02-05-2020, 08:16 PM
खैर हमने एक बहुत अच्छा दिन होक्स-बे पर गुज़ार कर शाम को वापसी की। अहमद ने ड्राइविंग मुझे दी और वापसी पर मैं ड्राइविंग करता हुआ कार लेकर आया। वापसी पर शाज़िया मेरे साथ आगे की सीट पर थी जबकि फौज़िया अहमद के साथ पीछे सीट पर थी। हमने पूरे रास्ते बहुत इंजॉय किया मगर शाज़िया ने या फौज़िया ने ये नहीं शो किया कि दोनों अपनी चूत फिरवा कर आ रही हैं।
उसके बाद हम चारों का एक अच्छा ग्रुप बन गया। चूँकि अहमद काफी अमीर लड़का था और अकेला फ़्लैट में रहता था, तो मेरी निसबत उसके पास पैसा काफी था। वैसे भी आर्मी में तनखा काफी कम होती है और मैं वैसे भी काफी खर्चा नहीं करता था। मगर अहमद हर डेट पर हम चारों का खर्च बर्दाश्त करता था।
उसके बाद मैं कईं दफा शाज़िया को अहमद के फ़्लैट पर लेकर गया और शाज़िया की चूत की आग बुझाता रहा। इधर शाज़िया और फौज़िया तो अच्छी फ्रैंड्स थी ही और आपस में भी चुदाई करती थीं। उन्होंने एक दूसरे को हमारे साथ चुदाई की कहानी भी बता दी थी। अभी तक हम चारों ने ग्रुप सैक्स नहीं किया था और उसकी वजह या तो शरम थी या अभी तक मौका ही नहीं मिला था। अक्सर शाज़िया की ड्यूटी होती तो फौज़िया फ़्री होती, या फौज़िया की ड्यूटी होती तो शाज़िया फ़्री होती। आखिरकार २३ नवंबर को अहमद की सालगिरह थी और उसने मुझे पहले ही से दावत दे रखी थी और उन दोनों को भी कहा कि उन्होंने भी पार्टी में आना है।
यहाँ मैं एक बात वाज़िया कर दूँ कि नर्सों को होस्टल से बाहर रात गुज़ारने की इज़ाजत नहीं थी। इसलिये हम लोग या तो दिन में मिलते या रात दस बजे तक वापिस आ जाया करते थे, क्योंकि उनकी रोज़ाना रात को हाज़री होती थी और रोज़ाना उनकी रिपोर्ट उनकी हेड नर्स को जाती थी। जब से मैं कराची वापस आया था, मैंने दोबारा शाज़िया के साथ रात नहीं गुज़ारी थी और न कभी मौका मिला था। बरहाल मैंने शाज़िया को अहमद की सालगिरह और सैक्स प्रोग्राम का बताया। उसका भी दिल किया कि काफी इंजॉय किया जाये, सो उन दोनो ने अपनी हेड नर्स को इल्तज़ा की कि उनकी रिश्तेदारी में शादी है और उनको रात बाहर रहना पड़ेगा।
उनकी दरख्वास्त मंज़ूर हो गयी। मैं और अहमद २३ नवंबर को शाम के वक्त शाज़िया और फौज़िया के होस्टल उन दोनों को लेने अये। वो रात भी मेरी ज़िंदगी की ना भूलने वाली रात थी। शाम को हम चारों अहमद की कार में तारीक रोड गये और मैंने और दोनों लड़कियों ने अहमद के लिये कुछ गिफ़्ट पैक करवाये। उसके बाद अहमद के फ़्लैट पर चारों पहुँच गये।
अहमाद ने बताया कि अभी रात का खाना उसकी तरफ़ से बाहर रेस्तोरां में होगा। फिर वापस अकर केक काटेंगे। खैर हम चारों डिफेंस के एक खूबसूरत रेस्तोरां सिल्वर स्पून में गये और वहाँ ज़बरदस्त डिनर किया और डिनर के दौरान बहुत गपशप लगायी और काफी इंजॉय किया। उसके बाद वापस आकर फ़्लैट पर हमने बाकी प्रोग्राम को तरतीब दिया। ये पहली बार है कि शाज़िया और फौज़िया एक साथ उस फ़्लैट पर थीं, वर्ना तो मैं जब शाज़िया को ले कर जाता था तो वो अकेली होती थी, और अहमद जब फौज़िया को लेकर जाता तो वो भी अकेली होती थी।
उसके बाद हम चारों का एक अच्छा ग्रुप बन गया। चूँकि अहमद काफी अमीर लड़का था और अकेला फ़्लैट में रहता था, तो मेरी निसबत उसके पास पैसा काफी था। वैसे भी आर्मी में तनखा काफी कम होती है और मैं वैसे भी काफी खर्चा नहीं करता था। मगर अहमद हर डेट पर हम चारों का खर्च बर्दाश्त करता था।
उसके बाद मैं कईं दफा शाज़िया को अहमद के फ़्लैट पर लेकर गया और शाज़िया की चूत की आग बुझाता रहा। इधर शाज़िया और फौज़िया तो अच्छी फ्रैंड्स थी ही और आपस में भी चुदाई करती थीं। उन्होंने एक दूसरे को हमारे साथ चुदाई की कहानी भी बता दी थी। अभी तक हम चारों ने ग्रुप सैक्स नहीं किया था और उसकी वजह या तो शरम थी या अभी तक मौका ही नहीं मिला था। अक्सर शाज़िया की ड्यूटी होती तो फौज़िया फ़्री होती, या फौज़िया की ड्यूटी होती तो शाज़िया फ़्री होती। आखिरकार २३ नवंबर को अहमद की सालगिरह थी और उसने मुझे पहले ही से दावत दे रखी थी और उन दोनों को भी कहा कि उन्होंने भी पार्टी में आना है।
यहाँ मैं एक बात वाज़िया कर दूँ कि नर्सों को होस्टल से बाहर रात गुज़ारने की इज़ाजत नहीं थी। इसलिये हम लोग या तो दिन में मिलते या रात दस बजे तक वापिस आ जाया करते थे, क्योंकि उनकी रोज़ाना रात को हाज़री होती थी और रोज़ाना उनकी रिपोर्ट उनकी हेड नर्स को जाती थी। जब से मैं कराची वापस आया था, मैंने दोबारा शाज़िया के साथ रात नहीं गुज़ारी थी और न कभी मौका मिला था। बरहाल मैंने शाज़िया को अहमद की सालगिरह और सैक्स प्रोग्राम का बताया। उसका भी दिल किया कि काफी इंजॉय किया जाये, सो उन दोनो ने अपनी हेड नर्स को इल्तज़ा की कि उनकी रिश्तेदारी में शादी है और उनको रात बाहर रहना पड़ेगा।
उनकी दरख्वास्त मंज़ूर हो गयी। मैं और अहमद २३ नवंबर को शाम के वक्त शाज़िया और फौज़िया के होस्टल उन दोनों को लेने अये। वो रात भी मेरी ज़िंदगी की ना भूलने वाली रात थी। शाम को हम चारों अहमद की कार में तारीक रोड गये और मैंने और दोनों लड़कियों ने अहमद के लिये कुछ गिफ़्ट पैक करवाये। उसके बाद अहमद के फ़्लैट पर चारों पहुँच गये।
अहमाद ने बताया कि अभी रात का खाना उसकी तरफ़ से बाहर रेस्तोरां में होगा। फिर वापस अकर केक काटेंगे। खैर हम चारों डिफेंस के एक खूबसूरत रेस्तोरां सिल्वर स्पून में गये और वहाँ ज़बरदस्त डिनर किया और डिनर के दौरान बहुत गपशप लगायी और काफी इंजॉय किया। उसके बाद वापस आकर फ़्लैट पर हमने बाकी प्रोग्राम को तरतीब दिया। ये पहली बार है कि शाज़िया और फौज़िया एक साथ उस फ़्लैट पर थीं, वर्ना तो मैं जब शाज़िया को ले कर जाता था तो वो अकेली होती थी, और अहमद जब फौज़िया को लेकर जाता तो वो भी अकेली होती थी।


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