17-05-2020, 08:26 PM
“वो क्या कहेंगे.... वो दोनों भी तो इसी तरह पड़े हैं। जब उन्हें किसी तरह की शरम और हया महसूस नहीं हो रही है तो हम क्यों ऐसी फ़ालतू बातों में अपना वक्त बर्बाद करें।” उन्होंने मेरे खाली ग्लास में और व्हिस्की डालते हुए कहा और वो अपने लंड को मेरे दोनों चूतड़ों के बीच रगड़ने लगे। उनका लंड वापस खड़ा होने लगा था। मैंने उनके लंड को अपने हाथों में थाम लिया और सहलाने लगी।
“आपका ये काफी बड़ा है। बहुत परेशान करता है। मेरी चूत को तो बिल्कुल फाड़ कर रख दिया। अभी तक दुख रही है।” मैंने उनके लंड के साथ-साथ, नीचे लटकते उनके गेंदों को भी सहलाते हुए कहा और अपना पैग पीने लगी।
अचानक उन्होंने अपनी मुठ्ठी में बंद एक खूबसूरत लॉकेट मेरे गले में पहना दिया।
“ये?” मैं उसे देख कर चौंक गयी।
“ये तुम्हारे लिये है। हमारी मोहब्बत की एक छोटी सी निशानी!” उन्होंने उस नेकलेस को गले में पहनाते हुए कहा।
“ये छोटी सी है?” मैंने उस नेकलेस को अपने हाथों में लेकर निहारते हुए कहा, “ये तो बहुत महंगी है, फिरोज़!”
“खूबसूरत जिस्म पर पहनने के लिये गहना भी वैसा ही होना चाहिये। इसकी रौनक तो तुम्हारे गले से लिपट कर बढ़ गयी है।” मैंने उन्हें आगे कुछ बोलने नहीं दिया और अपना ग्लास रख कर पीछे घूम कर उनसे लिपट गयी और उनके तपते होंठ पर अपने होंठ रख दिये। उन्होंने अपने सिर को झुका कर मेरे दोनों बूब्स के बीच झूल रहे उस लॉकेट को चूमा। ऐसा करते वक्त उनका मुँह मेरे दोनों मम्मों के बीच धंस गया। मैंने उनके बालों में अपनी अँगुलियाँ फ़िराते हुए उनके सिर को अपनी छातियों के बीच दबा दिया। मैं अपनी एक टाँग को उठा कर उनकी जाँघ पर रगड़ने लगी। मेरी जाँघों पर लगा दोनों के रस का लेप उनकी जाँघ पर भी फ़ैल गया। मैं उनके लंड को अपने हाथों में लेकर अपनी चूत के ऊपर फिराने लगी। हम दोनों एक दूसरे को मसलते हुए वापस गरम होने लगे। उन्होंने मुझे किचन की स्लैब पर हाथ रखवा कर सामने की ओर झुकाया और अपने लंड को मेरी रस से चुपड़ी हुई चूत पर लगा कर अंदर कर दिया।
“ऊऊह क्या कर रहे हो। पूरा दूध मेरे ऊपर उफ़न जायेगा। दूध गरम हो गया है।” मैंने उन्हें रोकने के इरादे से कहा।
“होने दो कुछ भी.... लेकिन अभी इस वक्त मुझे सिर्फ तुम और तुम्हारा ये नशीला जिस्म दिख रहा है। अब मेरा अपने ऊपर काबू नहीं रहा। तुम मुझे इतना पागल कर देती हो कि मुझे और कुछ भी नहीं दिखता।”
“आपका ये काफी बड़ा है। बहुत परेशान करता है। मेरी चूत को तो बिल्कुल फाड़ कर रख दिया। अभी तक दुख रही है।” मैंने उनके लंड के साथ-साथ, नीचे लटकते उनके गेंदों को भी सहलाते हुए कहा और अपना पैग पीने लगी।
अचानक उन्होंने अपनी मुठ्ठी में बंद एक खूबसूरत लॉकेट मेरे गले में पहना दिया।
“ये?” मैं उसे देख कर चौंक गयी।
“ये तुम्हारे लिये है। हमारी मोहब्बत की एक छोटी सी निशानी!” उन्होंने उस नेकलेस को गले में पहनाते हुए कहा।
“ये छोटी सी है?” मैंने उस नेकलेस को अपने हाथों में लेकर निहारते हुए कहा, “ये तो बहुत महंगी है, फिरोज़!”
“खूबसूरत जिस्म पर पहनने के लिये गहना भी वैसा ही होना चाहिये। इसकी रौनक तो तुम्हारे गले से लिपट कर बढ़ गयी है।” मैंने उन्हें आगे कुछ बोलने नहीं दिया और अपना ग्लास रख कर पीछे घूम कर उनसे लिपट गयी और उनके तपते होंठ पर अपने होंठ रख दिये। उन्होंने अपने सिर को झुका कर मेरे दोनों बूब्स के बीच झूल रहे उस लॉकेट को चूमा। ऐसा करते वक्त उनका मुँह मेरे दोनों मम्मों के बीच धंस गया। मैंने उनके बालों में अपनी अँगुलियाँ फ़िराते हुए उनके सिर को अपनी छातियों के बीच दबा दिया। मैं अपनी एक टाँग को उठा कर उनकी जाँघ पर रगड़ने लगी। मेरी जाँघों पर लगा दोनों के रस का लेप उनकी जाँघ पर भी फ़ैल गया। मैं उनके लंड को अपने हाथों में लेकर अपनी चूत के ऊपर फिराने लगी। हम दोनों एक दूसरे को मसलते हुए वापस गरम होने लगे। उन्होंने मुझे किचन की स्लैब पर हाथ रखवा कर सामने की ओर झुकाया और अपने लंड को मेरी रस से चुपड़ी हुई चूत पर लगा कर अंदर कर दिया।
“ऊऊह क्या कर रहे हो। पूरा दूध मेरे ऊपर उफ़न जायेगा। दूध गरम हो गया है।” मैंने उन्हें रोकने के इरादे से कहा।
“होने दो कुछ भी.... लेकिन अभी इस वक्त मुझे सिर्फ तुम और तुम्हारा ये नशीला जिस्म दिख रहा है। अब मेरा अपने ऊपर काबू नहीं रहा। तुम मुझे इतना पागल कर देती हो कि मुझे और कुछ भी नहीं दिखता।”