17-05-2020, 08:20 PM
“नहीं! आज मुझे तुम्हारा ये हुस्न पूरी तसल्ली के साथ देखने दो। ये कोई पहली बार तो हम नहीं मिल रहे हैं। हम पहले भी एक दूसरे के सामने नंगे हुए हैं.... भूल गयीं?” फिरोज़ भाई जान मुस्कुरा रहे थे। वो बिस्तर के पास खड़े हो कर मेरे जिस्म को निहारने लगे। मैं उनकी हरकतों से पागल हुई जा रही थी। उन्होंने अपने हाथों से मेरे हाथ को मम्मों से हटाया। मैं कनखियों से उनकी हरकतों को बीच-बीच में देख रही थी। फिर उन्होंने मेरे दूसरे हाथ को मेरी जाँघों से भी हटा दिया। मैं अपने नंगे जिस्म को रोशनी में उनके सामने उघाड़े हुए लेटी हुई थी। फिर उन्होंने मेरी जाँघों को पकड़ कर उनको एक दूसरे से अलग किया और फैला दिया, जिससे मेरी चूत खुल जाये। वो कुछ देर तक मेरे नंगे जिस्म को इसी तरह निहारते रहे और फिर झुक कर मेरे होंठों पर एक किस किया और मेरी कमर के नीचे एक तकिया दे कर मेरी कमर को उठाया। मेरी चूत ऊपर की तरफ़ हो गयी। उन्होंने मेरी टाँगों को मोड़ कर मेरी छातियों से लगा दिया। फिर मेरे ऊपर से अपने लंड को मेरी चूत पर रख कर कहा, “शहनाज़! आँखें खोलो!” मैंने और सख्ती से अपनी आँखों को भींच लिया और सिर हिला कर इंकार जताया।
“तुम्हें मेरी कसम शहनाज़ ! अपनी आँखें खोलो और हमारे इस मिलन को अपने दिल दिमाग में कैद कर लो।” उन्होंने अब अपना वास्ता दिया तो मैंने झिझकते हुए अपनी आँखें खोलीं। मेरा जिस्म इस तरह टेढ़ा हो रहा था कि मुझे अपनी चूत के मुँह पर रखा उनका मोटा और लंबा लंड साफ़ नज़र आ रहा था।
मैंने कुछ कहे बिना उनके लंड को अंदर लेने के लिये अपनी कमर को उचकाया। लेकिन उन्होंने मुझे अपने मकसद में कामयाब नहीं होने दिया और अपने लंड को ऊपर खींच लिया। मेरी चूत के दोनों होंठ उत्तेजना में बार-बार खुल और बंद हो रहे थे। शायद अपनी भूख अब उनसे नहीं संभाल रही थी। मेरी चूत के किनारे, रस से बुरी तरह गीले हो रहे थे। उन्होंने मेरी चूत के रस को पहले की तरह अपने पायजामे से पोंछ कर साफ़ किया और पूरा सुखा दिया। मैं उनके लंड को अपनी चूत में लेने के लिये बुरी तरह तड़प रही थी।
“तुम्हें मेरी कसम शहनाज़ ! अपनी आँखें खोलो और हमारे इस मिलन को अपने दिल दिमाग में कैद कर लो।” उन्होंने अब अपना वास्ता दिया तो मैंने झिझकते हुए अपनी आँखें खोलीं। मेरा जिस्म इस तरह टेढ़ा हो रहा था कि मुझे अपनी चूत के मुँह पर रखा उनका मोटा और लंबा लंड साफ़ नज़र आ रहा था।
मैंने कुछ कहे बिना उनके लंड को अंदर लेने के लिये अपनी कमर को उचकाया। लेकिन उन्होंने मुझे अपने मकसद में कामयाब नहीं होने दिया और अपने लंड को ऊपर खींच लिया। मेरी चूत के दोनों होंठ उत्तेजना में बार-बार खुल और बंद हो रहे थे। शायद अपनी भूख अब उनसे नहीं संभाल रही थी। मेरी चूत के किनारे, रस से बुरी तरह गीले हो रहे थे। उन्होंने मेरी चूत के रस को पहले की तरह अपने पायजामे से पोंछ कर साफ़ किया और पूरा सुखा दिया। मैं उनके लंड को अपनी चूत में लेने के लिये बुरी तरह तड़प रही थी।