02-05-2020, 08:10 PM
ज़ूबी ने जब देखा कि उसकी बातों का राज पर कोई असर होने वाला नहीं है तो उसने अपने आप को हालात के सहारे छोड़ दिया।
अब ज़ूबी के पास कोई चारा नहीं था, उसने राज के लंड को अपने हाथों में लिया और अपना मुँह खोल कर उसे चूसने लगी। ज़ूबी के माथे पर पसीना आ गया था पर वो अपना मुँह ऊपर नीचे कर के उसके लंड को जोरों से चूसती जा रही थी।
राज ने अपने हाथ उसके सिर और गर्दन पर टिका रखे थे, पर उसकी निगाहें ज़ूबी के चेहरे पर थी जो उसके लंड को चूस रही थी। राज को उसके मुलायम बदन का स्पर्श अच्छा लग रहा था, कैसे वो बीच में अपनी आँखें ऊपर उठा कर उसे देख लेती थी।
जब वो अपनी जीभ को उसके लंड के चारों तरफ़ घुमाने लगी तब राज को महसूस होने लगा कि वो अब झड़ने वाला है। ज़ूबी के एक हाथ ने उसका लंड नीचे से पकड़ा हुआ था और दूसरा हाथ उसकी जाँघों को पकड़े हुए था। ज़ूबी ने उसके पाँव को अकड़ते देखा और वो समझ गयी कि अब राज झड़ने वाला है।
“चूसती रहो... रुको मत” राज ने उसके सिर को और दबाते हुए कहा।
“हे... भगवान... ओहहहह हाँ आआहहहह” कहकर उसका लंड वीर्य की पिचकारी छोड़ने लगा। उसके कुल्हे ज़ूबी के चेहरे पर गड़े हुए थे। उसने उसके सिर को इतना कस कर पकड़ रखा था कि ज़ूबी को मजबूरी में उसका वीर्य निगलना पड़ रहा था।
जैसे ही उसके पाँव थोड़े ढीले पड़े, ज़ूबी ने अपने गुलाबी होंठ उसके लंड से हटाये और घिसटती हुई सोफ़े पर जाकर बैठ गयी।
“ये मैं क्या कर रही हूँ?” उसे अपने आप से घृणा हो रही थी कि वो ये सब कैसे कर सकती है। पर अभी वो अपनी हालत को संभाल भी नहीं पायी थी कि दो तगड़े मर्दों ने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके दोनों मम्मों को भींचने और मसलने लगे। दोनों उसकी चूचियों को इस तरह चूस रहे थे जैसे दो जुड़वां बच्चे अपनी माँ का स्तन चूसते हैं।
तभी ज़ूबी को राज कि आवाज़ सुनायी दी, “आराम से दोस्तों, सबको मौका मिलेगा इसे चोदने का।”
ज़ूबी की आँखें घबड़ाहट में फट सी गयी और उसे अपनी साँसें घुटती सी महसूस हुई, “हाय अल्लाह ये मेरी सामुहिक चुदाई करेंगे” उसने सोचा, “हाय रब्बा, सब मिलकर चोदेंगे मुझे।”
ज़ूबी आँखें फाड़े उन दो मर्दों को अपनी चूचीयाँ चूसते हुए देख रही थी। पर वो इस बात से भी इनकार नहीं कर सकती थी कि उसके निप्पल तन कर खड़े हो गये थे और उसकी चूत उत्तेजना में गीली हो चुकी थी। उसने तिरछी आँखों से देखा कि अब दोनों मर्द अपने कपड़े उतार रहे थे।
अब ज़ूबी के पास कोई चारा नहीं था, उसने राज के लंड को अपने हाथों में लिया और अपना मुँह खोल कर उसे चूसने लगी। ज़ूबी के माथे पर पसीना आ गया था पर वो अपना मुँह ऊपर नीचे कर के उसके लंड को जोरों से चूसती जा रही थी।
राज ने अपने हाथ उसके सिर और गर्दन पर टिका रखे थे, पर उसकी निगाहें ज़ूबी के चेहरे पर थी जो उसके लंड को चूस रही थी। राज को उसके मुलायम बदन का स्पर्श अच्छा लग रहा था, कैसे वो बीच में अपनी आँखें ऊपर उठा कर उसे देख लेती थी।
जब वो अपनी जीभ को उसके लंड के चारों तरफ़ घुमाने लगी तब राज को महसूस होने लगा कि वो अब झड़ने वाला है। ज़ूबी के एक हाथ ने उसका लंड नीचे से पकड़ा हुआ था और दूसरा हाथ उसकी जाँघों को पकड़े हुए था। ज़ूबी ने उसके पाँव को अकड़ते देखा और वो समझ गयी कि अब राज झड़ने वाला है।
“चूसती रहो... रुको मत” राज ने उसके सिर को और दबाते हुए कहा।
“हे... भगवान... ओहहहह हाँ आआहहहह” कहकर उसका लंड वीर्य की पिचकारी छोड़ने लगा। उसके कुल्हे ज़ूबी के चेहरे पर गड़े हुए थे। उसने उसके सिर को इतना कस कर पकड़ रखा था कि ज़ूबी को मजबूरी में उसका वीर्य निगलना पड़ रहा था।
जैसे ही उसके पाँव थोड़े ढीले पड़े, ज़ूबी ने अपने गुलाबी होंठ उसके लंड से हटाये और घिसटती हुई सोफ़े पर जाकर बैठ गयी।
“ये मैं क्या कर रही हूँ?” उसे अपने आप से घृणा हो रही थी कि वो ये सब कैसे कर सकती है। पर अभी वो अपनी हालत को संभाल भी नहीं पायी थी कि दो तगड़े मर्दों ने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके दोनों मम्मों को भींचने और मसलने लगे। दोनों उसकी चूचियों को इस तरह चूस रहे थे जैसे दो जुड़वां बच्चे अपनी माँ का स्तन चूसते हैं।
तभी ज़ूबी को राज कि आवाज़ सुनायी दी, “आराम से दोस्तों, सबको मौका मिलेगा इसे चोदने का।”
ज़ूबी की आँखें घबड़ाहट में फट सी गयी और उसे अपनी साँसें घुटती सी महसूस हुई, “हाय अल्लाह ये मेरी सामुहिक चुदाई करेंगे” उसने सोचा, “हाय रब्बा, सब मिलकर चोदेंगे मुझे।”
ज़ूबी आँखें फाड़े उन दो मर्दों को अपनी चूचीयाँ चूसते हुए देख रही थी। पर वो इस बात से भी इनकार नहीं कर सकती थी कि उसके निप्पल तन कर खड़े हो गये थे और उसकी चूत उत्तेजना में गीली हो चुकी थी। उसने तिरछी आँखों से देखा कि अब दोनों मर्द अपने कपड़े उतार रहे थे।