10-05-2020, 04:11 AM
ज़ूबी रात की घटना याद कर रही थी कि किस तरह वो उस लड़के के सामने घुटनों के बल एक रंडी की तरह उसके लंड को चूस रही थी। ज़ूबी जो एक कामयाब वकील थी... अपने हालत पर उसे रोना आ गया।
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। ज़ूबी ने पैरों में वही सफ़ेद सैंडल पहने और कस कर अपने बदन को टॉवल से ढका और दरवाजे के छेद से देखने लगी। जब उसे तस्सली हो गयी कि आने वाला लड़का रात वाला ही है तो उसने दरवाज़ा खोल दिया। वो नौजवान कमरे के अंदर आ गया।
ज़ूबी उस नौजवान लड़के को, जो सुबह की रोशनी में और भी जवान और गठीला लग रहा था, अपनी दास्तान सुनाने लगी। ज़ूबी की बात सुनकर उस लड़के का लंड तन कर खड़ा हो गया। वो ज़ूबी की बात सुनकर गरमा गया था।
“देखो मेरी डयूटी सुबह दस बजे खत्म होती है, उसके बाद तुम कहो तो मैं तुम्हें कहीं ले जाऊँगा।” उस लड़के ने ज़ूबी को घूरते हुए कहा।
ज़ूबी उसकी बात सुनकर थोड़ा निराश हो गयी, “मैं इतनी देर तक नहीं रुक सकती, क्या कोई तरीका नहीं है कि हम यहाँ से जल्दी निकल सकें” लगभग रोते हुए वो बोली।
“मेरी नौकरी जा सकती है” उसने जवाब दिया, “और मैं अपनी नौकरी खोना नहीं चाहता।”
ज़ूबी की आँखों में आँसू आ गये, “प्लीज़ मेरी मजबूरी को समझो, तुम जो कहोगे मैं करने को तैयार हूँ।” उसे पता था कि जो वो कह रही है उसका मतलब कुछ भी हो सकता था, पर उसके पास और कोई चारा भी नहीं था।
“कुछ भी करोगी?” उसने पूछा।
“हाँ कुछ भी...” ज़ूबी ने कहा।
वो लड़का ज़ूबी के पास आया और ज़ूबी के बदन से लिपटे टॉवल की गाँठ खोल कर उसे ज़मीन पर गिरा दिया। ज़ूबी सीधी खड़ी थी और साथ ही उसकी चूचियाँ भी तन कर खड़ी थी। उसके भरे-भरे मम्मे उसकी साँसों के साथ उठ बैठ रहे थे।
ज़ूबी ने देखा कि उस लड़के के हाथ अब उसकी टाँगों के बीच आ गये और उसकी अंगुलियाँ उसकी चूत के छेद को तलाश कर रही थी। छेद मिलते ही उसने अपनी अंगुलियाँ अंदर घुसा दी। ज़ूबी ने अपनी टाँगें थोड़ी फैला दी जिससे उसकी अँगुली आसानी से अंदर घुस सके।
ज़ूबी ने सहारे के लिये उस लड़के के कंधे को पकड़ लिया और वो उसकी चूत को अपनी अँगुली से चोदने लगा। थोड़ी ही देर में उसकी चूत पानी छोड़ने लगी। उसकी आँखें पूरी कामुक्ता में बंद थी और वो इस हर लम्हे का मज़ा ले रही थी।
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। ज़ूबी ने पैरों में वही सफ़ेद सैंडल पहने और कस कर अपने बदन को टॉवल से ढका और दरवाजे के छेद से देखने लगी। जब उसे तस्सली हो गयी कि आने वाला लड़का रात वाला ही है तो उसने दरवाज़ा खोल दिया। वो नौजवान कमरे के अंदर आ गया।
ज़ूबी उस नौजवान लड़के को, जो सुबह की रोशनी में और भी जवान और गठीला लग रहा था, अपनी दास्तान सुनाने लगी। ज़ूबी की बात सुनकर उस लड़के का लंड तन कर खड़ा हो गया। वो ज़ूबी की बात सुनकर गरमा गया था।
“देखो मेरी डयूटी सुबह दस बजे खत्म होती है, उसके बाद तुम कहो तो मैं तुम्हें कहीं ले जाऊँगा।” उस लड़के ने ज़ूबी को घूरते हुए कहा।
ज़ूबी उसकी बात सुनकर थोड़ा निराश हो गयी, “मैं इतनी देर तक नहीं रुक सकती, क्या कोई तरीका नहीं है कि हम यहाँ से जल्दी निकल सकें” लगभग रोते हुए वो बोली।
“मेरी नौकरी जा सकती है” उसने जवाब दिया, “और मैं अपनी नौकरी खोना नहीं चाहता।”
ज़ूबी की आँखों में आँसू आ गये, “प्लीज़ मेरी मजबूरी को समझो, तुम जो कहोगे मैं करने को तैयार हूँ।” उसे पता था कि जो वो कह रही है उसका मतलब कुछ भी हो सकता था, पर उसके पास और कोई चारा भी नहीं था।
“कुछ भी करोगी?” उसने पूछा।
“हाँ कुछ भी...” ज़ूबी ने कहा।
वो लड़का ज़ूबी के पास आया और ज़ूबी के बदन से लिपटे टॉवल की गाँठ खोल कर उसे ज़मीन पर गिरा दिया। ज़ूबी सीधी खड़ी थी और साथ ही उसकी चूचियाँ भी तन कर खड़ी थी। उसके भरे-भरे मम्मे उसकी साँसों के साथ उठ बैठ रहे थे।
ज़ूबी ने देखा कि उस लड़के के हाथ अब उसकी टाँगों के बीच आ गये और उसकी अंगुलियाँ उसकी चूत के छेद को तलाश कर रही थी। छेद मिलते ही उसने अपनी अंगुलियाँ अंदर घुसा दी। ज़ूबी ने अपनी टाँगें थोड़ी फैला दी जिससे उसकी अँगुली आसानी से अंदर घुस सके।
ज़ूबी ने सहारे के लिये उस लड़के के कंधे को पकड़ लिया और वो उसकी चूत को अपनी अँगुली से चोदने लगा। थोड़ी ही देर में उसकी चूत पानी छोड़ने लगी। उसकी आँखें पूरी कामुक्ता में बंद थी और वो इस हर लम्हे का मज़ा ले रही थी।