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Misc. Erotica मैं हसीना गज़ब की
#60
मुझे उस तरफ़ देखते देख फिरोज़ ने भी उनको देखा तो मैंने तड़प कर उनके सिर को अपनी दोनों छातियों के बीच दबाते हुए कहा, “नहीं आज और कहीं नहीं, आज सिर्फ मैं और तुम। सिर्फ हम दोनों.. क्या हो रहा है कहाँ हो रहा है.... कुछ भी मत देखो। सिर्फ मुझे देखो मुझे प्यार करो। मैं तड़प रही हूँ। मैं तुम्हारे भाई की बीवी हूँ मगर तुमने मुझे पागल बना दिया। मैं तुम पर पागल हो गयी हूँ।” मैं उनके सिर को पकड़ कर अपने निप्पल को उनके होंठों से रगड़ रही थी। आज तक मैंने कभी किसी के साथ सैक्स में इस तरह की हरकतें नहीं की थीं। मुझ पर शराब और कामुक्ता का मिलाजुला नशा सवार था। मैं जोर-जोर से बोल रही थी। मुझे अब किसी की परवाह नहीं थी कि कौन क्या सोचता है। मेरे निप्पल एक दम कड़क और फ़ूले हुए थे। मैं उन्हें फिरोज़ भाई जान के सीने पर रगड़ रही थी। उनके छोटे-छोटे निप्पल से जब मेरे निप्पल रगड़ खाते तो एक सिहरन सी पूरे जिस्म में दौड़ जाती थी। मैंने अपने हाथों में उनके लंड को थाम कर उसे अपनी चूत के ऊपर सटा कर दोनों जाँघों के बीच दबा लिया। फिरोज़ भाई जान तो पूरे मस्त हो रहे थे। वो उसी हालत में अपने लंड को आगे पीछे करने लगे। दोनों जाँघों के बीच उनका लंड रगड़ खा रहा था।

 
मैं करवट बदल कर उन्हें नीचे बिस्तर पर गिरा कर उनके ऊपर सवार हो गयी। मैं उनके चेहरे को बेहताशा चूमे जा रही थी। सबसे पहले उनके होंठों को फिर दोनों बंद आँखों को फिर अपने होंठ उनके गालों पर फ़िरते हुए गले तक ले गयी। मैंने अपने दाँतों से फिरोज़ भाई जान की ठुड्डी को पकड़ लिया और अपने दाँतों को उन पर गड़ाते हुए उनकी ठुड्डी को चूसने लगी। वो मेरे दोनों निप्पल को पकड़ कर उनसे खेल रहे थे। मैंने अपने जिस्म को कुछ ऊपर किया और उनके मुँह तक अपने मम्मों को ले आयी। अपने एक निप्पल को उनके होंठों के ऊपर ऐसे लटका रखा था कि उनके होंठ लालच के मारे खुल गये और मेरे उस निप्पल को किसी अंगूर की तरह मुँह में लेने के लिये लपके, लेकिन मैंने झटके से अपने जिस्म को पीछे करके उनके वार से अपने को बचाया। मैं उनकी मायूसी पर हँस पड़ी। मैंने उनके सिर को बालों से पकड़ कर तकिये से दबा दिया। अब वो अपने सिर को नहीं हिला सकते थे। इस तरह उनको जकड़ कर उनके होंठों पर अपने निप्पल को हल्के-हल्के छुआने लगी। उन्हें इस तरह तरसाने में बहुत मज़ा आ रहा था। उनके होंठ मेरे निप्पल को अपने में समाने के लिये तरस रहे थे। मैं साथ-साथ अपनी जाँघों को उनकी जाँघों के ऊपर मसल रही थी। मेरी चूत के ऊपर का उभार उनके लंड को पीस देने के लिये मसल रहा था। मैं अपने निप्पल को उनके होंठों पर कुछ देर तक छुआने के बाद पूरे चेहरे के ऊपर फ़ेरने लगी। उनके जिस्म में सिहरन सी दौड़ती हुई मैं महसूस कर रही थी। मैं अपने निप्पल को उनके चेहरे पर फ़िराते हुए गले के ऊपर से होते हुए उनके सीने पर रगड़ने लगी। उनके सीने पर उगे घने काले बालों पर अपने निप्पल फ़िराते हुए मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। उत्तेजना के मारे उनका लंड झटके खा रहा था। मैं अपने निप्पल से उनके सीने को सहलाते उनके पेट और उसके बीच उनकी नाभी पर छुआने लगी। सिहरन से उन्होंने पेट को अंदर खींच लिया था। मुझे उनको इस तरह उत्तेजित करने में बहुत मज़ा आ रहा था।
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RE: मैं हसीना गज़ब की - by rohitkapoor - 10-05-2020, 02:52 AM



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