्या उसे कोई दो टके में बिकने वाली रंडी समझते थे। पर ज़ूबी के पास कोई चारा नहीं था। अगर ये दोनों उसे इस तरह नंगा सड़क पर छोड़ देते तो उसकी काफी बदनामी होती। वो बरबाद हो जाती।
ज़ूबी ने देखा कि आने वाला नौजवान अपनी सीट पर थोड़ा कसमसा रहा है और अपनी शॉट्र्स नीचे खिसका रहा है। ज़ूबी समझ गयी कि उसे ये सब करना ही पड़ेगा।
होटल वाले नौजवान ने उसके कुल्हों को सहलाते हुए कहा, “चलो अब चूसो भी!”
ज़ूबी ने घूम कर देखा कि एक लंबा और मोटा लंड उसके चेहरे के सामने फुंकार मार रहा था। उसे घृणा तो बहुत आयी पर मजबूर होकर उसने अपना मुँह खोला और उस लंड को अपने मुँह में लिया। शायद आज के बाद उसकी हालत सुधर जाये।
उस आने वाले लड़के ने अपने हाथ ज़ूबी के सिर पर रख दिये और उसके सिर को अपने लंड पर ऊपर नीचे होते देखने लगा। ज़ूबी का एक हाथ उसके लंड को पकड़े हुए था और दूसरा हाथ उसकी गोलियों को सहला रहा था।
उस होटल वाले नौजवान ने गाड़ी चला दी थी। ज़ूबी उस नये नौजवान का लंड चूस रही थी और गाड़ी शहर कि सड़कों पर ऐसे ही चल रही थी।