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Misc. Erotica मैं हसीना गज़ब की
#41
भाग ४ 
 
इतना सुनना था कि उन्होंने मुझे अपने सीने में दाब लिया। मैंने अपना चेहरा ऊपर उठाया तो उनके होंठ मेरे होंठों से आ मिले। मेरा जिस्म कुछ तो दोपहर के नशे से और कुछ उत्तेजना से तप रहा था। मैंने अपने होंठ खोल कर उनके होंठों का स्वागत किया। उन्होंने मुझे इस तरह चूमना शुरू किया मानो बरसों के भूखे हों। मैं उनके चौड़े सेने के बालों पर अपनी अँगुलियाँ फेर रही थी। उन्होंने मेरे जिस्म पर बंधी गाऊन की उस डोर को खींच कर खोल दिया। अब मैं सिर्फ सैंडल पहने, पूरी तरह नंगी उनके सामने थी। मैंने भी उनके पायजामे के ऊपर से उनके लंड को अपने हाथों से थाम कर सहलाना शुरू किया।
 
“मममम… काफी मोटा है। भाभी जान को तो मज़ा आ जाता होगा?” मैंने उनके लंड को अपनी मुठ्ठी में भर कर दबाया। फिर पायजामे की डोरी को खोल कर उनके लंड को बाहर निकाला। उनका लंड काफी मोटा था। उनके लंड के ऊपर का सुपाड़ा एक टेनिस की गेंद की तरह मोटा था। फिरोज़ भाई जान गोरे चिट्टे थे लेकिन लंड काफी काला था। उनके लंड के मुँह से पानी जैसा चिपचिपा रस निकल रहा है। मैंने उनकी आँखों में झाँका। वो मेरी हरकतों को गोर से देख रहे थे। मैं उनको इतनी खुशी देना चाहती थी जितनी नसरीन भाभी जान ने भी नहीं दी होगी। मैंने अपनी जीभ पूरी बाहर निकाली और स्लो मोशन में अपने सिर को उनके लंड पर झुकाया। मेरी आँखें लगातार उनके चेहरे पर टिकी हुई थी। मैं उनके चेहरे पर उभरने वाली खुशी को अपनी आँखों से देखना चाहती थी। मैंने अपनी जीभ उनके लंड के टिप पर लगायी और उससे निकलने वाले रस को चाट कर अपनी जीभ पर ले लिया। फिर उसी तरह धीरे-धीरे मैंने अपना सिर उठा कर अपनी जीभ पर लगे उनके रस को उनकी आँखों के सामने किया और मुँह खोल कर जीभ अंदर कर ली। मुझे अपना रस पीते देख वो खुशी से भर उठे और वापस मेरे चेहरे पर अपने होंठ फिराने लगे। वो मेरे होंठों को, मेरे कानों को, मेरी आँखों को, गालों को चूमे जा रहे थे और मैं उनके लंड को अपनी मुठ्ठी में भर कर सहला रही थी। मैंने उनके सिर को पकड़ कर नीचे अपनी चूचियों से लगाया। उन्होंने जीभ निकाल कर दोनों चूचियों के बीच की गहरी खायी में फ़िरायी। फिर एक मम्मे को अपने हाथों से पकड़ कर उसके निप्पल को अपने मुँह में भर लिया। मेरे निप्पल पहले से ही तन कर कड़े हो गये थे। वो एक निप्पल को चूस रहे थे और दूसरे मम्मे को अपनी हथेली में भर कर मसल रहे थे। पहले तो उन्होंने धीरे-धीरे मसला मगर कुछ ही देर में दोनों मम्मे पूरी ताकत से मसल-मसल कर लाल कर दिये। मैं उत्तेजना में सुलगने लगी। मैंने उनके लंड के नीचे उनकी गेंदों को अपनी मुठ्ठी में भर कर सहलाना शुरू किया। वो बीच-बीच में मेरे फूले हुए निप्पल को दाँतों से काट रहे थे और कभी जीभ से निप्पल को छेड़ने लगते। मैं “सीईऽऽऽऽ आआआहहऽऽऽऽऽ मममऽऽऽऽ ऊँऊँऽऽऽऽ” जैसी आवाजें निकालने से खुद को नहीं रोक पा रही थी। उनके होंठ दोनों मम्मों पर घूमने लगे और जगह-जगह मेरे मम्मों को काट-काट कर अपने मिलन की निशानी छोड़ने लगे। पूरे मम्मों पर लाल-लाल दाँतों के निशान उभार आये। मैं दर्द और उत्तेजना में “सीईऽऽऽ सीईऽऽऽ” कर रही थी और अपने हाथों से अपने मम्मों को उठाकर उनके मुँह में दे रही थी।
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RE: मैं हसीना गज़ब की - by rohitkapoor - 02-05-2020, 07:51 PM



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