26-04-2020, 07:54 PM
(This post was last modified: 09-09-2022, 10:29 PM by rohitkapoor. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
अपने केबिन में दाखिल होने से पहले वो साथ में लगे बाथरूम मे गयी और अपनी ब्रा और पैंटी उतार दी। उसने दीवार पर लगे शीशे मे अपने आप को देखा तो शर्मा गयी। उसके सिल्क के टॉप में से उसके मम्मे साफ़ झलक रहे थे। उसके निप्पल साफ़ टॉप में से बाहर को निकालते दिखायी पड़ रहे थे।
ज़ूबी जल्दी से अपनी ब्रा और पैंटी अपने हाथों में लिए दौड़ती हुई अपने केबिन में वापस आ गयी। केबिन में आने के बाद उसने अपना बिज़नेस कोट पहन लिया जिससे उसके टॉप में से छलकती चूचियों को ढांपा जा सके।
ज़ूबी अपनी कुर्सी पर बैठ कर काम करने की कोशिश कर रही थी पर उसका सारा ध्यान मिस्टर राज और मिस्टर रवि के बीच चल रही मीटिंग पर था। थोड़ी देर बाद मिस्टर रवि का फोन आया, “ज़ूबी मिस्टर राज तुमसे अभी तुम्हारे केबिन में मिलना चाहेंगे।”
“ठीक है सर... उन्हें भेज दीजिए, मैं इंतज़ार कर रही हूँ” ज़ूबी ने जवाब दिया।
ज़ूबी अपनी कुर्सी पे चिंतित बैठी थी। हज़ारों ख्याल उसके दिमाग में घूम रहे थे। फिर भी वो पूरी कोशिश कर रही थी कि वो चेहरे से चिंतित ना दिखे। थोड़ी देर में उसके केबिन के दरवाजे पर दस्तक हुई और उसकी सेक्रेटरी मिस्टर राज के साथ अंदर आयी। राज के पीछे एक और व्यक्ति केबिन में दाखिल हुआ जिसे देख कर एक बार के लिये ज़ूबी को थोड़ी राहत मिली।
राज ने उस व्यक्ति को दरवाज़ा बंद करने के लिये कहा और ज़ूबी से उसका परिचय कराया। “ज़ूबी ये मिस्टर अमित मेरे दोस्त हैं जो लायसेंस रीन्यूअल डिपार्टमेंट में काम करते हैं। इन्होंने ही हमारी ऐप्लीकेशन की गल्तियों को पकड़ा है।” ज़ूबी ने एक मुस्कान के साथ उससे हाथ मिलाया।
मिस्टर अमित दिखने में ही एक सरकरी मुलाज़िम लग रहा था। पुराने स्टाइल के कपड़े, बालों में मन भर तेल और नाक पर मोटे काँच का चश्मा। पर अपनी पोज़िशन की वजह से थोड़ा कठोर स्वभाव का लग रहा था। ज़ूबी ने देखा की उसकी पैंट जो उसके पेट के नीचे लटक रही थी, शायद तब खरीदी गयी थी जब उसका साइज़ ३४ था जो कि आज लगभग ४० था।
राज ने धीरे से ज़ूबी से कहा, “ज़ूबी हम जिस विषय पर बात करने वाले हैं उसमें थोड़ा समय लग सकता है।”
ज़ूबी ने अपनी सेक्रेटरी को फोन लगाया, “मेरे आने वाले हर फोन को रोक देना, मैं मिस्टर राज और मिस्टर अमित के साथ एक जरूरी मीटिंग में हूँ।”
“ज़ूबी मिस्टर अमित चाहते हैं की हम तीनों मिलकर इस समस्या का हल निकाल लें। पर किसी को मालूम नहीं होना चाहिए की हमने साथ में मुलाकात की है। और मैंने इन्हें ये भी बता दिया है की सारी ऐप्लीकेशन तुमने ही तैयार की हैं।” राज ने मीटिंग शुरू करते हुए कहा।
करीब एक घंटे की बहस के बाद ज़ूबी को पता चला कि अगर लायसेंस रीन्यू नहीं हुए तो राज की कंपनी को कितना घाटा हो सकता है। मिस्टर अमित अगर नयी ऐप्लीकेशन से पुरानी वाली बदल भी देते हैं तो इन्हें अपने और साथी को मिलाना होगा। जैसे-जैसे समय गुज़र रहा था, राज के चेहरे पर झल्लाहट के भाव आते जा रहे थे।
ज़ूबी जल्दी से अपनी ब्रा और पैंटी अपने हाथों में लिए दौड़ती हुई अपने केबिन में वापस आ गयी। केबिन में आने के बाद उसने अपना बिज़नेस कोट पहन लिया जिससे उसके टॉप में से छलकती चूचियों को ढांपा जा सके।
ज़ूबी अपनी कुर्सी पर बैठ कर काम करने की कोशिश कर रही थी पर उसका सारा ध्यान मिस्टर राज और मिस्टर रवि के बीच चल रही मीटिंग पर था। थोड़ी देर बाद मिस्टर रवि का फोन आया, “ज़ूबी मिस्टर राज तुमसे अभी तुम्हारे केबिन में मिलना चाहेंगे।”
“ठीक है सर... उन्हें भेज दीजिए, मैं इंतज़ार कर रही हूँ” ज़ूबी ने जवाब दिया।
ज़ूबी अपनी कुर्सी पे चिंतित बैठी थी। हज़ारों ख्याल उसके दिमाग में घूम रहे थे। फिर भी वो पूरी कोशिश कर रही थी कि वो चेहरे से चिंतित ना दिखे। थोड़ी देर में उसके केबिन के दरवाजे पर दस्तक हुई और उसकी सेक्रेटरी मिस्टर राज के साथ अंदर आयी। राज के पीछे एक और व्यक्ति केबिन में दाखिल हुआ जिसे देख कर एक बार के लिये ज़ूबी को थोड़ी राहत मिली।
राज ने उस व्यक्ति को दरवाज़ा बंद करने के लिये कहा और ज़ूबी से उसका परिचय कराया। “ज़ूबी ये मिस्टर अमित मेरे दोस्त हैं जो लायसेंस रीन्यूअल डिपार्टमेंट में काम करते हैं। इन्होंने ही हमारी ऐप्लीकेशन की गल्तियों को पकड़ा है।” ज़ूबी ने एक मुस्कान के साथ उससे हाथ मिलाया।
मिस्टर अमित दिखने में ही एक सरकरी मुलाज़िम लग रहा था। पुराने स्टाइल के कपड़े, बालों में मन भर तेल और नाक पर मोटे काँच का चश्मा। पर अपनी पोज़िशन की वजह से थोड़ा कठोर स्वभाव का लग रहा था। ज़ूबी ने देखा की उसकी पैंट जो उसके पेट के नीचे लटक रही थी, शायद तब खरीदी गयी थी जब उसका साइज़ ३४ था जो कि आज लगभग ४० था।
राज ने धीरे से ज़ूबी से कहा, “ज़ूबी हम जिस विषय पर बात करने वाले हैं उसमें थोड़ा समय लग सकता है।”
ज़ूबी ने अपनी सेक्रेटरी को फोन लगाया, “मेरे आने वाले हर फोन को रोक देना, मैं मिस्टर राज और मिस्टर अमित के साथ एक जरूरी मीटिंग में हूँ।”
“ज़ूबी मिस्टर अमित चाहते हैं की हम तीनों मिलकर इस समस्या का हल निकाल लें। पर किसी को मालूम नहीं होना चाहिए की हमने साथ में मुलाकात की है। और मैंने इन्हें ये भी बता दिया है की सारी ऐप्लीकेशन तुमने ही तैयार की हैं।” राज ने मीटिंग शुरू करते हुए कहा।
करीब एक घंटे की बहस के बाद ज़ूबी को पता चला कि अगर लायसेंस रीन्यू नहीं हुए तो राज की कंपनी को कितना घाटा हो सकता है। मिस्टर अमित अगर नयी ऐप्लीकेशन से पुरानी वाली बदल भी देते हैं तो इन्हें अपने और साथी को मिलाना होगा। जैसे-जैसे समय गुज़र रहा था, राज के चेहरे पर झल्लाहट के भाव आते जा रहे थे।