17-05-2020, 08:14 PM
महेश, प्रीती के ऊपर चढ़ कर उसे चोदने लगा।
“ओहहहहह महेश तुम कितनी अच्छी तरह से चोदते हो!!!!! आआआआआहहहह ओहहहहह।” प्रीती मज़े लेते हुए बोल रही थी।
उसकी उत्तेजनात्मक बातों को सुन कर महेश में और जोश आ गया। वो जोर-जोर से उसे चोद रहा था।
“हाँआआआआ इसी तरह से चोदते जाओ आआआ और जोर से हाँआँआँआआआ, अपना लंड अंदर तक डाल दो.... खूब मज़ा आ रहा है”, अपनी टाँगें उछाल कर प्रीती महेश के धक्कों का साथ दे रही थी।
अचानक प्रीती चिल्लायी, “साले ये क्या कर रहा है.... मुझे बीच में छोड़ कर मत जाना!!! मेरा भी छूटने वाला है!!!!!”
पर बेचारा महेश क्या करता। उसके लंड ने पानी छोड़ दिया था और मुर्झा कर प्रीती की चूत से बाहर निकल पड़ा।
“साले हरामी!!!! तू इस तरह मुहे बीच में छोड़ के नहीं जा सकता”, प्रीती चिल्लायी, “अगर लंड से नहीं चोद सकता तो इसे अपनी जीभ से चाटकर मेरा पानी छुड़ा।”
प्रीती की हालत देख कर महेश प्रीती की टाँगों बीच आ गया और अपनी जीभ से प्रीती की चूत को जोर-जोर से चाटने लगा।
“हाँ इसी तरह चाटते जाओ!!! अपनी जीभ मेरी चूत में डाल दो... हाँ अब अच्छा लग रहा है.... चाटते जाओ आआआआहहहहह ऊऊऊऊऊऊऊहहहहह”, चिल्लाते हुए प्रीती की चूत ने पानी छोड़ दिया।
अपनी साँसों को संभालते हुए प्रीती दोनों से बोली, “अब मुझे कौन चोदेगा?”
“मुझ में तो और ताकत नहीं है...” एम-डी ने कहा।
“...और मुझे भी नहीं लगता कि मेरा लंड फिर खड़ा हो पायेगा”, महेश बोला।
“अगर अब और नहीं चोद सकते तो अपने घर जाओ” प्रीती ने उन दोनों को बेड पेर से धक्का देते हुए कहा, “हाँ जाते हुए अपनी ऐय्याशी की कीमत चुकाना नहीं भूलना!”
क्या नज़ारा था ये। मैंने आज से पहले प्रीती को इस तरह बोलते और गर्माते नहीं देखा था। मेरा खुद का पानी तीन बार छूट चुका था।
जब एम-डी घर जाने को तैयार हुआ तो उसने मुझे नियापेनसिआ रोड के फ्लैट की चाबी देते हुए कहा, “राज, प्रीती वाकय शानदार और कमाल की है, आज से पहले मुझे चुदाई में इतना मज़ा कभी नहीं आया, जब उसकी गंदी-गंदी बातें सुनता था तो मुझ में दुगना जोश चढ़ जाता था।”
“ओहहहहह महेश तुम कितनी अच्छी तरह से चोदते हो!!!!! आआआआआहहहह ओहहहहह।” प्रीती मज़े लेते हुए बोल रही थी।
उसकी उत्तेजनात्मक बातों को सुन कर महेश में और जोश आ गया। वो जोर-जोर से उसे चोद रहा था।
“हाँआआआआ इसी तरह से चोदते जाओ आआआ और जोर से हाँआँआँआआआ, अपना लंड अंदर तक डाल दो.... खूब मज़ा आ रहा है”, अपनी टाँगें उछाल कर प्रीती महेश के धक्कों का साथ दे रही थी।
अचानक प्रीती चिल्लायी, “साले ये क्या कर रहा है.... मुझे बीच में छोड़ कर मत जाना!!! मेरा भी छूटने वाला है!!!!!”
पर बेचारा महेश क्या करता। उसके लंड ने पानी छोड़ दिया था और मुर्झा कर प्रीती की चूत से बाहर निकल पड़ा।
“साले हरामी!!!! तू इस तरह मुहे बीच में छोड़ के नहीं जा सकता”, प्रीती चिल्लायी, “अगर लंड से नहीं चोद सकता तो इसे अपनी जीभ से चाटकर मेरा पानी छुड़ा।”
प्रीती की हालत देख कर महेश प्रीती की टाँगों बीच आ गया और अपनी जीभ से प्रीती की चूत को जोर-जोर से चाटने लगा।
“हाँ इसी तरह चाटते जाओ!!! अपनी जीभ मेरी चूत में डाल दो... हाँ अब अच्छा लग रहा है.... चाटते जाओ आआआआहहहहह ऊऊऊऊऊऊऊहहहहह”, चिल्लाते हुए प्रीती की चूत ने पानी छोड़ दिया।
अपनी साँसों को संभालते हुए प्रीती दोनों से बोली, “अब मुझे कौन चोदेगा?”
“मुझ में तो और ताकत नहीं है...” एम-डी ने कहा।
“...और मुझे भी नहीं लगता कि मेरा लंड फिर खड़ा हो पायेगा”, महेश बोला।
“अगर अब और नहीं चोद सकते तो अपने घर जाओ” प्रीती ने उन दोनों को बेड पेर से धक्का देते हुए कहा, “हाँ जाते हुए अपनी ऐय्याशी की कीमत चुकाना नहीं भूलना!”
क्या नज़ारा था ये। मैंने आज से पहले प्रीती को इस तरह बोलते और गर्माते नहीं देखा था। मेरा खुद का पानी तीन बार छूट चुका था।
जब एम-डी घर जाने को तैयार हुआ तो उसने मुझे नियापेनसिआ रोड के फ्लैट की चाबी देते हुए कहा, “राज, प्रीती वाकय शानदार और कमाल की है, आज से पहले मुझे चुदाई में इतना मज़ा कभी नहीं आया, जब उसकी गंदी-गंदी बातें सुनता था तो मुझ में दुगना जोश चढ़ जाता था।”


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