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Adultery तरक्की का सफ़र
#48
ऐसे ही ऑफिस की नॉर्मल मीटिंग थी... मैं चाह कर भी उसे कुछ कह नहीं पाया। हाँ मैंने सैटरडे को एम-डी और महेश को ड्रिंक्स पर बुलाया है, ध्यान रखना, मैंने प्रीती से कहा। 

उन्हें घर पर क्यों बुलाया? तुम्हें मालूम है ना वो मुझे अच्छे नहीं लगते, प्रीती ने नाराज़गी जाहिर की। 
 
प्रीती! वो मेरे बॉस हैं, और तुम्हें उनसे अच्छे से बिहेव करना है। जब उन्होंने घर आने को कहा तो क्या मैं उन्हें मना कर सकता था?” मैंने प्रीती को समझाया।
 
बुधवार की शाम कुछ लोग ड्रिंक्स का सामान दे गये, जो महेश ने भिजवाया था।
 
बास्केट में स्कॉच और कोक देख कर प्रीती ने पूछा,  ये सब क्या है?”
 
बॉस के लिये स्कॉच और कोक... मैंने जवाब दिया।
 
जब मैंने महेश से पूछा कि कोक क्यों भिजवायी तो महेश ने कहा, राज ये स्पेशल तरह की कोक है, इसमें उत्तेजना की दवाई मिलायी हुई है। इसे प्रीती को पिलाना, उसका दिमाग काम करना बंद कर देगा।
 
पूरा हफ्ता बीत गया और शनिवार आ गया। पर मैं प्रीती को कुछ नहीं बता पाया। मैंने सब कुछ भगवान के सहारे छोड़ दिया।
 
ठीक आठ बजे एम-डी और महेश पहुँच गये।
 
वेलकम सर, हैव अ सीट, मैंने उन दोनों का स्वागत किया।
 
नमस्ते सर! प्रीती ने भी स्वागत किया।
 
हेलो राज! हेलो प्रीती! आज तो तुम कुछ ज्यादा ही सुंदर दिख रही हो, एम-डी ने जवाब दिया।
 
प्रीती ने लाइट ब्लू रंग की साड़ी और उसके ही मैचिंग का टाइट ब्लाऊज़ पहन रखा था। साथ ही उसने सफ़ेद रंग के पेंसिल हाई-हील के सैंडल पहने हुए थे और वो बहुत ही सुंदर लग रही थी।
 
थैंक यू सर, आइये बैठिये, मैं कुछ खाने को लाती हूँ, प्रीती ने किचन कि ओर जाते हुए कहा।
 
कोई जल्दी नहीं है, आओ हमारे साथ बैठो, एम-डी ने कहा।
 
प्रीती भी मेरे साथ उनके सामने बैठ गयी। मैंने स्कॉच के पैग बनाये और एम-डी और महेश को पकड़ा दिये।
 
तुम भी कुछ क्यों नहीं लेती?” एम-डी ने प्रीती से कहा।
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RE: तरक्की का सफ़र - by rohitkapoor - 10-05-2020, 03:25 AM



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