17-05-2020, 08:37 PM
ये भी मेरी ज़िंदगी के ना-भूलने वाले सीन थे क्योंकि खतरे में चूत मारने और उन दोनों के साथ चुदाई करने का और ही मज़ा था। खैर मेरी ज़िंदगी बहुत ही सेटिसफाईड और मज़े में उन दो चूतों और उनकी गाँडों के मारने में गुज़र रही थी। उन दोनो को भी मालूम था कि मैं कहीं और नहीं जाता बल्कि सिर्फ़ उनकी चूत और गाँड मारता हूँ। इसमें कोई शक नहीं कि मैंने वो पूरा अर्सा उनके अलावा कहीं कोई और चूत नहीं चोदी क्योंकि उन्होंने इतना सेटिसफाईड रखा था कि कभी कहीं और चुदाई करने के लिये लंड में ताकत ही नहीं रहती थी। इसके अलावा मैं उनके साथ बहुत खुश रहता था। मेरी ज़िंदगी के रूटीन में शामिल हो गया था कि मैं अक्सर उनमें से एक को या दोनों को डेट पर लेकर जाता था। इसके अलावा महीने में एक या दो बार रिस्क लेकर उसी तरह उनके रूम में जाता और एक साथ उन दोनों की चुदाई करता था।
इस तरह दो साल तक मैंने अपनी ज़िंदगी में चुदाई का भरपूर मज़ा लिया और ना-भूलने वाली यादें कायम कीं। मगर फिर शायद चुदाई के दिन पूरे हो गये या किस्मत की खराबी हुई कि मेरी पोस्टिंग का ऑर्डर आ गया।
मुझे आज भी वो रात याद है जब मैं अपने मूव होने से एक रात पहले शाज़िया और फौज़िया के रूम में उनको चोद रहा था और बहुत उदास था क्योंकि एक दिन बाद मैंने चले जाना था। उस दिन मैंने जी भर कर दोनों को चोद और उनकी गाँड मारी मगर इंसान का जी नहीं भरता और मैं इसलिये परेशान था कि फिर पता नहीं ऐसी चूतें नसीब होती हैं कि नहीं।
यह एक बात बहुत दिलचस्प थी कि वो दोनों मेरे साथ शादी के लिये भी तैयार हो गयी थीं। उन्होंने मुझे प्रपोज़ल दिया कि हम दोनों से शादी करलो, हम साथ साथ रहेंगे। मगर एक तो मेरी फैमली कभी भी नर्स के साथ शादी नहीं मानती और ऊपर से उनके साथ दोस्ती और चुदाई की जा सकती थी, उनको वाईफ नहीं बनाया जा सकता था। उनकी ज़िंदगी में शराब, ऐय्याशी और चुदाई इतनी लाज़िम हो गयी थी कि मेरी शादी के बाद मेरे बैटमैन या मेरे दोस्तों से चुदवाये बिना नहीं रहतीं और मैं अहमद को तो बरदाश्त कर सकता था मगर किसी और को नहीं। दुसरी बात ये कि कभी-कभी तो दोनों को एक साथ चोदने में मज़ा था पर हर रोज़ दोनों को एक साथ चोदना पड़ता तो कुछ ही महीनों में वो दोनों मिलकर मुझे निचोड़ कर मेरी जान निकाल देतीं।
आखिरकार लतदाद यादें उनके पास छोड़ कर स्करदू के लिये पोस्टिंग पर रवाना हुआ। उस दिन वो दोनों मुझे कराची कैंट स्टेशन सी-ऑफ करने आयी हुई थी। मैंने उनको अपने केबिन में बहुत प्यार किया और दोनों को बहुत किस किया। फिर उनको उदास छोड़ कर मैं चला गया। यहाँ स्करदू में पहुँच कर मैं एक महिना बेस कैंप में रहा और उनसे फोन और खतों के ज़रिये कांटेक्ट रहा। जैसा मेरा अंदाज़ा था दोनों धीरे-धीरे पहले जैसे ही अपने रूटिन में मस्त हो गयी। अब वो बेखौफ होकर दिन में जहाँ कहीं भी और जिस किसी के साथ भी मौका मिलता चुदवा लेती थीं, फिर चाहे वो ज़मादार हो या वार्ड-बॉय हो या कोई और। रात भर तो दोनों नशे में चूर होकर एक दूसरे से लेस्बियन सैक्स का मज़ा लेती थीं। मैं स्करदू की बर्फ़ीली पहाड़ियों पर हूँ और काफी समय हो गया है उन दोनो से कोई कांटेक्ट नहीं है, लेकिन इतना भरोसा है कि उन दोनों की चूतें बाकायदा चुद रही होंगी।
इस तरह दो साल तक मैंने अपनी ज़िंदगी में चुदाई का भरपूर मज़ा लिया और ना-भूलने वाली यादें कायम कीं। मगर फिर शायद चुदाई के दिन पूरे हो गये या किस्मत की खराबी हुई कि मेरी पोस्टिंग का ऑर्डर आ गया।
मुझे आज भी वो रात याद है जब मैं अपने मूव होने से एक रात पहले शाज़िया और फौज़िया के रूम में उनको चोद रहा था और बहुत उदास था क्योंकि एक दिन बाद मैंने चले जाना था। उस दिन मैंने जी भर कर दोनों को चोद और उनकी गाँड मारी मगर इंसान का जी नहीं भरता और मैं इसलिये परेशान था कि फिर पता नहीं ऐसी चूतें नसीब होती हैं कि नहीं।
यह एक बात बहुत दिलचस्प थी कि वो दोनों मेरे साथ शादी के लिये भी तैयार हो गयी थीं। उन्होंने मुझे प्रपोज़ल दिया कि हम दोनों से शादी करलो, हम साथ साथ रहेंगे। मगर एक तो मेरी फैमली कभी भी नर्स के साथ शादी नहीं मानती और ऊपर से उनके साथ दोस्ती और चुदाई की जा सकती थी, उनको वाईफ नहीं बनाया जा सकता था। उनकी ज़िंदगी में शराब, ऐय्याशी और चुदाई इतनी लाज़िम हो गयी थी कि मेरी शादी के बाद मेरे बैटमैन या मेरे दोस्तों से चुदवाये बिना नहीं रहतीं और मैं अहमद को तो बरदाश्त कर सकता था मगर किसी और को नहीं। दुसरी बात ये कि कभी-कभी तो दोनों को एक साथ चोदने में मज़ा था पर हर रोज़ दोनों को एक साथ चोदना पड़ता तो कुछ ही महीनों में वो दोनों मिलकर मुझे निचोड़ कर मेरी जान निकाल देतीं।
आखिरकार लतदाद यादें उनके पास छोड़ कर स्करदू के लिये पोस्टिंग पर रवाना हुआ। उस दिन वो दोनों मुझे कराची कैंट स्टेशन सी-ऑफ करने आयी हुई थी। मैंने उनको अपने केबिन में बहुत प्यार किया और दोनों को बहुत किस किया। फिर उनको उदास छोड़ कर मैं चला गया। यहाँ स्करदू में पहुँच कर मैं एक महिना बेस कैंप में रहा और उनसे फोन और खतों के ज़रिये कांटेक्ट रहा। जैसा मेरा अंदाज़ा था दोनों धीरे-धीरे पहले जैसे ही अपने रूटिन में मस्त हो गयी। अब वो बेखौफ होकर दिन में जहाँ कहीं भी और जिस किसी के साथ भी मौका मिलता चुदवा लेती थीं, फिर चाहे वो ज़मादार हो या वार्ड-बॉय हो या कोई और। रात भर तो दोनों नशे में चूर होकर एक दूसरे से लेस्बियन सैक्स का मज़ा लेती थीं। मैं स्करदू की बर्फ़ीली पहाड़ियों पर हूँ और काफी समय हो गया है उन दोनो से कोई कांटेक्ट नहीं है, लेकिन इतना भरोसा है कि उन दोनों की चूतें बाकायदा चुद रही होंगी।
॥॥॥ समाप्त ॥॥॥