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Misc. Erotica मैं हसीना गज़ब की
#68
“हूँ...ऊँह।” मेरे मुँह से एक हल्की सी दर्द भरी आवाज निकली। मैंने अब अपनी टाँगों को दोनों ओर फैलाया और उनकी कमर को दोनों ओर से अपनी टाँगों से जकड़ लिया। अब मैं उनके जिस्म से किसी जोंक की तरह चिपक गयी थी। वो अपनी कमर उठाते तो मेरा पूरा जिस्म उनके साथ ही उठ जाता। उन्होंने एक ही धक्के में अपना पूरा मूसल जैसा लंड मेरी चूत में डाल दिया। मैंने अपनी चूत के मसल्स से उनके लंड को बुरी तरह जकड़ रखा था। मैं उनके मंथन से पहले अपनी चूत से उनके लंड को अच्छी तरह महसूस करना चाहती थी। 

“शहनाज़! बहुत टाईट है तुम्हारी…” कहते हुए फिरोज़ भाई जान के होंठ मेरे होंठों पर आ लगे। 
 
“आपको पसंद आयी?” मैंने पूछा तो उन्होंने बस हूँ कहा।
 
“ये तुम्हारे लिये है..... जब जी चाहे इसको यूज़ करना,” मैंने उनके गले में अपनी बांहें डाल कर उनके कान में धीरे से कहा, “आज मुझे इतना रगड़ो कि जिस्म का एक-एक जोड़ दर्द से तड़पने लगे।”
 
वो अब मेरे दोनों मम्मों को अपनी मुठ्ठी से मसलते हुए मेरी चूत में धक्के मार रहे थे। हर धक्के के साथ उनका लंड एक दम टोपे तक बाहर आता और फिर अगले ही पल पूरा अंदर समा जाता। मेरी चूत को तकिये से उठा कर रखने की वजह से उनके लंड की हर हरकत मुझे नज़र आ रही थी। मैं इतनी उत्तेजित थी और मेरा इतनी बार झड़ना हुआ कि गिनती ही भूल गयी। मैं बुरी तरह थक चुकी थी। लेकिन वो लगातार मुझे आधे घंटे तक इसी तरह ठोकते रहे। मेरा जिस्म पसीने से लथपथ हो रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था मानो मैं बादलों में उड़ती हुई जा रही हूँ। मुझे चुदाई में इतना मज़ा कभी नहीं मिला था। लग रहा था कि काश फिरोज़ भाई जान सारी ज़िंदगी इसी तरह बिना रुके चोदते ही जायें, बस… चोदते ही जायें। पूरा बिस्तर उनके धक्कों से हिल रहा था लेकिन नसरीन भाभी और जावेद पर कोई असर नहीं पड़ रहा था। दोनों थक कर और शराब के नेशे में बेसुध होकर गहरी नींद में सो रहे थे।
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RE: मैं हसीना गज़ब की - by rohitkapoor - 17-05-2020, 08:22 PM



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