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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
#26
ज़ूबी के पास और कोई चारा नहीं था उसकी बात मानने के सिवा। वो उसी अवस्था में सिर्फ सैंडल पहने नंगी खड़ी रही, टेबल का सहारा लिए अपनी गाँड हवा में उठाये हुए। राज के लंड से चूता पानी अभी भी ज़ूबी की जाँघों पर बह रहा था। उसने टेबल से एक टिशू पेपर लिया और पानी को पौंछने लगी। 

अमित बिना कोई समय गंवाय उसके पीछे आया और उसके चूत्तड़ चूमने लगा। मेरी जान... अपनी टाँगों को थोड़ा फ़ैलाओ जिससे मैं अपना लंड तुम्हारी चूत में डाल सकूँ। उसने अपना लंड ज़ूबी की चूत के मुहाने पर रखा और एक ही धक्के में अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया। 
 
ज़ूबी ने महसूस किया कि उसका लंड राज के लंड जितना मोटा और लंबा नहीं था। ज़ूबी जानती थी उसका लंड उसे कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकता और ये भी जानती थी कि अगर उसे इस जिल्लत से छुटकारा पाना है तो वो उस मर्द के पानी को छुड़ा दे।
 [Image: 2360H069.jpg]
यही सोच कर ज़ूबी ने अपनी टाँगों को थोड़ा सिकोड़ और अपनी चूत में उसके लंड को जकड़ लिया। अब वो उसके हर धक्के का साथ अपने कुल्हों को पीछे की ओर धकेल कर साथ दे रही थी।
 
अमित ने अपने हाथ बढ़ा कर उसके ममे पकड़ लिए और उन्हें मसलते हुए कस के धक्के मारने लगा।
 
ज़ूबी को अपने आप पर विश्वास नहीं हो रहा था। वो हमेशा से ही एक साधारण और संस्कृति को मानने वाली लड़की रही थी। और आज वो दिन के समय अपने ही ऑफिस में दो लौड़ों से अपने आप को चुदवा रही थी। ऐसा नहीं था कि इतनी भयंकर चुदाई उसे मज़ा नहीं दे रही थी पर इस समय उसका ध्यान अमित का पानी छुड़ाने पर ज्यादा था।
 
अमित जोर की हुंकार भरते हुए ज़ूबी को चोदे जा रहा था। दो तीन कस के धक्के मारने के बाद उसके लंड ने ज़ूबी की चूत में पानी छोड़ दिया। जैसे ही उसने अपना मुर्झाया लंड बाहर निकाला तो उसके वीर्य की बूँदें ऑफिस के कारपेट पर इधर उधर गिर पड़ी।
 
ज़ूबी बड़ी मुश्किल से अपनी उखड़ी साँसों पर काबू पा रही थी। उत्तेजना में उसका  चेहरा लाल हो चुका था। बड़ी मुश्किल से उसने अपने आप को संभाला और अपने कपड़े पहने। उसने अपने कपड़े पहने ही थे की दरवाजे पर दस्तक हुई, क्या मैं अंदर आ सकती हूँ?” ज़ूबी की सेक्रेटरी ने पूछा।
 
बड़ी मुश्किल से ज़ूबी ने कहा, हाँ आ जाओ।
 
ज़ूबी की सेक्रेटरी केबिन में आयी और ज़ूबी से पूछा कि क्या वो खाने का ऑर्डर देना चाहेगी। ज़ूबी ने उसे मना कर दिया की मीटिंग खत्म हो चुकी है और खाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। मगर वो जानती थी कि हवा में फ़ैली चुदाई की खुश्बू और उसके बिखरे हुए बाल उसकी सेक्रेटरी को सब कहानी कह देंगे।
 
ज़ूबी ने अपने आपको इतना अपमानित और गिरा हुआ कभी महसूस नहीं किया था। किस तरह उसकी तकदीर उसके साथ खेल रही थी। एक इंसान उसके जज़बात और शरीर के साथ खेल रहा था और वो मजबूरी वश उसका साथ दे रही थी। अब उसका एक ही मक्सद था की किसी तरह राज की हर बात मानते हुए वो उससे वो टेप हासिल कर ले जो उसने होटल के रूम में रिकॉर्ड कर ली थी।
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RE: हिंदी की कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 26-04-2020, 08:06 PM



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