02-05-2020, 07:58 PM
जेठजी ने मेरे नंगे जिस्म पर कपड़े किस तरह पहनाये ये भी पता नहीं चल पाया। उन्होंने मुझे कपड़े पहना कर चादर से अच्छी तरह लपेट कर सुला दिया। मैं हसीन ख्वाबों में खो गयी।
अच्छा हुआ कि उन्होंने मुझे कपड़े पहना दिये थे, वरना अपनी इस हालत की सफायी जावेद और नसरीन भाभी जान से करना मुश्किल काम होता। मेरे पूरे जिस्म पर उकेरे गये दाँतों के निशानों की दिलकश नक्काशी का भी कोई जवाब नहीं था।
जब तक दोनों वापस नहीं आ गये फिरोज़ भाई जान की गोद में ही सिर रख कर सोती रही और फिरोज़ भाई जान मेरे बालों में अपनी अँगुलियाँ फेरते रहे। बीच-बीच में वो मेरे गालों पर या मेरे होंठों पर अपने गरम होंठ रख देते।
जावेद और नसरीन भाभी रात के दस बजे तक चहकते हुए वापस लौटे। होटल से खाना पैक करवा कर ही लौटे थे। मेरी हालत देख कर जावेद और नसरीन भाभी घबरा गये। बगल में ही एक डॉक्टर रहता था उसे बुला कर मेरी जाँच करवायी। डॉक्टर ने देख कर कहा कि बहुत ज्यादा शराब पीने की वजह से डी-हायड्रेशन हो गया है और जूस वगैरह पीने को कह कर चले गये।
अगले दिन सुबह मेरी तबियत एकदम सलामत हो गयी। अगले दिन जावेद का जन्मदिन था। शाम को बाहर खाने का प्रोग्राम था। एक बड़े होटल में सीट पहले से ही बुक कर रखी थी। वहीं पर पहले हम सबने ड्रिंक्स ली फिर खाना खाया। वापस लौटते समय जावेद ने बज़ार से एक ब्लू फ़िल्म का डी-वी-डी खरीद लिया। घर पहुँच कर हम चारों हमारे बेडरूम में इकट्ठे हुए। सब फिर से ड्रिंक्स लेने लगे। मुझे सबने मना भी किया कि पिछले दिन मेरी तबियत शराब पीने से खराब हो गयी थी और कुछ देर पहले होटल में तो मैंने ड्रिंक पी ही थी, पर मैं कहाँ मानने वाली थी। मैंने भी ज़िद करके उनके साथ और ड्रिंक्स लीं। फिर पहले म्यूज़िक चला कर कुछ देर तके एक दूसरे की बीवियों के साथ हमने डाँस किया। मैं जेठ जी की बाँहों में नशे की हालत में थिरक रही थी और नसरीन भाभी को जावेद ने अपनी बाँहों में भर रखा था। फिर जावेद ने कमरे की ट्यूबलाईट ऑफ कर दी और सिर्फ एक हल्का नाईट लैंप जला दिया। हम चारों बिस्तर पर बैठ गये।
अच्छा हुआ कि उन्होंने मुझे कपड़े पहना दिये थे, वरना अपनी इस हालत की सफायी जावेद और नसरीन भाभी जान से करना मुश्किल काम होता। मेरे पूरे जिस्म पर उकेरे गये दाँतों के निशानों की दिलकश नक्काशी का भी कोई जवाब नहीं था।
जब तक दोनों वापस नहीं आ गये फिरोज़ भाई जान की गोद में ही सिर रख कर सोती रही और फिरोज़ भाई जान मेरे बालों में अपनी अँगुलियाँ फेरते रहे। बीच-बीच में वो मेरे गालों पर या मेरे होंठों पर अपने गरम होंठ रख देते।
जावेद और नसरीन भाभी रात के दस बजे तक चहकते हुए वापस लौटे। होटल से खाना पैक करवा कर ही लौटे थे। मेरी हालत देख कर जावेद और नसरीन भाभी घबरा गये। बगल में ही एक डॉक्टर रहता था उसे बुला कर मेरी जाँच करवायी। डॉक्टर ने देख कर कहा कि बहुत ज्यादा शराब पीने की वजह से डी-हायड्रेशन हो गया है और जूस वगैरह पीने को कह कर चले गये।
अगले दिन सुबह मेरी तबियत एकदम सलामत हो गयी। अगले दिन जावेद का जन्मदिन था। शाम को बाहर खाने का प्रोग्राम था। एक बड़े होटल में सीट पहले से ही बुक कर रखी थी। वहीं पर पहले हम सबने ड्रिंक्स ली फिर खाना खाया। वापस लौटते समय जावेद ने बज़ार से एक ब्लू फ़िल्म का डी-वी-डी खरीद लिया। घर पहुँच कर हम चारों हमारे बेडरूम में इकट्ठे हुए। सब फिर से ड्रिंक्स लेने लगे। मुझे सबने मना भी किया कि पिछले दिन मेरी तबियत शराब पीने से खराब हो गयी थी और कुछ देर पहले होटल में तो मैंने ड्रिंक पी ही थी, पर मैं कहाँ मानने वाली थी। मैंने भी ज़िद करके उनके साथ और ड्रिंक्स लीं। फिर पहले म्यूज़िक चला कर कुछ देर तके एक दूसरे की बीवियों के साथ हमने डाँस किया। मैं जेठ जी की बाँहों में नशे की हालत में थिरक रही थी और नसरीन भाभी को जावेद ने अपनी बाँहों में भर रखा था। फिर जावेद ने कमरे की ट्यूबलाईट ऑफ कर दी और सिर्फ एक हल्का नाईट लैंप जला दिया। हम चारों बिस्तर पर बैठ गये।