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Misc. Erotica मैं हसीना गज़ब की
#44
“आपका बहुत मोटा है। मेरी चूत को फाड़ कर रख देगा,” मैंने घबराते हुए कहा, “फिरोज़ भाई जान धीरे-धीरे करना नहीं तो मैं दर्द से मार जाऊँगी।” 

वो हंसने लगे। 
 
“आप बहुत खराब हो। इधर तो मेरी जान की पड़ी है”, मैंने उनसे कहा।
 
मैंने भी अपने हाथों से अपनी चूत को चौड़ा कर उनके लंड के लिये रास्ता बनाया। उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत के दर पर टिका दिया। मैंने उनके लंड को पकड़ कर अपनी फैली हुई चूत के अंदर खींचा।
 
“अंदर कर दो....” मेरी आवाज भारी हो गयी थी। उन्होंने अपने जिस्म को मेरे जिस्म के ऊपर लिटा दिया। उनका लंड मेरी चूत की दीवारों को चौड़ा करता हुआ अंदर जाने लगा। मैं सब कुछ भूल कर अपने जेठ के सीने से लग गयी। बस सामने सिर्फ फिरोज़ थे और कुछ नहीं। वो ही इस वक्त मेरे आशिक, मेरे सैक्स पार्टनर और जो कुछ भी मानो, थे। मुझे तो अब सिर्फ उनका लंड ही दिख रहा था।
 
जैसे ही उनका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ आगे बढ़ा मेरे मुँह से “आआऽऽऽहहऽऽऽ” की आवाज निकली और उनका लंड पूरा का पूरा मेरी चूत में धंस गया। वो इस पोज़िशन में मेरे होंठों को चूमने लगे।
 
“अच्छा तो अब पता चला कि मुझसे मिलने के लिये तुम भी इतनी बेसब्र थी.... और मैं बेवकूफ सोच रहा था कि मैं ही तुम्हारे पीछे पड़ा हूँ। अगर पता होता ना कि तुम भी मुझसे मिलने को इतनी बेताब हो तो....” वाक्य को अधुरा ही रख कर वो कुछ रुके।
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RE: मैं हसीना गज़ब की - by rohitkapoor - 02-05-2020, 07:53 PM



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