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Misc. Erotica मैं हसीना गज़ब की
#67
“क्यों तड़पा रहे हो जान! अंदर कर दो ना! क्यों मिन्नतें करवा रहे हो!” मैंने उनकी आँखों में झाँकते हुए उनसे मिन्नतें कीं। 

“ऊँहूँ पहले रिक्वेस्ट करो,” वो मेरी हालत का मज़ा ले रहे थे। 
 
“प्ली..ईऽऽऽ..ज़ऽऽऽ”, मैंने उनसे कहा।
 
“क्या? प्लीज़ क्या?” उन्होंने वापस मुझे छेड़ा।
 
“आप बहुत गंदे हो। छी! ऐसी बातें लड़कियाँ बोलती हैं क्या?”
 
“नहीं! जब तक नहीं बोलोगी कि तुम्हें क्या चाहिये, तब तक नहीं दूँगा।” उन्होंने सताना जारी रखा।
 
“ओफ ओह! दे दो ना अपना लंऽऽड!” कहकर मैंने झट से अपनी आँखें बंद कर लीं।
 
“उम्म! अपने जेठ जी का लंड चाहिये?” मैंने अपना सिर हिलाया तो उन्होंने आगे कहा, “तो फिर खुद ही ले लो अपनी चूत में।”
 
मैंने लपक कर उनके लंड को पकड़ा और दूसरे हाथ से अपनी चूत की फाँकें अलग कर के उनके लंड को अपनी चूत के दरवाजे पर रख कर जोर का धक्का ऊपर की तरफ़ मारा तो उनका मोटा लंड थोड़ा मेरी चूत में घुस गया।
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RE: मैं हसीना गज़ब की - by rohitkapoor - 17-05-2020, 08:21 PM



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