02-05-2020, 08:08 PM
अध्याय-२
ज़ूबी अपने आप पर बहुत शर्मिंदा थी। मजबूरी में उसे अपने मंगेतर से झूठ बोलना पड़ रहा था कि मिस्टर राज की ऑफिस में देर रात तक मीटिंग चलती है जिस वजह से वो उससे मिल नहीं पा सकती थी। आज उसने फिर झूठ बोला था कि एक अर्जेंट मीटिंग की वजह से वो उससे मिल नहीं पायेगी। कभी उसके दिल में विचार आता कि वो इस्तफा दे दे पर मामले की नज़ाकत को समझते हुए वो चुप रह जाती।
आज राज ने उसे रात को अपने होटल के सुइट में बुलाया था। उसकी बात मानने के अलावा उसके पास कोई चारा नहीं था। जैसे ही उसने होटल में कदम रखा, सबकी निगाहें उस पर जम गयी। सब जानते थे कि जब एक अमीर आदमी किसी लड़की को रात के वक्त बुलाता है तो उसका एक ही मक्सद होता है।
ज़ूबी राज से होटल के रेस्टोरेंट में मिली। राज किसी से फोन पर बात करते हुए अपने पैड पर कुछ लिख रहा था। ज़ूबी ने वही ड्रेस और सैंडल पहनी थी जो राज ने उसे पहनने के लिए कहा था। वो बिना ब्रा और पैंटी पहने उसकी टेबल के पास खड़ी थी।
जब राज की नज़रें ज़ूबी पर पड़ी, “अरे तुम खड़ी क्यों हो, बैठो ना।”
ज़ूबी राज के कहने पर सीट पर बैठ गयी। राज ने फोन पर अपनी बात खत्म की और खाने का ऑर्डर कर दिया। जिस टेबल पर वो बैठे थे वो काफी बड़ी थी और एक सफ़ेद टेबल क्लॉथ से ढकी हुई थी। ज़ूबी राज के बगल की सीट पर बैठ गयी।
राज ने खाना खाते हुए ज़ूबी को बताया कि उसकी एप्लीकेशन का क्या हाल है। उसने बताया कि जो नया टी.वी चैनल वो शुरू करना चाहता है वो एप्लीकेशन की वजह से रुका हुआ था। उसने बताया कि किस तरह उसने अधिकारियों से बातचीत कर ली है और शायद मामला जल्दी ही सुलझ जायेगा।
ज़ूबी शांति से खाना खाते हुए उसकी कहानी सुन रही थी। पर उसका पूरा ध्यान अपने आप में हिम्मत जुटाने में लगा हुआ था कि किस तरह वो राज से उस टेप की बात करे। डर और खौफ़ के मारे उसकी ज़ुबान सूखी जा रही थी। वोदका के पैग भी उसे राहत नहीं दे पा रहे थे। आखिर में उसने हिम्मत जुटाते हुए अपनी हकलाती ज़ुबान से कहा, “राज मैं हर हाल में वो वीडियोटेप वापस पाना चाहती हूँ।”
“जरूर मिल जायेगी” राज ने उसे देखकर मुस्कुराते हुए कहा। “अगर तुम मेरी सहायता करोगी तो वो टेप तुम्हें जरूर मिल जायेगी। पर थोड़े समय के बाद... और मैं तुमसे ये वादा करता हूँ कि वो टेप के बारे में ना तो तुम्हारे ऑफिस में किसी को पता चलेगा और ना ही तुम्हारे मंगेतर को... पर तभी तक जब तक तुम मुझे मजबूर ना कर दो।”
ज़ूबी चुपचाप उसकी बात सुनती रही और जैसा उसने सोच रखा था वही हुआ। राज ने टेबल के नीचे से अपना हाथ उसकी गोरी जाँघों पर रख दिया। अचानक राज ने उसे अपने नज़दीक खींचा और अपने होंठ उसके होंठों पर रख कर चूसने लगा। ज़ूबी ने उसे रोकने कि चेष्टा नहीं की। राज नाराज़ ना हो जाये, सोच कर वो उसका साथ देने लगी।