02-05-2020, 08:19 PM
उसने भी यही कहा कि मैं भी तुम्हारे साथ चुदाई करना चाहती हूँ मगर शाज़िया नहीं मानती क्योंकि वो तुमसे प्यार करती है और वो कहती है कि नोमी सिर्फ़ मेरा है! खैर उधर किचन में मैंने उसके साथ कुछ चूमा-चाटी की और कुछ उसके बूब्स दबाये। उसके बाद मैं अपने रूम में आ गया और शाज़िया के साथ एक और दफा चुदाई की। फिर सुबह हो गयी और मैंने पहले की तरह शाज़िया के साथ मिलकर बाथ लिया और फिर वो दोनो लड़कियाँ तैयार हुईं क्योंकि उन्होंने ड्यूटी पर जाना था।
उसके बाद अहमद की कार में हम चारों उनके होस्टल की तरफ़ आये। वहाँ गेट पर पहुँच कर हमने उनको अलविदा किया तो पहली बार शाज़िया के साथ-साथ फौज़िया ने भी मुझे एक किस किया और इसके जवाब में शाज़िया ने भी पहली बार अहमद को किस किया और हमारा थैंक्स किया और कहा कि बहुत मज़ा आया।
उसके बाद अहमद मुझे यूनिट छोड़ने आया और मैं अपनी ड्यूटी में मसरूफ हो गया। खैर दिन गुज़रते रहे और हम लोग उसी तरह अकेले-अकेले चुदाई में मसरूफ थे। मेरे पास अहमद की फ़्लैट की चाबियाँ थीं और मैं अक्सर शाज़िया को वहाँ लेकर जाता और हम दोनों इंजॉय करते। अहमद भी फौज़िया को लेकर जाता और वो भी चुदाई का मज़ा लेते।
मगर अभी तक फौज़िया के साथ सिवाय किसिंग के कुछ नहीं किया और उसकी अज़ीम वजह शाज़िया थी। वो मुझे शेयर करना नहीं चाहती थी। इसमें कोई शक नहीं कि मैं उसको बहुत अच्छा चोदता था और उसको पूरा मज़ा देता था, मगर मैं भी एक मर्द (बेवफ़ा जात) था और हर वक्त ग्रुप सैक्स या फौज़िया की चूत मारने का सोचता था।
एक दिन मैं शाज़िया को लेकर अहमद के फ़्लैट पर गया था और उसके साथ चुदाई कर रहा था। तभी अचानक डोर खुला और अहमद फौज़िया के साथ अंदर दाखिल हुआ। दरसल मैं शाज़िया को टिवी पर मूवी दिखा कर चोद रहा था और मुझे मालूम था कि अहमद नहीं आयेगा। फौज़िया भी अपने रिश्तेदार के घर गयी हुई थी, इसलिये उसका भी अहमद के साथ आने का कोई चाँस ना था। हम लोग शराब पीकर बेफ़िक्र होकर चुदाई में मसरूफ थे और ये सब इतना अचानक हुआ कि मैं और शाज़िया बिल्कुल संभल न सके।
उस दिन पहली बार मुझे फौज़िया ने और शाज़िया को अहमद ने नंगा देखा। मैं थोड़ा सा बौखलाया मगर अहमद मेरा जिगरी दोस्त था। इसलिये हिम्मत कर के मैंने शाज़िया को चोदना ज़ारी रखा। वो दोनों रूम में चले गये। पहले शाज़िया भी कुछ हिचकिचायी मगर अब तो सब कुछ खुल चुका था और फिर वो नशे में भी थी, इसलिये वो भी बेफ़िक्र हो कर चुदवाती रही। उसके बाद मैंने देखा कि बेडरूम का डोर खुला है और फौज़िया भी अहमद के साथ चुदाई स्टार्ट कर चुकी है।
इस तरह हमारा पर्दा खतम हुआ और मैंने पहली बार फौज़िया को पूरा नंगा देखा और वो भी काफी सैक्सी थी। लेकिन उसके बूब्स शाज़िया से छोटे थे, बाकी सब कुछ बहुत आला था, खासकर उसकी गाँड बहुत ही सैक्सी थी। ऊपर से फौज़िया ने उँची हील के सैंडल पहने हुए थे जिससे उसकी गाँड और भी सैक्सी लग रही थी और मेरे लंड पर कहर ढा रही थी। उसके बाद हम चारों नंगे थे और टीवी पर मूवी देखने लगे। शाज़िया मेरे लंड के साथ और फौज़िया अहमद के लंड के साथ खेल रही थी। मैंने शाज़िया से कहा अगर वो बुरा ना माने तो मैं फौज़िया को थोड़ा प्यार करूँ। शाज़िया का दिल तो नहीं चाह रहा था मगर अभी हम इतने खुल चुके थे कि वो इनकार ना कर सकी।
उसके बाद अहमद की कार में हम चारों उनके होस्टल की तरफ़ आये। वहाँ गेट पर पहुँच कर हमने उनको अलविदा किया तो पहली बार शाज़िया के साथ-साथ फौज़िया ने भी मुझे एक किस किया और इसके जवाब में शाज़िया ने भी पहली बार अहमद को किस किया और हमारा थैंक्स किया और कहा कि बहुत मज़ा आया।
उसके बाद अहमद मुझे यूनिट छोड़ने आया और मैं अपनी ड्यूटी में मसरूफ हो गया। खैर दिन गुज़रते रहे और हम लोग उसी तरह अकेले-अकेले चुदाई में मसरूफ थे। मेरे पास अहमद की फ़्लैट की चाबियाँ थीं और मैं अक्सर शाज़िया को वहाँ लेकर जाता और हम दोनों इंजॉय करते। अहमद भी फौज़िया को लेकर जाता और वो भी चुदाई का मज़ा लेते।
मगर अभी तक फौज़िया के साथ सिवाय किसिंग के कुछ नहीं किया और उसकी अज़ीम वजह शाज़िया थी। वो मुझे शेयर करना नहीं चाहती थी। इसमें कोई शक नहीं कि मैं उसको बहुत अच्छा चोदता था और उसको पूरा मज़ा देता था, मगर मैं भी एक मर्द (बेवफ़ा जात) था और हर वक्त ग्रुप सैक्स या फौज़िया की चूत मारने का सोचता था।
एक दिन मैं शाज़िया को लेकर अहमद के फ़्लैट पर गया था और उसके साथ चुदाई कर रहा था। तभी अचानक डोर खुला और अहमद फौज़िया के साथ अंदर दाखिल हुआ। दरसल मैं शाज़िया को टिवी पर मूवी दिखा कर चोद रहा था और मुझे मालूम था कि अहमद नहीं आयेगा। फौज़िया भी अपने रिश्तेदार के घर गयी हुई थी, इसलिये उसका भी अहमद के साथ आने का कोई चाँस ना था। हम लोग शराब पीकर बेफ़िक्र होकर चुदाई में मसरूफ थे और ये सब इतना अचानक हुआ कि मैं और शाज़िया बिल्कुल संभल न सके।
उस दिन पहली बार मुझे फौज़िया ने और शाज़िया को अहमद ने नंगा देखा। मैं थोड़ा सा बौखलाया मगर अहमद मेरा जिगरी दोस्त था। इसलिये हिम्मत कर के मैंने शाज़िया को चोदना ज़ारी रखा। वो दोनों रूम में चले गये। पहले शाज़िया भी कुछ हिचकिचायी मगर अब तो सब कुछ खुल चुका था और फिर वो नशे में भी थी, इसलिये वो भी बेफ़िक्र हो कर चुदवाती रही। उसके बाद मैंने देखा कि बेडरूम का डोर खुला है और फौज़िया भी अहमद के साथ चुदाई स्टार्ट कर चुकी है।
इस तरह हमारा पर्दा खतम हुआ और मैंने पहली बार फौज़िया को पूरा नंगा देखा और वो भी काफी सैक्सी थी। लेकिन उसके बूब्स शाज़िया से छोटे थे, बाकी सब कुछ बहुत आला था, खासकर उसकी गाँड बहुत ही सैक्सी थी। ऊपर से फौज़िया ने उँची हील के सैंडल पहने हुए थे जिससे उसकी गाँड और भी सैक्सी लग रही थी और मेरे लंड पर कहर ढा रही थी। उसके बाद हम चारों नंगे थे और टीवी पर मूवी देखने लगे। शाज़िया मेरे लंड के साथ और फौज़िया अहमद के लंड के साथ खेल रही थी। मैंने शाज़िया से कहा अगर वो बुरा ना माने तो मैं फौज़िया को थोड़ा प्यार करूँ। शाज़िया का दिल तो नहीं चाह रहा था मगर अभी हम इतने खुल चुके थे कि वो इनकार ना कर सकी।